Shaheenbagh: CAA-NCR will not withdraw until law comes back: Protesters: शाहीनबागः सीएए-एनसीआर कानून की वापसी तक नहीं हटेंगेः प्रदर्शनकारी

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दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए व एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन जारी है, हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी जमे हैं। दिल्ली पुलिस ने कल प्रदर्शनकारियों से सड़क खाली करने की अपील भी की थी जिसका कोई असर नहीं हुआ। इसके अलावा स्थानीय छात्रों द्वारा दायर की गई अपील के बाद आज हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वे जनता की सुविधा का ध्यान रखते हुए अपनी समझ से काम लेकर रोड खाली करा सकती है। वहीं धरना-प्रदर्शन मेें मौजूद महिलाओं व पुरूषों का कहना है कि जब तक सरकार उक्त कानून को वापिस नहीं लेती तब तक ये प्रदर्शन जारी रहेगा। हालांकि इस प्रदर्शन के चलते क्षेत्र के निवासी भी अब परेशानी महसूस करने लगे हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से एक बार फिर प्रदर्शनकारियों से रास्ता खोलने की अपील की गई है।
दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध को पूरे 34 दिन हो गए हैं प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार नागरिकता कानून पर अपना फैसला बदले। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में सीएए के खिलाफ हर रोज आवाज बुलंद जा रही होती है। दिल्ली की सर्दी में सड़क पर प्रदर्शनकारियों ने 34 दिन-रात गुजारे हैं। आज भी प्रदर्शन स्थल पर बडी संख्या में प्रदर्शनकारी महिलाएं डटी हुई हैं।
विरोध-प्रदर्शन को एक महीने से भी उपर समय हो गया, लेकिन ना जोश ठंडा पड़ा है और ना ही इरादा बदला है। शाहीन बाग पिछले एक महीने से विरोध का प्रतीक बन गया है। इसकी देखा-देखी राजधानी में कई जगहों सहित देश के अन्य इलाकों में भी सीएए व एनआरसी के विरोध में धरना-प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है।
शाहीनबाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस विरोध में डटे हुए हैं। प्रदर्शन स्थल पर छात्र-नौजवान नारे लगाते और गीत गाते हुए और पोस्टर लहरा रहे हैं। लगभग सभी उम्र के महिलाएं और पुरूष धरना स्थल पर मौजूद दिखाई दे रहे हैं।
प्रदर्शन स्थल पर जब लोगों से पूछा कि किस बैनर तले ये प्रदर्शन किया जा रहा है या किस राजनीतिक दल की और से आयोजन किया जा रहा है। इसके जवाब में लोगों ने कहा कि इस प्रदर्शन के लिए कोई मैनेजमेंट कमेटी नहीं है और ना ही कोई पॉलिटिकल पार्टी इससे नहीं जुड़ी है।
वहां मौजूद हुमा से जब इतने बडे कार्यक्रम की फंडिंग के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि कोई एनजीओ काम नहीं कर रहा और ना ही किसी से फंड लिया जा रहा है। सभी कुछ आपस मेें मिल जुलकर आंदोलन बढाया जा रहा है। हुमा के परिवार में तीन बच्चे और पति है। पति काम पर जाते हैं और बच्चे पडोसियों के सहारे घर पर रह रहे हैं। हालांकि वे दिन में एक बार घर जाकर बच्चों को जरूर देख आती हैं।
धरना-प्रदर्शन में मौजूद शाहीन बाग निवासी शैला ने बताया कि इलाके की महिलाएं ही यहां नुमाइंदगी कर रही हैं। इलाके की महिलाओं का जत्था कुछ-कुछ देर के लिए आता है और धरना देता है। इसके बाद दूसरा अन्य जत्था पहुंच जाता है, सभी ने आने का वक्त तय किया हुआ हैै।
प्रदर्शन में शामिल ओखला निवासी शाहिदा ने बताया कि हमारी मांग है कि जेल में कैद किए गए लोगों को छोड़ा जाए औप बेगुनाहों को पुलिस ना फंसाए। पूछने पर उन्होंने बताया कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया सीएए और एनआरसी भारतीय संविधान के अनुकूल नहीं है, इसलिए वे इसका विरोध कर रहे हैं।
हालांकि लंबे वक्त से चल रहे प्रदर्शन के चलते स्थानीय लोग और व्यापारियों को भारी परेशानी भी हो रही है। रास्ता बंद होने से लोगों में नाराजगी भी है। लोगों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को रास्ता छोडकर अन्य स्थान पर जाना चाहिए।
सीएए व एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग में एक माह से अधिक समय से चल रहे धरने ने लोगों की जिंदगी दुश्वार कर दी है। इस धरने के कारण लोगों में गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है। जो रास्ता पहले लोग 20-25 मिनट में तय करते थे उसे तय करने में एक तीन से चार घंटे लग रहे हैं।
लोगों का अधिकतर समय अब सड़कों पर बीत रहा है। एक तरफ जहां पुलिस-प्रशासन इस धरने को समाप्त करवा पाने में नाकाम साबित हो रहा है। वहीं, जाम को संभालने की बजाय यातायात पुलिस सड़कों से नदारद है। शुक्रवार को इस जाम के कारण पूरी दक्षिणी दिल्ली जैसे ठहर सी गई।
शाहीन बाग धरने के कारण कालिंदी कुंज पर दिल्ली-नोएडा मार्ग बंद होने से मथुरा रोड, आउटर रिंग रोड, रिंग रोड, डीएनडी, बारापुला से लेकर एमबी रोड तक पूरी तरह से ठप हो गया। लोगों को दो-चार किलोमीटर की दूरी तय करने में भी तीन-चार घंटे लगे।
वहीं शहाीन बाग रास्ते के बंद होने से छात्रों को हो रही परेशानियों पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को दिए निर्देश दिए है और जल्द से जल्द मामला सुलझाने के निर्देश दिए है। शहाीन बाग रास्ते के बंद होने से छात्रों को हो रही परेशानियों पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को दिए निर्देश दिए है और जल्द से जल्द मामला सुलझाने के निर्देश दिए है।
एक तरफ जहां पुलिस-प्रशासन इस धरने को समाप्त करवा पाने में नाकाम साबित हो रहा है। वहीं, जाम को संभालने की बजाय यातायात पुलिस सड़कों से नदारद दिखाई देती है।