आज समाज डिजिटल, अम्बाला:
Secret Of Saying Nandi’s Ear : मंदिरों में भगवान शिव के साथ नंदी की भी मूर्ति होती है। शिवलिंग की पूजा अचर्ना के साथ नंदी पर जल और दूध चढ़ाया जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि, पूजा के दौरान मंदिर नंदी के कानों गर कोई भक्त कोई मनोकामना मांगता है तो उसकी मनोकामना पूरी होती है क्योंकि नंदी के कानों में बोली गई बात सीधे भगवान भोले तक पहुंच जाती है।
शिव पूजा के लिए जाने वाले भक्त मनोकामना नंदी के ही कानों में मांगते हुए दिखाई देते हैं। ऐसी मान्यता है कि, जहां भी भगवान भोलेनाथ का मंदिर होता है वहीं पर भगवान नंदी की मूर्ति होना जरुरी है। शिव मंदिर में अगर नंदी की मूर्ति नहीं है तो उसे अधूरा मंदिर माना जाता है। शिव की मूर्ति के ठीक सामने ही नंदी की मूर्ति को स्थापित करनी चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक, भगवान शिव के नंदी परम भक्त हैं और वो हमेशा ही शिव के साथ रहते हैं। भोलेनाथ के साथ कैलाश पर्वत पर नंदी जी भी रहते हैं। जो कैलश पर्वत की पहरेदारी करते हैं।
नंदी भगवान: नंदी भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक हैं। कहा जाता है नंदी पूर्व में शिलाद ऋषि थे, जिन्होंने हजारों वर्षों तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न जिस पर वरदान पाया भगवान शिव ने उन्हें अपने वाहन के रूप में सदैव अपने साथ रखेंगे। तभी से वे नंदी के रूप में शिवजी के साथ रहते हैं। शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव सदैव तपस्या में लीन रहते हैं।
नंदी चैतन्यता का प्रतीक Secret Of Saying Nandi’s Ear
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव की तपस्या में किसी प्रकार का विघ्न न पड़े इसलिए नंदी चैतन्य अवस्था में उनके तपोस्थल के बाहर तैनात रहते हैं।
जो भी भक्त भगवान शिव के पास अपनी समस्या लेकर आता है नंदी उन्हें वहीं रोक लेते हैं। भक्तों को विश्वास रहता है कि नंदी उनकी बात शिवजी तक पहुंचाने में कोई भेदभाव नहीं करते और वे शिवजी के प्रमुख गण हैं इसलिए शिवजी भी उनकी बात अवश्य मानते हैं।
नंदी के कान में कहने के भी हैं कुछ नियम Secret Of Saying Nandi’s Ear
- नंदी के कान में समस्या या मनोकामना कहने के नियमों का पालन करना आवश्यक है।
- नंदी के कान में मनोकामना कहते समय ध्यान रखें कि आपकी कही हुई बात कोई और न सुनें।
- नंदी के कान में बात कहते समय होंठों को दोनों हाथों से ढंक लें ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस बात को कहते हुए न देखें।
- नंदी के कान में बुराई या दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की बात ना कहें, वरना शिवजी के क्रोध का भागी बनना पड़ेगा।
- नंदी के कान में मनोकामना कहने से पूर्व नंदी का पूजन करें और मनोकामना कहने के बाद नंदी के समीप कुछ भेंट अवश्य रखें। यह भेंट धन या फलों के रूप में हो सकती है।
- अपनी बात नंदी के किसी भी कान में कही जा सकती है लेकिन बाएं कान में कहने का अधिक महत्व है।
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