वृश्चिक राशिफल 28 मई 2022

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वृश्चिक राशिफल 28 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-28/05/2022, शनिवार
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष
ज्येष्ठ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृश्चिक

आज के दिन आपका पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। फालतू खर्च होगा। क्रोध पर नियंत्रण रखें। पुराना रोग उभर सकता है। कुसंगति से हानि होगी। अनसोचे कार्य होंगे। दांपत्य जीवन में मनमुटाव हो सकता है। पारिवारिक समस्याएँ सूझबूझ से निपटाएँ। कार्य में सहयोग मिलेगा। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। शासन व सत्ता का आपको भरपूर सहयोग मिलता दिख रहा है। आपको लंबे समय से रुके हुए कार्यों की भी सुध बुध लेनी होगी, तभी आप उन्हें समय पर पूरा कर पाएंगे, नहीं तो बाद में वह आपके लिए परेशानी खड़ी कर देंगे। आपको अपने किसी परिजन के लिए आर्थिक मदद करनी पड़ सकती है। आपके परिवार का कोई सदस्य आपकी कड़वी बातों से नाराज हो सकता है, जिन्हें आपको उन्हे मनाने की पूरी कोशिश करनी होगी। जीवनसाथी को आज आप कहीं बाहर घुमाने लेकर जा सकते हैं।

तिथि———- त्रयोदशी 13:08:53 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– भरणी 28:37:56
योग————-शोभन 22:20:38
करण———– वणिज 13:08:53
करण——–विष्टि भद्र 25:58:55
वार———————– शनिवार
माह————————– ज्येष्ठ
चन्द्र राशि———————-मेष
सूर्य राशि———————वृषभ
रितु————————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक) ———-2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:26:20
सूर्यास्त—————- 19:06:52
दिन काल————- 13:40:31
रात्री काल————- 10:19:11
चंद्रास्त—————- 17:20:24
चंद्रोदय—————- 28:28:13

लग्न—- वृषभ 12°30′ , 42°30′

सूर्य नक्षत्र—————– रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र—————— भरणी
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण

*** पद, चरण ***

ली—- भरणी 08:56:14

लू—- भरणी 15:28:44

ले—- भरणी 22:02:40

लो—- भरणी 28:37:56

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=वृषभ 11:12 रोहिणी , 1 ओ
चन्द्र = मेष 14°23 , अश्विनी , 1 ली
बुध =वृषभ 03 ° 07′ कृतिका ‘ 2 ई
शुक्र=मेष 05°05, अश्विनी ‘ 2 चे
मंगल=मीन 08°30 ‘ उoभाo’ 2 थ
गुरु=मीन 08°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°40’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°40 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 08:51 – 10:34 अशुभ
यम घंटा 13:59 – 15:42 अशुभ
गुली काल 05:26 – 07:09 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:44 शुभ
दूर मुहूर्त 07:16 – 08:10 अशुभ

चोघडिया, दिन
काल 05:26 – 07:09 अशुभ
शुभ 07:09 – 08:51 शुभ
रोग 08:51 – 10:34 अशुभ
उद्वेग 10:34 – 12:17 अशुभ
चर 12:17 – 13:59 शुभ
लाभ 13:59 – 15:42 शुभ
अमृत 15:42 – 17:24 शुभ
काल 17:24 – 19:07 अशुभ

चोघडिया, रात
लाभ 19:07 – 20:24 शुभ
उद्वेग 20:24 – 21:42 अशुभ
शुभ 21:42 – 22:59 शुभ
अमृत 22:59 – 24:16* शुभ
चर 24:16* – 25:34* शुभ
रोग 25:34* – 26:51* अशुभ
काल 26:51* – 28:09* अशुभ
लाभ 28:09* – 29:26* शुभ

होरा, दिन
शनि 05:26 – 06:35
बृहस्पति 06:35 – 07:43
मंगल 07:43 – 08:51
सूर्य 08:51 – 09:59
शुक्र 09:59 – 11:08
बुध 11:08 – 12:17
चन्द्र 12:17 – 13:25
शनि 13:25 – 14:33
बृहस्पति 14:33 – 15:42
मंगल 15:42 – 16:50
सूर्य 16:50 – 17:58
शुक्र 17:58 – 19:07

होरा, रात
बुध 19:07 – 19:58
चन्द्र 19:58 – 20:50
शनि 20:50 – 21:42
बृहस्पति 21:42 – 22:33
मंगल 22:33 – 23:25
सूर्य 23:25 – 24:16
शुक्र 24:16* – 25:08
बुध 25:08* – 25:59
चन्द्र 25:59* – 26:51
शनि 26:51* – 27:43
बृहस्पति 27:43* – 28:34
मंगल 28:34* – 29:26

उदयलग्न प्रवेशकाल

वृषभ > 03:58 से 05:56 तक
मिथुन > 05:56 से 08:09 तक
कर्क > 08:09 से 10:26 तक
सिंह > 10:26 से 12:34 तक
कन्या > 12:34 से 14:50 तक
तुला > 14:50 से 17:05 तक
वृश्चिक > 17:05 से 19:26 तक
धनु > 19:26 से 21:26 तक
मकर > 21:26 से 23:12 तक
कुम्भ > 11:12 से 00:45 तक
मीन > 00:45 से 02:11 तक
मेष > 02:11 से 03:58 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 13 + 7 + 1 = 36 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

केतु ग्रह मुखहुति

 शिव वास एवं फल -:

28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष

ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

13:09 से 26:09 तक समाप्त

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*** विशेष जानकारी ***

* मास शिवरात्रि

* सावित्री चतुर्दशी (बंगाल)

* वट सावित्री व्रत आरम्भ 3 दिन

* वीर सांवरकर जयन्ती

*** शुभ विचार ***

यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम् ।
स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्त्वा वसेत्सुखम् ।।
।। चा ० नी ०।।

जो व्यक्ति अपने घर के लोगो से बहोत आसक्ति रखता है वह भय और दुःख को पाता है. आसक्ति ही दुःख का मूल है. जिसे सुखी होना है उसे आसक्ति छोडनी पड़ेगी.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।,
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्‌॥,

काम, क्रोध तथा लोभ- ये तीन प्रकार के नरक के द्वार ( सर्व अनर्थों के मूल और नरक की प्राप्ति में हेतु होने से यहाँ काम, क्रोध और लोभ को ‘नरक के द्वार’ कहा है) आत्मा का नाश करने वाले अर्थात्‌ उसको अधोगति में ले जाने वाले हैं।, अतएव इन तीनों को त्याग देना चाहिए॥,21॥,

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)