वृश्चिक राशिफल 19 मई 2022

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वृश्चिक राशिफल 19 मई 2022

*** || जय श्री राधे || ***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** 

दिनाँक:-19/05/2022, गुरुवार
चतुर्थी, कृष्ण पक्ष
ज्येष्ठ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृश्चिक

आज का दिन आपका मन कुछ परेशान रहेगा,जिसके कारण आप किसी भी कार्य पर फोकस नहीं कर पाएंगे। किसी सदस्य के स्वास्थ्य में अक्समात गिरावट हो सकती है। आकस्मिक खर्च अधिक होगा। तनाव रहेगा। थकान रहेगी। जोखिम न लें। धैर्य रखें। माता के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। संघर्ष, भागदौड़ के बाद रोजगार में इच्छित सफलता मिलने के योग हैं। परिवार, समाज में आपके कार्यों को महत्व दिया जाएगा। यदि आपका कोई वाद विवाद राज्य में लंबित है,तो उसमें आपको सफलता मिलने की संभावना बनती दिख रही है। आपको अपने किसी शत्रु से बातचीत करते समय अपने मन के राज्यों को नहीं खोलना है,नहीं तो वह इसका फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर सकते हैं। विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा में आ रही समस्याओं का समाधान अपने सीनियर्स की मदद से मिलेगा।

 

तिथि———– चतुर्थी 20:23:18 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र————- मूल 05:35:57
नक्षत्र——– पूर्वाषाढा 27:16:10
योग———— साध्य 14:56:12
करण————– बव 09:58:01
करण———– बालव 20:23:18
वार———————– गुरूवार
माह————————– ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——————— धनु
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————– ग्रीष्म
आयन——————–उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:29:44
सूर्यास्त————— 19:01:55
दिन काल————- 13:32:11
रात्री काल————- 10:27:21
चंद्रास्त—————- 08:11:18
चंद्रोदय—————- 22:51:24

लग्न—- वृषभ 3°51′ , 33°51

सूर्य नक्षत्र—————– कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र——————— मूल
नक्षत्र पाया——————– ताम्र

*** पद, चरण ***

भी—- मूल 05:35:57

भू—- पूर्वाषाढा 10:59:28

धा—- पूर्वाषाढा 16:23:56

फा—- पूर्वाषाढा 21:49:27

ढा—- पूर्वाषाढा 27:16:10

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृषभ 03:12 कृतिका , 3 उ
चन्द्र =धनु 13°23 , मूल , 4 भी
बुध =वृषभ 08 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=मीन 24 °05, रेवती ‘ 3 च
मंगल=कुम्भ 01°30 ‘ पूoभाo’ 4 दी
गुरु=मीन 07°30 ‘ ऊ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°10’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°10 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 13:57 – 15:39 अशुभ
यम घंटा 05:30 – 07:11 अशुभ
गुली काल 08:53 – 10:34 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 10:00 – 10:55 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:25 – 16:19 अशुभ

गंड मूल 05:30 – 05:36 अशुभ

चोघडिया, दिन
शुभ 05:30 – 07:11 शुभ
रोग 07:11 – 08:53 अशुभ
उद्वेग 08:53 – 10:34 अशुभ
चर 10:34 – 12:16 शुभ
लाभ 12:16 – 13:57 शुभ
अमृत 13:57 – 15:39 शुभ
काल 15:39 – 17:20 अशुभ
शुभ 17:20 – 19:02 शुभ

चोघडिया, रात
अमृत 19:02 – 20:20 शुभ
चर 20:20 – 21:39 शुभ
रोग 21:39 – 22:57 अशुभ
काल 22:57 – 24:16* अशुभ
लाभ 24:16* – 25:34* शुभ
उद्वेग 25:34* – 26:52* अशुभ
शुभ 26:52* – 28:11* शुभ
अमृत 28:11* – 29:29* शुभ

होरा, दिन
बृहस्पति 05:30 – 06:37
मंगल 06:37 – 07:45
सूर्य 07:45 – 08:53
शुक्र 08:53 – 10:00
बुध 10:00 – 11:08
चन्द्र 11:08 – 12:16
शनि 12:16 – 13:24
बृहस्पति 13:24 – 14:31
मंगल 14:31 – 15:39
सूर्य 15:39 – 16:47
शुक्र 16:47 – 17:54
बुध 17:54 – 19:02

होरा, रात
चन्द्र 19:02 – 19:54
शनि 19:54 – 20:46
बृहस्पति 20:46 – 21:39
मंगल 21:39 – 22:31
सूर्य 22:31 – 23:23
शुक्र 23:23 – 24:16
बुध 24:16* – 25:08
चन्द्र 25:08* – 26:00
शनि 26:00* – 26:52
बृहस्पति 26:52* – 27:45
मंगल 27:45* – 28:37
सूर्य 28:37* – 29:29

उदयलग्न प्रवेशकाल 

वृषभ > 04:30 से 06:28 तक
मिथुन > 06:28 से 08:41 तक
कर्क > 08:41 से 10:58 तक
सिंह > 10:58 से 13:11 तक
कन्या > 13:11 से 15:22 तक
तुला > 15:22 से 17:37 तक
वृश्चिक > 17:37 से 19:58 तक
धनु > 19:02 से 21:58 तक
मकर > 21:58 से 23:44 तक
कुम्भ > 11:44 से 01:17 तक
मीन > 01:17 से 02:47 तक
मेष > 02:47 से 04:30 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 4 + 5 + 1 = 25 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

मंगल ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

19 + 19 + 5 = 43 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

***  विशेष जानकारी ***

* चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय रात्रि 22:53

*** शुभ विचार ***

अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदाः ।
सेव्यतां मध्यभागेन राजविह्निगुरुस्त्रियः ।।
।। चा o नी o।।

जो व्यक्ति राजा से, अग्नि से, धर्म गुरु से और स्त्री से बहुत परिचय बढ़ाता है वह विनाश को प्राप्त होता है. जो व्यक्ति इनसे पूर्ण रूप से अलिप्त रहता है, उसे अपना भला करने का कोई अवसर नहीं मिलता. इसलिए इनसे सुरक्षित अंतर रखकर सम्बन्ध रखना चाहिए.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

चिन्तामपरिमेयां च प्रलयान्तामुपाश्रिताः।,
कामोपभोगपरमा एतावदिति निश्चिताः॥,

तथा वे मृत्युपर्यन्त रहने वाली असंख्य चिन्ताओं का आश्रय लेने वाले, विषयभोगों के भोगने में तत्पर रहने वाले और ‘इतना ही सुख है’ इस प्रकार मानने वाले होते हैं॥,11॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)