Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़ : प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ की सीनेट को खत्म करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव की कड़ी निंदा की और कहा कि पंजाब पर दबाव बनाना बंद किया जाना चाहिए। प्रो. बडूंगर ने कहा कि देश के विभाजन से पहले लाहौर में एक पंजाब विश्वविद्यालय था, देश के विभाजन के बाद चंडीगढ़ में एक नया पंजाब विश्वविद्यालय स्थापित किया गया।
प्रो. बडूंगर ने कहा कि 1 नवंबर 1966 को केंद्र सरकार ने पंजाब को तीन हिस्सों में बांटकर हरियाणा और हिमाचल बना दिया और पंजाब के कई पंजाबी भाषी गांवों को उजाड़ कर चंडीगढ़ बना दिया और चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी बना दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब से पंजाब हाईकोर्ट और पंजाबी भाषी क्षेत्र, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के अधिकार छीन लिए गए।
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पंजाब के विभाजन के बाद यह फार्मुला लागू हुआ
प्रोफेसर बडूंगर ने बताया कि 1966 में पंजाब से नया राज्य बनने के बाद पंजाब और हरियाणा में 60% और चंडीगढ़ का 40% का अनुपात तय किया गया था, इस दौरान पंजाब का कोटा 60% और हरियाणा का 40% तय किया गया था। प्रो. बडूंगर ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट को भंग करके केंद्र सरकार पर पूरा नियंत्रण पाने की कोशिश की जा रही है, जिससे पंजाबियों में भारी रोष है।
उन्होंने कहा कि पंजाबियों के साथ पहले ही बड़ा धक्का हो चुका है और अब बाकी पंजाब के साथ भी बड़ा और असहनीय धक्का होगा। प्रोफेसर बडूंगर ने केंद्र की बीजेपी सरकार से अपील करते हुए कहा कि कांग्रेस को पंजाब को आगे बढ़ाने की बजाय सरकार द्वारा पहले से किए जा रहे दबावों को दूर करना चाहिए।
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