वृश्चिक राशिफल 07 मई 2022

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वृश्चिक राशिफल 07 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** *** 

दिनाँक:-07/05/2022, शनिवार
षष्ठी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
*** *** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृश्चिक

आज का दिन आपके दांपत्य सुख में वृद्धि का दिन रहेगा। कोई राजकीय बाधा हो सकती है। जल्दबाजी में कोई भी गलत कार्य न करें। विवाद से बचें। काफी समय से अटका हुआ पैसा मिलने का योग है, प्रयास करें। यात्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। वस्तुएं संभालकर रखें। मानसिक तनाव को लेकर आप परेशान रहेंगे, जिसके कारण आप जीवन साथी से किसी बात पर उलझ सकते हैं। आपको संतान की शिक्षा से संबंधित कुछ समस्या हो सकती है। आपको पड़ोसियों के व्यवहार के कारण कुछ परेशानी होगी। नौकरी से जुड़े जातकों को मन मुताबिक कार्य मिलने के कारण वह प्रसन्न रहेंगे। परंतु आपके कुछ नए शत्रु उत्पन्न हो सकते हैं। जो लोग सट्टेबाजी में धन का निवेश करते हैं, उनके लिए आज दिन बेहतर रहेगा, इसलिए वह दिल खोलकर निवेश कर सकते हैं।

 

तिथि————- षष्ठी 14:56:00 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———-पुनर्वसु 12:16:48
योग————–शूल 19:56:35
करण———– तैतुल 14:56:01
करण————– गर 28:01:07
वार————————शनिवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि——————— कर्क
सूर्य राशि———————- मेष
रितु————————- वसंत
सायन———————– ग्रीष्म
आयन——————-उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:36:53
सूर्यास्त—————-18:54:59
दिन काल————- 13:18:06
रात्री काल————- 10:41:11
चंद्रोदय————— 10:19:34
चंद्रास्त—————- 24:40:06

लग्न—- मेष 22°17′ , 22°17′

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र—————- पुनर्वसु
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

ही—- पुनर्वसु 12:16:48

हु—- पुष्य 18:58:52

हे—- पुष्य 25:39:38

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=मेष 22:12 भरणी , 3 ले
चन्द्र =मिथुन 00°23 , आर्द्रा, 4 ही
बुध =वृषभ 10 ° 07′ रोहिणी ‘ 1।
शुक्र=मीन 10 °05, उo भा o ‘ 3 झ
मंगल=कुम्भ 22°30 ‘ पूoभाo’ 1 से
गुरु=मीन 03°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°45’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°45 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 08:56 – 10:36 अशुभ
यम घंटा 13:56 – 15:35 अशुभ
गुली काल 05:37 – 07:17 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 07:23 – 08:17 अशुभ

चोघडिया, दिन
काल 05:37 – 07:17 अशुभ
शुभ 07:17 – 08:56 शुभ
रोग 08:56 – 10:36 अशुभ
उद्वेग 10:36 – 12:16 अशुभ
चर 12:16 – 13:56 शुभ
लाभ 13:56 – 15:35 शुभ
अमृत 15:35 – 17:15 शुभ
काल 17:15 – 18:55 अशुभ

चोघडिया, रात
लाभ 18:55 – 20:15 शुभ
उद्वेग 20:15 – 21:35 अशुभ
शुभ 21:35 – 22:55 शुभ
अमृत 22:55 – 24:16* शुभ
चर 24:16* – 25:36* शुभ
रोग 25:36* – 26:56* अशुभ
काल 26:56* – 28:16* अशुभ
लाभ 28:16* – 29:36* शुभ

होरा, दिन
शनि 05:37 – 06:43
बृहस्पति 06:43 – 07:50
मंगल 07:50 – 08:56
सूर्य 08:56 – 10:03
शुक्र 10:03 – 11:09
बुध 11:09 – 12:16
चन्द्र 12:16 – 13:22
शनि 13:22 – 14:29
बृहस्पति 14:29 – 15:35
मंगल 15:35 – 16:42
सूर्य 16:42 – 17:48
शुक्र 17:48 – 18:55

होरा, रात
बुध 18:55 – 19:48
चन्द्र 19:48 – 20:42
शनि 20:42 – 21:35
बृहस्पति 21:35 – 22:29
मंगल 22:29 – 23:22
सूर्य 23:22 – 24:16
शुक्र 24:16* – 25:09
बुध 25:09* – 26:02
चन्द्र 26:02* – 26:56
शनि 26:56* – 27:49
बृहस्पति 27:49* – 28:43
मंगल 28:43* – 29:36

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मेष > 03:40 से 05:30 तक
वृषभ > 05:30 से 07:20 तक
मिथुन > 07:20 से 09:35 तक
कर्क > 09:35 से 11:52 तक
सिंह > 11:52 से 14:05 तक
कन्या > 14:05 से 06:16 तक
तुला > 06:16 से 06:31 तक
वृश्चिक > 06:31 से 08:45 तक
धनु > 08:45 से 22:46 तक
मकर > 22:46 से 00:18 तक
कुम्भ > 00:18 से 02:06 तक
मीन > 02:06 से 03:40 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

6 + 7 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

6 + 6 + 5 = 17 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

* श्री रामानुजाचार्य जयन्ती

*चन्दन छट

*रवींदनाथ टैगोर जयन्ती

*** शुभ विचार ***

विद्यार्थी सेवकः पान्थः क्षुधार्तो भयकातरः ।
भाण्डारी प्रतिहारी च सप्त सुप्तान् प्रबोधयेत् ।।
।। चा o नी o।।

इन सातो को जगा दे यदि ये सो जाए…
१. विद्यार्थी
२. सेवक
३. पथिक
४. भूखा आदमी
५. डरा हुआ आदमी
६. खजाने का रक्षक
७. खजांची

*** सुभाषितानि ***

गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15

यो मामेवमसम्मूढो जानाति पुरुषोत्तमम्‌ ।,
स सर्वविद्भजति मां सर्वभावेन भारत ॥,

भारत! जो ज्ञानी पुरुष मुझको इस प्रकार तत्त्व से पुरुषोत्तम जानता है, वह सर्वज्ञ पुरुष सब प्रकार से निरन्तर मुझ वासुदेव परमेश्वर को ही भजता है॥,19॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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