नई दिल्ली। बीसीसीआई के वरिष्ठ सदस्यों ने बोर्ड के पृथ्वी शॉ के मामले में निपटने के तरीकों और सीओए के फैसलों पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि पृथ्वी शॉ के डोपिंग टेस्ट में नाकाम रहने पर उनके मामले में ढीला रवैया अपनाने और प्रशासकों की समिति (सीओए) के नीतिगत फैसलों में अपनी सीमाओं को लांघने के कारण बीसीसीआई को राष्ट्रीय डोपिंगरोधी एजेंसी (नाडा) के अंतर्गत आने के लिए मजबूर होना पड़ा। उनके मुताबिक बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी समझौते पर हस्ताक्षर करने पर सहमत हो गए, जिससे देश की सबसे धनी खेल संस्था नाडा के अंतर्गत आ गई और वह राष्ट्रीय खेल महासंघ भी बन गया।’बीसीसीआई के वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि सरकार के दबाव में किए गए इस फैसले से बोर्ड वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने के बावजूद अपनी स्वायत्ता खो सकता है। बोर्ड के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा, ‘सीईओ (राहुल जौहरी) या सीओए को को इस तरह के नीतिगत फैसले करने का अधिकार नहीं है। यह बीसीसीआई की संचालन संस्था का अधिकार है। वे किसी भी तरह का पत्र लिख सकते हैं क्योंकि वे प्रशासन चला रहे हैं और गलत फैसले को लागू कर सकते हैं। लेकिन इससे यह सही फैसला नहीं बन सकता।’ उन्होंने सीईओ पर सरकार के आगे झुकने का आरोप लगाया।