नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया। इस लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा परेशानी श्रमिकों और कामगारों को हुई। काम न होनेकी वजह से लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों का पलायन देखने को मिला। सड़कों पर चलते भूखे प्यासे मजदूरों और उनके परिवार ने लॉकडाउन के कारण बहुत पीड़ा सही। अब देशभर के विभिन्न राज्यों मेंइधर-उधर फंसे प्रवासी श्रमिकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट नेआदेश दिया कि प्रवासी मजदूरों को 15 दिनों के भीतर वापस उनके घरों को भेजा जाए। इसी के साथ सुप्री कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि ‘लॉकडाउन के दौरान जिन मजदूरों पर कथित रूप से उल्लंघन करने के मामले दर्ज किए गए हैं, उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत सभी मामले वापस लिए जाएं।’ उच्चतम न्यायाल ने केंद्र और राज्यों को सुव्यवस्थित तरह से प्रवासी मजदूरों की पहचान के लिए एक सूची तैयार करने को कहा है। कोर्ट ने सरकारों से मजदूरों को स्किल मैपिंग करके रोजगार के मुद्दे पर भी राहत देने को कहा है। गौरतलब है कि मार्च माह में लॉकडाउन की शुरूआत हुई थी। जो बढ़ते हुए तीस जून तक किया गया। हालांकि एक जून से तीन चरणों मे ंदेश मे लॉकडाउन खोलने का आदेश जारी किया गया है। आठ जून सेदेश में धार्मिक स्थल, रेस्ट्रां आदि को खोल दिया गया है। इन सबके बीच रोज अपनी रोजी रोटी कमाने खाने वाले श्रमिकों और गरीबों को इसकी सबसे अधिक मार झेलनी पड़ी। लॉकडाउन के दौरान रोजगार न मिलने की वजह से लाखों की संख्या में मजदूर जहां-तहां फंस गए थे। जो हजारों किलो मीटर दूर अपने गृहराज्यों और गावों की ओर पैदल ही निकल पड़े थे। बाद में केंद्र सरकार की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई जिससे अभी तक लाखों मजदूरों को उनके घर पहुंचाया जा चुका है।