कोरोना वायरस के कारण संपूर्ण देश में लॉकडाऊन लागू होने के बावजूद, खेतों में फसलें उगती-बढ़ती रहीं, किसान उनकी देखभाल करते रहे व पशु-पालन से लेकर फसलों की कटाई व उनके विपणन तक कृषि से संबंधित अन्य भी कई गतिविधियां जारी रहीं। इस दौरान सार्वजनिक-निजी कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान, औद्योगिक व व्यापारिक संस्थान इत्यादि सब बन्द रहे। यह किसानों व खेत-मजदूरों की सहनशीलता दर्शाती है। उनके समर्पित कार्य ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को सुनिश्चित किया तथा शहरी क्षेत्रों में दिनचर्या की आवश्यक वस्तुएं बिना किसी अवरोध के मिलती रहीं। यह भी सत्य है कि सब्जियों व फूलों की कृषि करने वाले किसानों को हुई आय की बड़ी क्षति के कारण कृषि क्षेत्र को कुछ कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ा।
सरकार ने किसानों, खेत-मजदूरों सहित सभी क्षेत्रों व लोगों के वर्गों के कल्याण की चिंता दिखाई है। उनके व देश के आर्थिक हित में सुधार प्रारंभ किए जा रहे हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाना, संतुलित जीवन व्यतीत करना व आजीविका कमाना है। इस संदर्भ में, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने विगत 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपए के सामाजिक-आर्थिक कल्याण पैकेज की घोषणा की। इस में भूमि, श्रमिक व कानून तथा आपूर्ति, मूल्य श्रृंखला कायम रखने जैसे व्यापक सुधार शामिल हैं। यह पैकेज पहाड़ों से लेकर मैदानों व समुद्री तटों तक को अपने में समाविष्ट करता है।
लघु, मध्यम व बड़े किसानों, खेत-मजदूरों सहित समाज के असुरक्षित क्षेत्रों व वर्गों को कोरोना की महामारी के बुरे प्रभावों से बचाव हेतु अत्यधिक विचार-विमर्श के उपरान्त तैयार किए इस पैकेज के विवरण बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए।
इस कल्याण पैकेज में प्रत्येक प्रकार के लोगों के दु:खों व आवश्यकताओं का पूरा ख़्याल रखा गया है। कृषि/ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित पैकेज की प्रमुख विशेषतायों में ये कुछ शामिल है।
1 लाख करोड़ रुपए फार्म-गेट आधारभूत संरचना हेतु कृषि आधारभूत संरचना कोष।
10,000 करोड़ रुपए की योजना सूक्ष्म खाद्य उद्यमों का औपचारिकीकरण।
प्रधान मंत्री मतस्य सम्पदा योजना के तहत मछुआरों के लिए 20,000 करोड़ रुपए।
नेश्नल ऐनीमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनएडीसीपी – ठअऊउढ – राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम)।
पशु-पालन आधारभूत संरचना व विकास कोष की स्थापना – 15,000 करोड़ रुपए।
जड़ियों-बूटियों की कृषि का प्रोत्साहन: 4,000 करोड़ रुपए का खर्च।
मधुमक्खी पालन की पहलें – 500 करोड़ रुपए।
‘टौप’ से ‘टोटल’ (ह्यळङ्मस्रह्ण ३ङ्म ह्यळङ्म३ं’ह्ण )- 500 करोड़ रुपए।
कृषि क्षेत्र हेतु शासन व प्रशासकीय सुधारों हेतु उपाय।
किसानों आदि को बेहतर मूल्य लेने के योग्य बनाने हेतु आवश्यक वस्तुओं से संबंधित कानून में संशोधन कोविड-19 से लड़ने तथा जीवन व आजीविकाएं बचाने के दो-धारी युद्ध में देश की अगुवाई करते हुए अब रखे गए सरकारी नीति में प्रस्तावित – मुद्रा संबंधी व नियंत्रक – सुधार कृषि को सशक्त करने, ग्रामीण जीवन की काया-कल्प करने हेतु रुचित हैं। ऐसी आवश्यकता अत्यधिक थी।
कुछ लोगों का विचार है कि ये उपाय ‘अत्यधिक देरी’ से घोषित किए गए हैं। अन्यों का कहना है कि कोरोना-वायरस का तनाव कम करने हेतु उपयुक्त ‘आय सहायता’ व भोजन सुरक्षा आवश्यक थे। कुछ ने इन उपायों को बजट-भाषण को ‘दुहराव’ बताया है तथा साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि ‘ऋण लेने सुगम कर दिए गए हैं’ पंजाब के किसानों को ऋण की आवश्यकता नहीं है। इसके स्थान पर लघु औद्योगिक इकाईयां व कृषि सेवाओं को संगठित करने की आवश्यकता है, क्यों अधिकतर लोग ई-नाम (ी-ठअट) – इलैक्ट्रौनिक नेश्नल ऐग्रीकल्चरल मार्किट पोर्टल का उपयोग नहीं कर सकते। ऐसे कई प्रकार के विचार प्रकट किए जा रहे हैं। भारत के कुल घरेलु उत्पादन का 15 प्रतिशत कृषि से आता है। देश की 1.3 अरब की जनसंख्या में आधे से अधिक की आजीविका का साधन भी यही है। अर्थ-शास्त्रियों, कृषि-वैज्ञानिकों व नीति-निर्धारकों का कहना है कि कृषि के कुल घरेलु उत्पादन पर लॉकडाऊन का अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा तथा इस बार मानसून की ऋतु में वर्षा भी अच्छी होने की आशा है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चन्द ने कहा कि विकट परिस्थितियों के बावजूद वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान कृषि क्षेत्र में तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। कृषि क्षेत्र को छूट देने का लाभ हुआ है।
पी.पी.एस. गिल्ल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व पंजाब के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)