वृश्चिक राशिफल 11 अप्रैल 2022 Scorpio Horoscope 11 April 2022

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Scorpio Horoscope today 13 April 2022 in hindi
Scorpio Horoscope today 13 April 2022 in hindi

***|| जय श्री राधे ||***

***  महर्षि पाराशर पंचांग *** 
*** अथ पंचांगम् *** 
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** *** 

दिनाँक:-11/04/2022, सोमवार
दशमी, शुक्ल पक्ष
चैत्र
*** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल *** 

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृश्चिक

Scorpio Horoscope 11 April 2022: आज का दिन आपके यश व सम्मान में वृद्धि का दिन रहेगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। कोई नया बड़ा काम करने की योजना बनेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। भ्रम की स्थिति बन सकती है। बुद्धि का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। आप अपने रुके हुए कार्यों के पूरा होने के कारण प्रसन्न रहेंगे,लेकिन आपको परिवार के किसी भी वरिष्ठ सदस्य से बहसबाजी में पड़ने से बचना होगा,नहीं तो इसमें उन्हें बहुत दुख होगा। सायंकाल के समय आप अपने किसी मित्र के लिए कुछ रुपयों का इंतजाम भी कर सकते हैं। यदि आपको किसी विपरीत परिस्थिति का सामना भी करना पड़े,तो उसमें आपको हिम्मत से काम लेना होगा। ससुराल पक्ष के किसी व्यक्ति से बातचीत करते समय आपको अपने मन की में चल रही व्यवसाय की योजनाओं को छुपाना होगा,नहीं तो वह उनका लाभ उठा सकते हैं।

तिथि———- दशमी 28:29:40 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र————- पुष्य 06:49:56
योग————- धृति 12:16:41
करण———– तैतुल 15:57:27
करण————– गर 28:29:40
वार———————– सोमवार
माह————————— चैत्र
चन्द्र राशि——————– कर्क
सूर्य राशि——————- मीन
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————— नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:00:21
सूर्यास्त—————- 18:40:31
दिन काल————- 12:40:09
रात्री काल————- 11:18:47
चंद्रोदय————— 13:26:49
चंद्रास्त—————- 27:23:20

लग्न—- मीन 26°57′ , 356°57′

सूर्य नक्षत्र——————–रेवती
चन्द्र नक्षत्र——————- पुष्य
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण *** 

ड—- पुष्य 06:49:56

डी—- आश्लेषा 13:19:35

डू—- आश्लेषा 19:46:48

डे—- आश्लेषा 26:11:32

*** ग्रह गोचर *** 

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** 
सूर्य=मीन 26:12 रेवती , 4 ची
चन्द्र =कर्क 16°23, पुष्य, 4 ड
बुध =मेष 05 ° 07′ अश्विनी ‘ 2 चे
शुक्र=कुम्भ 11°05, शतभिषा ‘ 2 सा
मंगल=कुम्भ 02°30 ‘ धनिष्ठा’ 3 गु
गुरु=कुम्भ 29°30 ‘ पू o भा o, 3 दा
शनि=मकर 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 00°10’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 00°10 विशाखा , 4 तो

*** मुहूर्त प्रकरण *** 

राहू काल 07:35 – 09:10 अशुभ
यम घंटा 10:45 – 12:20 अशुभ
गुली काल 13:55 – 15:30 अशुभ
अभिजित 11:55 -12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 12:46 – 13:36 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:18 – 16:08 अशुभ

*** गंड मूल 06:50 – अहोरात्र अशुभ *** 

*** चोघडिया, दिन *** 
अमृत 06:00 – 07:35 शुभ
काल 07:35 – 09:10 अशुभ
शुभ 09:10 – 10:45 शुभ
रोग 10:45 – 12:20 अशुभ
उद्वेग 12:20 – 13:55 अशुभ
चर 13:55 – 15:30 शुभ
लाभ 15:30 – 17:06 शुभ
अमृत 17:06 – 18:41 शुभ

*** चोघडिया, रात*** 
चर 18:41 – 20:05 शुभ
रोग 20:05 – 21:30 अशुभ
काल 21:30 – 22:55 अशुभ
लाभ 22:55 – 24:20* शुभ
उद्वेग 24:20* – 25:45* अशुभ
शुभ 25:45* – 27:10* शुभ
अमृत 27:10* – 28:34* शुभ
चर 28:34* – 29:59* शुभ

*** होरा, दिन*** 
चन्द्र 06:00 – 07:04
शनि 07:04 – 08:07
बृहस्पति 08:07 – 09:10
मंगल 09:10 – 10:14
सूर्य 10:14 – 11:17
शुक्र 11:17 – 12:20
बुध 12:20 – 13:24
चन्द्र 13:24 – 14:27
शनि 14:27 – 15:30
बृहस्पति 15:30 – 16:34
मंगल 16:34 – 17:37
सूर्य 17:37 – 18:41

*** होरा, रात*** 
शुक्र 18:41 – 19:37
बुध 19:37 – 20:34
चन्द्र 20:34 – 21:30
शनि 21:30 – 22:27
बृहस्पति 22:27 – 23:23
मंगल 23:23 – 24:20
सूर्य 24:20* – 25:16
शुक्र 25:16* – 26:13
बुध 26:13* – 27:10
चन्द्र 27:10* – 28:06
शनि 28:06* – 29:03
बृहस्पति 29:03* – 29:59

***  उदयलग्न प्रवेशकाल *** 

मीन > 03:12 से 05:08 तक
मेष > 05:08 से 06:59 तक
वृषभ > 06:59 से 08:57 तक
मिथुन > 08:57 से 11:11 तक
कर्क > 11:11 से 13:27 तक
सिंह > 13:27 से 15:40 तक
कन्या > 15:40 से 07:51 तक
तुला > 07:51 से 08:06 तक
वृश्चिक > 08:06 से 10:23 तक
धनु > 10:23 से 00:28 तक
मकर > 00:28 से 02:14 तक
कुम्भ > 02:14 से 03:12 तक

*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*** 

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*** दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*** 
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

10+ 2 + 1 = 13 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान *** 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शुक्र ग्रह मुखहुति 6:51
उपरान्त शनि

*** शिव वास एवं फल -:

10 + 10 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

*** भद्रा वास एवं फल -:*** 

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी *** 

*धर्मराज जयंती

*शालीवाहन जयंती

*सर्वार्थ सिद्धि योग 6:50 तक

*महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती

*** शुभ विचार *** 

उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम् ।
तडागोदरसंस्थानां परीस्त्र व इवाम्भसाम् ।।
।। चा o नी o।।

संचित धन खर्च करने से बढ़ता है. उसी प्रकार जैसे ताजा जल जो अभी आया है बचता है, यदि पुराने स्थिर जल को निकल बहार किया जाये.

*** सुभाषितानि *** 

गीता -: गुणत्रयविभागयोग अo-14

ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था मध्ये तिष्ठन्ति राजसाः ।,
जघन्यगुणवृत्तिस्था अधो गच्छन्ति तामसाः ॥,

सत्त्वगुण में स्थित पुरुष स्वर्गादि उच्च लोकों को जाते हैं, रजोगुण में स्थित राजस पुरुष मध्य में अर्थात मनुष्य लोक में ही रहते हैं और तमोगुण के कार्यरूप निद्रा, प्रमाद और आलस्यादि में स्थित तामस पुरुष अधोगति को अर्थात कीट, पशु आदि नीच योनियों को तथा नरकों को प्राप्त होते हैं॥,18॥

*** आपका दिन मंगलमय हो ***
*** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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