भारत में जन्मी-पली और पार्सन्स स्कूल आॅफ डिजाइन, न्यूयॉर्क से फोटोग्राफी के साथ मास्टर आॅफ फाइन आर्ट्स कर चुकी स्पंदिता मलिक महिलाओं के अधिकारों और उनके खिलाफ हिंसा को दशार्ते प्रोजेक्ट ‘नारी’ को लेकर चर्चा में है। न्यूयॉर्क में रह रही स्पंदिता का काम वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
पेश है अमिता शुक्ला की उनसे एक बातचीत:
आपका काम एक काल्पनिक प्रोजेक्ट या सब्जेक्ट्स की डॉक्यूमेंटेशन करने जैसा अधिक लगता है। आप अपने विषय को पहले से सोचे गए तरीके में फिट करने की कोशिश करते हो या उन विषयों के अप्रत्याशित पहलुओं की वास्तविकता को कैमरे से उकेरने का प्रयास करते हो?
प्रोजक्ट ‘नारी’ डॉक्यूमेंटेशन और आर्ट का एक अनूठा मिश्रण है। भारत में रहते हुए मैंने अक्सर महसूस किया कि वहां की गई फोटोग्राफी किन्ही बाहरी व्यक्तियों के लेंस के माध्यम से गरीबी की सुरमयी छवियां दिखाने जैसी थी। वास्तविकता से कोसों दूर, किसी कैद की हुई नजर से किया गया काम। मैं एकअलग और आजाद दृष्टिकोण अपनाना चाहती थी। एक स्वतंत्र सोच के साथ किया गया यह प्रोजेक्ट मेरे देश और मेरे देश की महिलाओं के प्रति मेरी समझ का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। मैं बलात्कार की शिकार युवतियों पर शोध कर रही थी और सेल्फ-हेल्प समूहों से जुड़ी इन महिलाओं का साक्षात्कार करना चाहती थी। ये महिलाएं कढ़ाई करना सीख रही थीं। मैंने उन महिलाओं के बारे में सुना जिन्हें सेल्फ-हेल्प केंद्रों में आने की अनुमति नहीं थी और वे घर से ही काम कर रही थीं। मुझे इन महिलाओं से मिलने के लिए उनके घरों पर जाना पड़ा। उनके घरों में प्रवेश करने से पहले मेरी पूर्वाग्रह धारणा या प्री-कंसीवड नोशन नहीं होता था। मैं केवल उनसे उनके जीवन को प्रभावित करने वाली पितृसत्ता के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात करना चाहती थी। एक अजनबी व्यक्ति होते हुए भी बिना किसी भय के उन्होंने हमेशा मेरा स्वागत किया। मुझे भी उनके घरों पर जाने में कोई भय जैसा नहीं लगा। अजनबी होते हुए भी ये महिलाएं आसानी से खुलकर अपने उस दर्द के बारे में बात करतीं जो अक्सर महिलाएं बिना कहे समझ जाती हैं। जब मैं उनसे पूछती कि भारत में एक महिला होना कैसे लगता है, तो उनका जवाब होता, ‘आप तो जानती ही हैं कि कैसा लगता होगा’। महिलाओं का उनके चित्रों से मेल खाते हुए परिधानों के मेल खाने की बात बहुत ही दिलचस्प लगती है। क्या आपने उन्हें कभी विशिष्ट फैशन पैटर्न बनाने के लिए उत्साहित किया या फिर उनके अपने चित्रों पर कढ़ाई करने के विशिष्ट ख्याल पर उनका सहयोग किया? कपड़ा एक ऐसी चीज है जिसके प्रति महिलाओं का निश्चित रूप से झुकाव होता है।
क्या आपकी फैशन डिजाइन पृष्ठभूमि आपको कपड़ों से संबंधित विषय चुनने के लिए प्रेरित करती है?
मैंने जिन महिलाओं से मुलाकात की उनका साक्षात्कार करने के बाद मैंने उनके घर में उनकी तस्वीरें खींचीं। उनकी तस्वीर लेते हुए मैं समझ गई कि जो भी चित्र मैंने लिया है, वह हमेशा मेरे द्वारा उनका वर्णन रूप होगा। इसलिए मैंने उन चित्रों को क्षेत्रीय कपड़े पर प्रिंट किया और उनको उनकी इच्छानुसार इन पर बिना किसी दिशा-निर्देश के कढ़ाई करने के लिए दे दिया। जब मैं एक फोटोग्राफर के तौर पर एक तस्वीर लेती हूं, तो मैं विचार के माध्यम से उनका प्रतिनिधित्व करती हूं। जब मैं महिलाओं को अपने चित्रों को कढ़ाई करने के लिए कहती हूं, तो इससे उन्हें शक्ति मिलती है और वे अपने विचारों के माध्यम से अपने चित्रों की व्याख्या करती हैं। इसे नारी शक्ति का आदान-प्रदान कहा जा सकता है। मैंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ, राजस्थान के जयपुर, और पंजाब के चमकौर साहिब की यात्रा की। इन क्षेत्रों में सांस्कृतिक रूप से प्रसिद्ध कशीदाकारी चिकनकारी (छाया कढ़ाई), कच्छ और जरदोजी और फुलकारी हैं। महिलाओं ने क्षेत्रीय कढ़ाई के हिसाब से विशिष्ट पैटर्न में अपने चित्रों पर कढ़ाई की। पार्सन्स स्कूल आॅफ डिजाइन में फोटोग्राफी में एमएफए करते हुए मैंने शिल्प और कढ़ाई की समृद्ध भारतीय संस्कृति को प्रतिबिंबित करना शुरू किया जो मैंने अपनी दादी और मां से सीखा था। इसे मैंने फैशन डिजाइन में अपने स्नातक अध्ययन में भी अपनाया था। अत्याचार को समाप्त करने के लिए कपड़े पर धागे से लिखी गई साधारण लेकिन महत्वपूर्ण हाथों की चाल द्वारा कढ़ाई और
हैंडक्राफ्ट की इस भाषा के माध्यम से महिलाओं के बीच विरासत को बढ़ाने की भावना हमेशा से रही है।
लोगों के घरों में जाने के बाद आप ‘नारी’ शब्द संबंधी अपना विचार कैसे बदल लेती हो? आप कब से इस परियोजना पर काम कर रही हो? और आप अपने पूरे करियर में महिला संबंधी मुद्दों के विषय में रुचि रखती आई हैं, क्या इन मुद्दों की अभी भी मौजूदगी से आप निराश महसूस करती हैं या आपको एक उम्मीद है कि लोग भविष्य में बदलाव के लिए आपकी आवाज सुन सकेंगे?
मुझे उन महिलाओं द्वारा अपनी कहानियां साझा करने, उनकी बातें सुनने, उनसे सवाल पूछने, उनके मौन को समझने, ठहरावों, और कहानियों को फिर से सुनाने, साझा करने और आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी निभाने का सौभाग्य मिला। नारी एक शब्द है जो आमतौर पर हिंदी भाषा में एक महिला के लिए उपयोग किया जाता है। मैंने इस शब्द पर शोध किया, संस्कृत में नारी का अर्थ महिला,
पत्नी, स्त्री या स्त्री के रूप में मानी जाने वाली वस्तु से है, लेकिन इसका मतलब बलिदान भी हो सकता है। यह अर्थ जानकर मैं स्तब्ध रह गई।
मैं नारी परियोजना पर एक साल से अधिक समय से काम कर रही हूं। मेरा जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जो महिलाओं को पुरुषों के समान ये अधिक मानता था। मेरी मां ने समाज के मानदंडों को समाप्त कर दिया, अपने परिवार का पूरा ख्याल रखा और मुझे लिंग आधारित विचार से मुक्त वातावरण में पाला। बड़े होने के दौरान उनसे प्रेरित होते हुए समानता, शिक्षा और सुरक्षा के लिए महिलाओं का अधिकार मेरे लिए एक प्रमुख रूचि बन गई और यह मेरे रचनात्मक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण बन गया। एक प्रभावशाली उम्र में, मैंने समाचारों में क्रूर सामूहिक बलात्कार के मामलों के बारे में बहुत बार सुना और महिलाओं के अधिकारों के लिए राजनीतिक आक्रोश की कमी ने इस मामले को कम सार कर दिया और इसे घर तक ही सीमित कर दिया। इन घटनाओं ने मुझे न केवल यह विश्वास करने के लिए मजबूर किया कि भारत में एक महिला का अस्तित्व मानव से कम है बल्कि इससे मुझे भारत में महिलाओं की कहानियों पर प्रकाश डालने की प्रेरणा भी मिली।
हालांकि स्त्री जाती के प्रति द्वेष से कोई भी देश या संस्कृति अछूती नहीं है लेकिन भारत में इसकी तस्वीर कुछ अधिक परेशान करने वाली है। एक महिला के रूप में मैं इस बारे में बहुत निराश महसूस करती हूं। मुझे उम्मीद है कि मैं इन कहानियों को जितना हो सके साझा कर सकूं।
मेरा यह भी मानना है कि एक देश के रूप में, भारत एक समाज के रूप में हमारे आंतरिक दोषों के चलते एक विशाल राजनीतिक और धार्मिक टकराव से जूझ रहा है। और मेरा मानना है कि एक नई दुनिया का आरंभ होने ही वाला है जिसके लिए हमें इसकी प्रतीक्षा करनी चाहिए।
पढ़ाई के साथ आपको स्कालरशिप भी मिलती रही हैं। विस्तार से बताएं। मुझे डीन की मेरिट स्कॉलरशिप, फोटोग्राफी प्रोग्राममैटिक स्कॉलरशिप और ग्रेजुएट ट्रैवल ग्रांट अवार्ड से सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ है। मुझे फ्रांस के एरेस में एंटोनी डीज्गाटा द्वारा स्टूडियो वोर्टिक्स आर्टिस्ट रेजीडेंसी के लिए चुना गया था। इंडियाना में स्प्रूस आर्ट रेजिडेंसी, पीए और न्यूयॉर्क में बैक्सटर सेंट वर्कस्पेस रेजीडेंसी लिए चुना जाना भी मेरे लिए सम्मान की बात है।
आप एक आर्टिस्ट हैं। तो आपका काम प्रदर्शित भी हुआ होगा!
बिलकुल! मेरा काम चीन, फ्रांस, भारत, इटली और न्यूयॉर्क में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित किया गया है और उसे सराहा भी गया है।
आपको कुछ और सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। उनके बारे में बताएं।
मुझे 2020 फाउंडेशन फॉर आर्ट्स द्वारा आयोजित 2020 अप्रवासी कलाकार
मेंटरिंग प्रोग्राम में भी चुना गया है। मूसी पत्रिका ने मार्च 20 में वूमन हिस्ट्री मंथ इश्यू में मेरे काम पर एक फीचर प्रकाशित किया था।
अप्रैल 2010 में हार्पर्स मैगजीन ने भी मेरे बारे में लिखा था।
कुछ झटपट सवाल
आप अपने रचनात्मक कार्यों को एक शब्द में कैसे वर्णन करोगी?
जटिल।
यदि आप किसी एक व्यक्ति को किसी भी चीज पर एक घंटे की शिक्षा देने को कहा
जाए तो वह क्या होगा?
सर्वोत्तम मसाला चाय कैसे बनायें।
आखिरी किताब या फिल्म, जिसने आपको प्रेरित किया?
सोहैला अब्दुलाली द्वारा पुस्तक: ‘व्हाट वी टॉक अबाउट व्हाट वी टॉक अबाउट रेप’
आपकी संगीत लाइब्रेरी में सबसे ज्यादा बजने वाला गाना कौन सा है?
फिलिप ग्लास द्वारा मैड रश।
आपका कॉफी का शौक?
दिन में 10 कप।