वृश्चिक राशिफल 25 जून 2022

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Scorpio Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
********************

दिनाँक:-25/06/2022, शनिवार
अष्टमी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृश्चिक 

आज आपका मन कुछ अशांत व परेशान रहेगा, लेकिन आपके शत्रु आपके बनते हुए कामों में रोड़ा अटका ने की पूरी कोशिश करेंगे और व्यापार में भी वृद्धि के लिए किए गए प्रयास आपके सफल होंगे। आपका यदि कोई कानूनी कार्य लंबित है, तो उसमें आपको कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है। बेवजह दौड़धूप रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कोई शोक समाचार मिल सकता है। अपेक्षित कार्यों में बाधा उत्पन्न हो सकती है। पार्टनरों से मतभेद संभव है। व्यवसाय की गति धीमी रहेगी। आय बनी रहेगी। दूसरों को कार्य में हस्तक्षेप न करें। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। आप परेशान होने के कारण किसी परिवार के सदस्य से कठोर व्यवहार से बातचीत कर सकते हैं, जिसके बाद मे वह आपसे नाराज हो सकते हैं। जीवनसाथी का सहयोग व सानिध्य आपको भरपूर मात्रा में मिलता दिख रहा है। विद्यार्थियों को अपने सीनियर से गुरुजनों का पूरा सहयोग मिलेगा।

तिथि —————द्वादशी 25:09:22 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– भरणी 10:22:34
योग————– धृति 29:52:11
करण———– कौलव 12:07:46
करण———– तैतुल 25:09:22
वार———————– शनिवार
माह———————– आषाढ
चन्द्र राशि———-मेष 17:01:22
चन्द्र राशि——————- वृषभ
सूर्य राशि——————- मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक) ———-2078
शक संवत——————-1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:26:42
सूर्यास्त—————- 19:16:59
दिन काल————–13:50:17
रात्री काल————- 10:09:59
चंद्रास्त—————- 16:11:24
चंद्रोदय—————- 27:05:10

लग्न—-मिथुन 9°17′ , 69°17′

सूर्य नक्षत्र———————आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र—————— भरणी
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण

*** पद, चरण ***

लो—- भरणी 10:22:34

अ—- कृत्तिका 17:01:22

ई—- कृत्तिका 23:41:24

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 09:12 आर्द्रा , 1 कु
चन्द्र = मेष 24°23 भरणी, 4 लो
बुध =वृषभ 18 ° 07′ रोहिणी ‘ 3 वी
शुक्र=वृषभ 08°05, कृतिका ‘ 4 ए
मंगल=मीन 28°30 ‘ रेवती ‘ 4 ची
गुरु=मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 26°10’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 26°10 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 08:54 – 10:38 अशुभ
यम घंटा 14:06 – 15:49 अशुभ
गुली काल 05:27 – 07:10 अशुभ
अभिजित 11:54 -12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 07:17 – 08:13 अशुभ

***चोघडिया, दिन
काल 05:27 – 07:10 अशुभ
शुभ 07:10 – 08:54 शुभ
रोग 08:54 – 10:38 अशुभ
उद्वेग 10:38 – 12:22 अशुभ
चर 12:22 – 14:06 शुभ
लाभ 14:06 – 15:49 शुभ
अमृत 15:49 – 17:33 शुभ
काल 17:33 – 19:17 अशुभ

***चोघडिया, रात
लाभ 19:17 – 20:33 शुभ
उद्वेग 20:33 – 21:49 अशुभ
शुभ 21:49 – 23:06 शुभ
अमृत 23:06 – 24:22* शुभ
चर 24:22* – 25:38* शुभ
रोग 25:38* – 26:54* अशुभ
काल 26:54* – 28:11* अशुभ
लाभ 28:11* – 29:27* शुभ

***होरा, दिन
शनि 05:27 – 06:36
बृहस्पति 06:36 – 07:45
मंगल 07:45 – 08:54
सूर्य 08:54 – 10:03
शुक्र 10:03 – 11:13
बुध 11:13 – 12:22
चन्द्र 12:22 – 13:31
शनि 13:31 – 14:40
बृहस्पति 14:40 – 15:49
मंगल 15:49 – 16:59
सूर्य 16:59 – 18:08
शुक्र 18:08 – 19:17

***होरा, रात
बुध 19:17 – 20:08
चन्द्र 20:08 – 20:59
शनि 20:59 – 21:49
बृहस्पति 21:49 – 22:40
मंगल 22:40 – 23:31
सूर्य 23:31 – 24:22
शुक्र 24:22* – 25:13
बुध 25:13* – 26:04
चन्द्र 26:04* – 26:54
शनि 26:54* – 27:45
बृहस्पति 27:45* – 28:36
मंगल 28:36* – 29:27

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 04:00 से 06:16 तक
कर्क > 06:16 से 08:40 तक
सिंह > 08:40 से 10:44 तक
कन्या > 10:44 से 13:00 तक
तुला > 13:00 से 15:15 तक
वृश्चिक > 15:15 से 17:30 तक
धनु > 17:30 से 19:40 तक
मकर > 19:40 से 21:22 तक
कुम्भ > 2122 से 22:56 तक
मीन > 22:56 से 00:22 तक
मेष > 00:22 से 02:06 तक
वृषभ > 02:06 से 04:00 तक

***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

***दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 12 + 7 + 1 = 35 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

***भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

* धृति योग अहोरात्र

*** शुभ विचार ***

एकोऽपि गुणवान् पुत्रो निर्गुणैश्च शतैर्वरः ।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च ताराः सहस्त्रशः ।।
।। चा o नी o।।

सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अन्धकार को भगाता है, असंख्य तारे यह काम नहीं करते.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17

यज्ञे तपसि दाने च स्थितिः सदिति चोच्यते।,
कर्म चैव तदर्थीयं सदित्यवाभिधीयते॥,

तथा यज्ञ, तप और दान में जो स्थिति है, वह भी ‘सत्‌’ इस प्रकार कही जाती है और उस परमात्मा के लिए किया हुआ कर्म निश्चयपूर्वक सत्‌-ऐसे कहा जाता है॥,27॥,

*आपका दिन मंगलमय हो*
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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