***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
दिनाँक:- 11/09/2022, रविवार
प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष,
आश्विन
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
वृश्चिक
तंत्र-मंत्र में रुचि जागृत होगी। किसी जानकार व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय सताएगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे।
तिथि——– प्रतिपदा 13:14:21 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र—- पूर्वा भाद्रपदा 08:00:54
योग————– शूल 11:57:56
करण———– कौलव 13:14:21
करण———– तैतुल 24:19:50
वार———————— रविवार
माह———————– आश्विन
चन्द्र राशि——————– मीन
सूर्य राशि——————- सिंह
ऋतु————————– वर्षा
सायन———————— शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:03:40
सूर्यास्त—————- 18:27:37
दिन काल————- 12:23:57
रात्री काल————- 11:36:29
चंद्रास्त—————- 06:43:04
चंद्रोदय—————- 19:20:17
लग्न—- सिंह 24°6′ , 144°6′
सूर्य नक्षत्र———— पूर्वा फाल्गुनी
चन्द्र नक्षत्र———– पूर्वा भाद्रपदा
नक्षत्र पाया———————ताम्र
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
दी—- पूर्वा भाद्रपदा 08:00:54
दू—- उत्तराभाद्रपदा 13:41:50
थ—- उत्तरा भाद्रपदा 19:24:56
झ—- उत्तरा भाद्रपदा 25:10:17
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=सिंह 24:12 पू o फ़ाo , 4 टू
चन्द्र =मीन 04 °23, पू o भा, 4 दी
बुध =कन्या 14 ° 07′ हस्त ‘ 2 ष
शुक्र=सिंह 13°05, मघा ‘ 4 मे
मंगल=वृषभ 17°30 ‘ रोहिणी’ 3 वी
गुरु=मीन 11°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=मकर 26°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 22°00’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 22°00 विशाखा , 1 ती
राहू काल 16:55 – 18:28 अशुभ
यम घंटा 12:16 – 13:49 अशुभ
गुली काल 15:22 – 16:55 अशुभ
अभिजित 11:51 – 12:40 शुभ
दूर मुहूर्त 16:48 – 17:38 अशुभ
वर्ज्यम 17:07 – 18:39 अशुभ
🚩पंचक अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:04 – 07:37 अशुभ
चर 07:37 – 09:10 शुभ
लाभ 09:10 – 10:43 शुभ
अमृत 10:43 – 12:16 शुभ
काल 12:16 – 13:49 अशुभ
शुभ 13:49 – 15:22 शुभ
रोग 15:22 – 16:55 अशुभ
उद्वेग 16:55 – 18:28 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:28 – 19:55 शुभ
अमृत 19:55 – 21:22 शुभ
चर 21:22 – 22:49 शुभ
रोग 22:49 – 24:16* अशुभ
काल 24:16* – 25:43* अशुभ
लाभ 25:43* – 27:10* शुभ
उद्वेग 27:10* – 28:37* अशुभ
शुभ 28:37* – 30:04* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 06:04 – 07:06
शुक्र 07:06 – 08:08
बुध 08:08 – 09:10
चन्द्र 09:10 – 10:12
शनि 10:12 – 11:14
बृहस्पति 11:14 – 12:16
मंगल 12:16 – 13:18
सूर्य 13:18 – 14:20
शुक्र 14:20 – 15:22
बुध 15:22 – 16:24
चन्द्र 16:24 – 17:26
शनि 17:26 – 18:28
🚩होरा, रात
बृहस्पति 18:28 – 19:26
मंगल 19:26 – 20:24
सूर्य 20:24 – 21:22
शुक्र 21:22 – 22:20
बुध 22:20 – 23:18
चन्द्र 23:18 – 24:16
शनि 24:16* – 25:14
बृहस्पति 25:14* – 26:12
मंगल 26:12* – 27:10
सूर्य 27:10* – 28:08
शुक्र 28:08* – 29:06
बुध 29:06* – 30:04
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
सिंह > 04:20 से 05:36 तक
कन्या > 05:36 से 07:50 तक
तुला > 07:50 से 09:56 तक
वृश्चिक > 09:56 से 12:12 तक
धनु > 12:12 से 14:38 तक
मकर > 14:38 से 16:20 तक
कुम्भ > 16:20 से 17:46 तक
मीन > 17:46 से 18:22 तक
मेष > 18:22 से 19:54 तक
वृषभ > 19:54 से 22:42 तक
मिथुन > 22:42 से 01:06 तक
कर्क > 01:06 से 03:12 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 1 + 1 + 1 = 18 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
16 + 16 + 5 = 37 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* प्रतिपदा श्राद्ध
* सर्वार्थ सिद्धि योग 08:01 से
*विनोवा भावे जयंती
*महादेवी वर्मा पुण्य तिथि
* जैन क्षमावाणी पर्व
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
हस्ती स्थूलतनुः सचांकुशवशः कि हस्तिमात्रेकुंशः ।
दीपे प्रज्वलिते प्रणश्यति तमः किं दीपमात्रं तमः ।।
वज्रेणापि हताः पतन्ति गिरयः किं वज्रमात्रन्नगाः ।
तेजो यस्य विराजते स बलवान्स्थूलेषुकः प्रत्ययः ।।
।। चा o नी o।।
हाथी का शरीर कितना विशाल है लेकिन एक छोटे से अंकुश से नियंत्रित हो जाता है.
एक दिया घने अन्धकार का नाश करता है, क्या अँधेरे से दिया बड़ा है.
एक कड़कती हुई बिजली एक पहाड़ को तोड़ देती है, क्या बिजली पहाड़ जितनी विशाल है.
जी नहीं. बिलकुल नहीं. वही बड़ा है जिसकी शक्ति छा जाती है. इससे कोई फरक नहीं पड़ता की आकार कितना है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविज्ञानयोग अo-13
क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत।,
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोर्ज्ञानं यत्तज्ज्ञानं मतं मम॥,
हे अर्जुन! तू सब क्षेत्रों में क्षेत्रज्ञ अर्थात जीवात्मा भी मुझे ही जान (गीता अध्याय 15 श्लोक 7 और उसकी टिप्पणी देखनी चाहिए) और क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ को अर्थात विकार सहित प्रकृति और पुरुष का जो तत्व से जानना है (गीता अध्याय 13 श्लोक 23 और उसकी टिप्पणी देखनी चाहिए) वह ज्ञान है- ऐसा मेरा मत है॥,2॥,
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