वृश्चिक राशिफल 20 नवंबर 2022

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Scorpio Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺

दिनाँक :- 20/11/2022, रविवार
एकादशी, कृष्ण पक्ष
मार्गशीर्ष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृश्चिक

राजकीय बाधा दूर होकर लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। क्रोध पर नियंत्रण रखें। लाभ होगा। रुके हुए काम समय पर पूरे होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा। परिवार की समस्याओं का समाधान हो सकेगा। व्यापार में नई योजनाएँ बनेंगी। व्यापार अच्छा चलेगा।

तिथि——– एकादशी 10:40:47 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र————- हस्त 24:34:58
योग————– प्रीति 23:01:59
करण———– बालव 10:40:47
करण———– कौलव 22:29:18
वार———————— रविवार
माह——————— मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि——————- कन्या
सूर्य राशि——————- वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————- दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)———————-नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2079
शक संवत——————-1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:44:57
सूर्यास्त—————- 17:24:23
दिन काल————- 10:39:25
रात्री काल—————13:21:21
चंद्रास्त—————- 15:06:09
चंद्रोदय—————- 27:45:38

लग्न—- वृश्चिक 3°31′ , 213°31′

सूर्य नक्षत्र—————–अनुराधा
चन्द्र नक्षत्र——————- हस्त
नक्षत्र पाया——————- रजत

🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩

ष—- हस्त 12:29:43

ण—- हस्त 18:33:44

ठ—- हस्त 24:34:58

पे—- चित्रा 30:33:27

💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृश्चिक 02 :29 अनुराधा , 1 ना
चन्द्र =कन्या 13°23, हस्त, 2 ष
बुध =वृश्चिक 10 ° 34′ अनुराधा ‘3 नू
शुक्र=वृश्चिक 10°05, अनुराधा ‘ 2 नू
मंगल=वृषभ 28°30 ‘ मृगशिरा’ 2 वो
गुरु=मीन 04°30 ‘ उ o भा o, 1 दू
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 18°20 भरणी , 2 लू
केतु=(व) तुला 18°20 विशाखा , 4 ता

🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩

राहू काल 16:04 – 17:24 अशुभ
यम घंटा 12:05 – 13:25 अशुभ
गुली काल 14:45 – 16:04 अशुभ
अभिजित 11:43 – 12:26 शुभ
दूर मुहूर्त 15:59 – 16:42 अशुभ
वर्ज्यम 08:50 – 10:28 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:45 – 08:05 अशुभ
चर 08:05 – 09:25 शुभ
लाभ 09:25 – 10:45 शुभ
अमृत 10:45 – 12:05 शुभ
काल 12:05 – 13:25 अशुभ
शुभ 13:25 – 14:45 शुभ
रोग 14:45 – 16:04 अशुभ
उद्वेग 16:04 – 17:24 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
शुभ 17:24 – 19:05 शुभ
अमृत 19:05 – 20:45 शुभ
चर 20:45 – 22:25 शुभ
रोग 22:25 – 24:05* अशुभ
काल 24:05* – 25:45* अशुभ
लाभ 25:45* – 27:25* शुभ
उद्वेग 27:25* – 29:06* अशुभ
शुभ 29:06* – 30:46* शुभ

💮होरा, दिन
सूर्य 06:45 – 07:38
शुक्र 07:38 – 08:32
बुध 08:32 – 09:25
चन्द्र 09:25 – 10:18
शनि 10:18 – 11:11
बृहस्पति 11:11 – 12:05
मंगल 12:05 – 12:58
सूर्य 12:58 – 13:51
शुक्र 13:51 – 14:45
बुध 14:45 – 15:38
चन्द्र 15:38 – 16:31
शनि 16:31 – 17:24

🚩होरा, रात
बृहस्पति 17:24 – 18:31
मंगल 18:31 – 19:38
सूर्य 19:38 – 20:45
शुक्र 20:45 – 21:52
बुध 21:52 – 22:58
चन्द्र 22:58 – 24:05
शनि 24:05* – 25:12
बृहस्पति 25:12* – 26:19
मंगल 26:19* – 27:25
सूर्य 27:25* – 28:32
शुक्र 28:32* – 29:39
बुध 29:39* – 30:46

🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩

वृश्चिक > 05:33 से 07:54 तक
धनु > 07:54 से 10:24 तक
मकर > 10:24 से 12:02 तक
कुम्भ > 12:02 से 13:32 तक
मीन > 13:32 से 14:04 तक
मेष > 14:04 से 15:38 तक
वृषभ > 15:38 से 18:24 तक
कर्क > 18:24 से 22:54 तक
सिंह > 22:54 से 01:08 तक
कन्या > 01:08 से 03:12 तक
तुला > 03:22 से 05:33 तक

🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 11 + 1 + 1 = 29 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

केतु ग्रह मुखहुति

💮 शिव वास एवं फल -:

26 + 26 + 5 = 57 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

🚩भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮

*उत्पत्ति एकादशी व्रत (सर्वेषां)

*सर्वार्थ सिद्धि योग 24:35 तक

💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮

काष्ठ-पाषाण-धातूनां कृत्वा भावेन सेवनम् ।
श्रध्दया च तया सिध्दिस्तस्य विष्णोः प्रसादतः ।।
।। चा o नी o।।

काठ, पाषाण तथा धातु की भी श्रध्दापूर्वक सेवा करने से और भगवत्कृपा से सिध्दि प्राप्त हो जाती है।

🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩

गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11

रुद्रादित्या वसवो ये च साध्याविश्वेऽश्विनौ मरुतश्चोष्मपाश्च ।,
गंधर्वयक्षासुरसिद्धसङ्‍घावीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे ॥,

जो ग्यारह रुद्र और बारह आदित्य तथा आठ वसु, साध्यगण, विश्वेदेव, अश्विनीकुमार तथा मरुद्गण और पितरों का समुदाय तथा गंधर्व, यक्ष, राक्षस और सिद्धों के समुदाय हैं- वे सब ही विस्मित होकर आपको देखते हैं॥,22॥,

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