वृश्चिक राशिफल 14 मई 2022

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वृश्चिक राशिफल 14 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***

***महर्षि पाराशर पंचांग ***
***अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** ***

दिनाँक:-14/05/2022,शनिवार
त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृश्चिक

आज का दिन आपके लिए काफी मजबूत रहेगा, क्योंकि आपको व्यवसाय मे आपका रुका हुआ धन प्राप्त होगा, जिसकी आपने उम्मीद भी नहीं की थी और कार्यक्षेत्र में भी आपको दिनभर लाभ के अवसर मिलते रहेंगे। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। व्यवसाय मनोनुकूल लाभ होगा। रोग घेरेंगे। चिंताएं बढ़ेंगी। शत्रु शांत होंगे। अपमान, कष्ट, कलह से बचना होगा। राज्य से लाभ के अवसर बढ़ेंगे। लाभ होगा। शत्रु परेशान करेंगे। कुछ नुकसान होगा। यदि व्यापार में कुछ नवीनता ला सके, तो भविष्य में आप उसका भरपूर लाभ उठाएंगे। आप भविष्य के लिए भी कुछ धन संचय करने में कामयाब रहेंगे और आपका कोई संपत्ति संबंधित विवाद सुलझ सकता है, जिसमे आपको विजय प्राप्त होगी। आप किसी धार्मिक आयोजन में सम्मिलित होंगे।

 

तिथि———-त्रयोदशी 15:22:21 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र————- चित्रा 17:26:37
योग———— सिद्वि 12:57:17
करण———– तैतुल 15:22:21
करण————– गर 26:07:27
वार———————– शनिवार
माह———————— वैशाख
चन्द्र राशि——- कन्या 06:11:28
चन्द्र राशि——————- तुला
सूर्य राशि——— मेष 29:28:18
सूर्य राशि——————- वृषभ
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:32:22
सूर्यास्त—————- 18:59:03
दिन काल————- 13:26:41
रात्री काल————- 10:32:45
चंद्रोदय————— 17:08:08
चंद्रास्त—————- 28:44:08

लग्न—- मेष 29°2′ , 29°2′

सूर्य नक्षत्र—————– कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र——————- चित्रा
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण *** 

पो—- चित्रा 06:11:28

रा—- चित्रा 11:50:06

री—- चित्रा 17:26:37

रू—- स्वाति 23:01:05

रे—- स्वाति 28:33:40

*** ग्रह गोचर *** 

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=मेष 29:12 कृतिका , 1 अ
चन्द्र =कन्या 29°23 , चित्रा , 2 पो
बुध =वृषभ 10 ° 07′ रोहिणी ‘ 1 ओ
शुक्र=मीन 18 °05, रेवती ‘ 1 दे
मंगल=कुम्भ 27°30 ‘ पूoभाo’ 3 दा
गुरु=मीन 06°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°20’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°20 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण *** 

राहू काल 08:54 – 10:35 अशुभ
यम घंटा 13:57 – 15:37 अशुभ
गुली काल 05:32 – 07:13 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 07:20 – 08:14 अशुभ

चोघडिया, दिन
काल 05:32 – 07:13 अशुभ
शुभ 07:13 – 08:54 शुभ
रोग 08:54 – 10:35 अशुभ
उद्वेग 10:35 – 12:16 अशुभ
चर 12:16 – 13:57 शुभ
लाभ 13:57 – 15:37 शुभ
अमृत 15:37 – 17:18 शुभ
काल 17:18 – 18:59 अशुभ

चोघडिया, रात
लाभ 18:59 – 20:18 शुभ
उद्वेग 20:18 – 21:37 अशुभ
शुभ 21:37 – 22:56 शुभ
अमृत 22:56 – 24:15* शुभ
चर 24:15* – 25:35* शुभ
रोग 25:35* – 26:54* अशुभ
काल 26:54* – 28:13* अशुभ
लाभ 28:13* – 29:32* शुभ

होरा, दिन
शनि 05:32 – 06:40
बृहस्पति 06:40 – 07:47
मंगल 07:47 – 08:54
सूर्य 08:54 – 10:01
शुक्र 10:01 – 11:08
बुध 11:08 – 12:16
चन्द्र 12:16 – 13:23
शनि 13:23 – 14:30
बृहस्पति 14:30 – 15:37
मंगल 15:37 – 16:45
सूर्य 16:45 – 17:52
शुक्र 17:52 – 18:59

होरा, रात
बुध 18:59 – 19:52
चन्द्र 19:52 – 20:45
शनि 20:45 – 21:37
बृहस्पति 21:37 – 22:30
मंगल 22:30 – 23:23
सूर्य 23:23 – 24:15
शुक्र 24:15* – 25:08
बुध 25:08* – 26:01
चन्द्र 26:01* – 26:54
शनि 26:54* – 27:46
बृहस्पति 27:46* – 28:39
मंगल 28:39* – 29:32

***  उदयलग्न प्रवेशकाल *** 

मेष > 03:14 से 04:54 तक
वृषभ > 04:54 से 06:54 तक
मिथुन > 06:54 से 09:02 तक
कर्क > 09:02 से 11:20 तक
सिंह > 11:20 से 13:36 तक
कन्या > 13:36 से 05:48 तक
तुला > 05:48 से 06:00 तक
वृश्चिक > 06:00 से 08:12 तक
धनु > 08:12 से 22:14 तक
मकर > 22:14 से 11:54 तक
कुम्भ > 11:54 से 01:40 तक
मीन > 01:40 से 03:14 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

13 + 7 + 1 = 21 ÷ 4 = 1शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान *** 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शनि ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

13 + 13 + 5 = 31 ÷ 7 = 3शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी *** 

* श्रीनृसिंह जयंती

*सर्वार्थसिद्धि योग 17:27 से

*वृषभे सूर्य: 29:30 पर

*** शुभ विचार *** 

अन्यायोपार्जितं द्रव्यं दश वर्षाणि तिष्ठति ।
प्राप्ते एकादशे वर्षे समूलं च विनश्यति ।।
।। चा o नी o।।

पाप से कमाया हुआ पैसा दस साल रह सकता है. ग्यारवे साल में वह लुप्त हो जाता है, उसकी मुद्दल के साथ.

*** सुभाषितानि *** 

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

द्वौ भूतसर्गौ लोकऽस्मिन्दैव आसुर एव च।,
दैवो विस्तरशः प्रोक्त आसुरं पार्थ में श्रृणु॥,

हे अर्जुन! इस लोक में भूतों की सृष्टि यानी मनुष्य समुदाय दो ही प्रकार का है, एक तो दैवी प्रकृति वाला और दूसरा आसुरी प्रकृति वाला।, उनमें से दैवी प्रकृति वाला तो विस्तारपूर्वक कहा गया, अब तू आसुरी प्रकृति वाले मनुष्य समुदाय को भी विस्तारपूर्वक मुझसे सुन॥,6॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

 

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