वृश्चिक राशिफल 29 अप्रैल 2022

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वृश्चिक राशिफल 29 अप्रैल 2022

***|| जय श्री राधे ||***

***  महर्षि पाराशर पंचांग ***
***अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-29/04/2022,शुक्रवार
चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष
वैशाख
******************************(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृश्चिक

आज का दिन विवाह योग्य जातकों के लिए बेहतर रहेगा,क्योंकि उन्हें कोई विवाह का उत्तम प्रस्ताव आ सकता है या जो प्रेम जीवन जी रहे हैं,वह अपने साथी को अपने परिवार के सदस्यों से मिलवा सकते हैं।
कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। योजना फलीभूत होगी। कारोबार में वृद्धि पर विचार हो सकता है। नौकरी में अधिकारीगण प्रसन्न रहेंगे। मातहतों का सहयोग मिलेगा। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। व्यापार में मनोनुकूल लाभ होगा। उत्साह व प्रसन्नता रहेगी। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। शुभ समय। आपको यदि किसी व्यक्ति से व्यापार में आ रही किसी समस्या के लिए यदि किसी से सलाह लेनी पड़े,तो किसी अनुभवी व्यक्ति से ले वह आपके लिए लाभदायक रहेगी। यदि आपकी किसी नई गाड़ी लैपटॉप,मोबाइल या जमीन-जायदाद आदि को खरीदने की इच्छा पूरी होगी,लेकिन रोजगार की तलाश कर रहे लोगों को अभी कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा।

तिथि———-चतुर्दशी 24:57:03 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———- रेवती 18:41:21
योग——– विश्कुम्भ 15:41:01
करण——- विष्टि भद्र 12:37:56
करण———– शकुनी 24:57:03
वार———————– शुक्रवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि——– मीन 18:41:21
चन्द्र राशि——————- मेष
सूर्य राशि——————– मेष
रितु———————— वसंत
सायन———————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944

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वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:43:06
सूर्यास्त————— 18:50:23
दिन काल————- 13:07:16
रात्री काल————- 10:51:52
चंद्रास्त————— 17:34:48
चंद्रोदय—————- 29:21:11

लग्न—- मेष 14°31′ , 14°31′

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र——————- रेवती
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण

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*** पद, चरण ***

दो—- रेवती 06:06:42

च—- रेवती 12:23:09

ची—- रेवती 18:41:21

चु—- अश्विनी 25:01:18

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=मीन 14:12 भरणी , 1 ली
चन्द्र =मीन 23°23 , रेवती, 2 दो
बुध =वृषभ 04 ° 07′ कृतिका ‘ 3 उ
शुक्र=कुम्भ 01°05, पू o भा o ‘ 4 दी
मंगल=कुम्भ 16°30 ‘ शतभिषा’ 3 सी
गुरु=मीन 03°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=मकर 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व)वृषभ 29°10’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29°10 विशाखा , 3 ते

अक्षय तृतीया: शुभ मुहूर्त और शुभ कार्य Good Luck And Good Work

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 10:38 – 12:17 अशुभ
यम घंटा 15:34 – 17:12 अशुभ
गुली काल 07:22 – 08:59 अशुभ
अभिजित 11:51 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:21 – 09:13 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:43 – 13:35 अशुभ

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गंड मूल अहोरात्र अशुभ

पंचक 05:43 – 18:41 अशुभ

चोघडिया, दिन
चर 05:43 – 07:22 शुभ
लाभ 07:22 – 08:59 शुभ
अमृत 08:59 – 10:38 शुभ
काल 10:38 – 12:17 अशुभ
शुभ 12:17 – 13:55 शुभ
रोग 13:55 – 15:34 अशुभ
उद्वेग 15:34 – 17:12 अशुभ
चर 17:12 – 18:50 शुभ

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चोघडिया, रात
रोग 18:50 – 20:12 अशुभ
काल 20:12 – 21:33 अशुभ
लाभ 21:33 – 22:55 शुभ
उद्वेग 22:55 – 24:16* अशुभ
शुभ 24:16* – 25:38* शुभ
अमृत 25:38* – 26:59* शुभ
चर 26:59* – 28:21* शुभ
रोग 28:21* – 29:42* अशुभ

होरा, दिन
शुक्र 05:43 – 06:49
बुध 06:49 – 07:54
चन्द्र 07:54 – 08:59
शनि 08:59 – 10:06
बृहस्पति 10:06 – 11:11
मंगल 11:11 – 12:17
सूर्य 12:17 – 13:22
शुक्र 13:22 – 14:28
बुध 14:28 – 15:34
चन्द्र 15:34 – 16:39
शनि 16:39 – 17:45
बृहस्पति 17:45 – 18:50

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होरा, रात
मंगल 18:50 – 19:45
सूर्य 19:45 – 20:39
शुक्र 20:39 – 21:33
बुध 21:33 – 22:28
चन्द्र 22:28 – 23:22
शनि 23:22 – 24:16
बृहस्पति 24:16* – 25:11
मंगल 25:11* – 26:05
सूर्य 26:05* – 26:59
शुक्र 26:59* – 27:54
बुध 27:54* – 28:48
चन्द्र 28:48* – 29:42

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मेष > 04:06 से 05:56 तक
वृषभ > 05:56 से 07:46 तक
मिथुन > 07:46 से 10:01 तक
कर्क > 10:01 से 12:18 तक
सिंह > 12:18 से 14:31 तक
कन्या > 14:31 से 06:42 तक
तुला > 06:42 से 06:57 तक
वृश्चिक > 06:57 से 09:11 तक
धनु > 09:11 से 23:13 तक
मकर > 23:13 से 01:04 तक
कुम्भ > 01:04 से 02:36 तक
मीन > 02:36 से 04:06 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 14 + 6 + 1 = 36 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

केतु ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

29 + 29 + 5 = 63 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

दोपहर 12:37 तक समाप्त

मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी

*** विशेष जानकारी ***

*मास शिवरात्रि

* सर्वार्थ सिद्धि, अमृतसिद्धि योग 18:42 तक

*पंचक समाप्त 18:42

*** शुभ विचार ***

ये तु संवत्सरं पूर्ण नित्यं मौनेन भुंजते ।
युगकोटि सहस्त्रन्तु स्वर्गलोके महीयते ।।
।। चा o नी o।।

जो व्यक्ति एक साल तक भोजन करते समय भगवान् का ध्यान करेगा और मुह से कुछ नहीं बोलेगा उसे एक हजार करोड़ वर्ष तक स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।

*** सुभाषितानि ***

गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15

श्रोत्रं चक्षुः स्पर्शनं च रसनं घ्राणमेव च ।,
अधिष्ठाय मनश्चायं विषयानुपसेवते ॥,

यह जीवात्मा श्रोत्र, चक्षु और त्वचा को तथा रसना, घ्राण और मन को आश्रय करके -अर्थात इन सबके सहारे से ही विषयों का सेवन करता है॥,9॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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