वृश्चिक राशिफल 04 जून 2022

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वृश्चिक राशिफल 04 जून 2022

*** || जय श्री राधे || ***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** ***

दिनाँक:-04/06/2022, शनिवार
पंचमी, शुक्ल पक्ष
ज्येष्ठ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृश्चिक

आज का दिन आपके लिए काफी मजबूत रहेगा। कोई राजकीय बाधा हो सकती है। जल्दबाजी में कोई भी गलत कार्य करें। विवाद से बचें। काफी समय से अटका हुआ पैसा मिलने का योग है, प्रयास करें। यात्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। वस्तुएं संभालकर रखें। बिजनेस कर रहे लोगों को मन मुताबिक लाभ मिलेगा, जिससे कारण आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। नौकरी में यदि आप कुछ नवीनता ला सके, तो आगे चलकर आपको इसका पूरा साथ मिलेगा। परिवार में सुख शांति और प्रतिष्ठा का आनंद उठाएंगे। यदि आपका कोई मित्र निवेश संबंधी योजना बताए, तो आप उसमें सोच विचार कर ही हाथ डालें। संतान की संगति की ओर भी ध्यान देना होगा, नहीं तो वह किसी गलत काम की ओर अग्रसर हो सकती है।

तिथि———– पंचमी 28:51:56 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———— पुष्य 21:53:48
योग————– ध्रुव 28:17:50
करण————– बव 15:48:55
करण———– बालव 28:51:56
वार———————- शनिवार
माह————————–ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——————– कर्क
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु———————— ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:24:54
सूर्यास्त————— 19:10:20
दिन काल————- 13:45:25
रात्री काल————- 10:14:27
चंद्रोदय————— 09:07:35
चंद्रास्त————— 23:18:06

लग्न—-वृषभ 19°13′ , 49°13′

सूर्य नक्षत्र—————– रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र——————- पुष्य
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** द, चरण ***

हे—- पुष्य 08:30:44

हो—- पुष्य 15:12:49

ड—- पुष्य 21:53:48

डी—- आश्लेषा 28:33:32

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृषभ 19:12 रोहिणी , 3 वी
चन्द्र = कर्क08°23 , पुष्य , 2 हे
बुध =वृषभ 01 ° 07′ कृतिका ‘ 2 ई
शुक्र=मेष 13°05, अश्विनी ‘ 4 ला
मंगल=मीन 13°30 ‘ उoभाo’ 3 झ
गुरु=मीन 09°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°10’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°10 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 08:51 – 10:34 अशुभ
यम घंटा 14:01 – 15:44 अशुभ
गुली काल 05:25 – 07: 08अशुभ
अभिजित 11:50 -12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 07:15 – 08:10 अशुभ

गंड मूल 21:54 – अहोरात्र अशुभ

चोघडिया, दिन
काल 05:25 – 07:08 अशुभ
शुभ 07:08 – 08:51 शुभ
रोग 08:51 – 10:34 अशुभ
उद्वेग 10:34 – 12:18 अशुभ
चर 12:18 – 14:01 शुभ
लाभ 14:01 – 15:44 शुभ
अमृत 15:44 – 17:27 शुभ
काल 17:27 – 19:10 अशुभ

चोघडिया, रात
लाभ 19:10 – 20:27 शुभ
उद्वेग 20:27 – 21:44 अशुभ
शुभ 21:44 – 23:01 शुभ
अमृत 23:01 – 24:18* शुभ
चर 24:18* – 25:34* शुभ
रोग 25:34* – 26:51* अशुभ
काल 26:51* – 28:08* अशुभ
लाभ 28:08* – 29:25* शुभ

होरा, दिन
शनि 05:25 – 06:34
बृहस्पति 06:34 – 07:42
मंगल 07:42 – 08:51
सूर्य 08:51 – 10:00
शुक्र 10:00 – 11:09
बुध 11:09 – 12:18
चन्द्र 12:18 – 13:26
शनि 13:26 – 14:35
बृहस्पति 14:35 – 15:44
मंगल 15:44 – 16:53
सूर्य 16:53 – 18:02
शुक्र 18:02 – 19:10

होरा, रात
बुध 19:10 – 20:02
चन्द्र 20:02 – 20:53
शनि 20:53 – 21:44
बृहस्पति 21:44 – 22:35
मंगल 22:35 – 23:26
सूर्य 23:26 – 24:18
शुक्र 24:18* – 25:09
बुध 25:09* – 25:59
चन्द्र 25:59* – 26:51
शनि 26:51* – 27:42
बृहस्पति 27:42* – 28:34
मंगल 28:34* – 29:25

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

वृषभ > 03:34 से 05:34 तक
मिथुन > 05:32 से 07:45 तक
कर्क > 07:45 से 10:02 तक
सिंह > 10:02 से 12:10 तक
कन्या > 12:10 से 14:26 तक
तुला > 14:26 से 16:41 तक
वृश्चिक > 16:41 से 19:02 तक
धनु > 19:02 से 21:02 तक
मकर > 21:02 से 22:48 तक
कुम्भ > 22:48 से 00:21 तक
मीन > 00:21 से 01:48 तक
मेष > 01:48 से 03:34 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

5 + 5 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

5 + 5 + 5 = 15 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

*श्रुति पंचमी

*नाव मनोरथ द्बारिकाधीश जी मथुरा

* महादेव विवाह (उड़ीसा

*** शुभ विचार ***

शुध्दं भूमिगतं तोयं शुध्दा नारी पतिव्रता ।
शुचिः क्षेमकरोराजा संतोषी ब्राह्मणः शुचिः ।।
।। चा o नी o।।

जो जल धरती में समां गया वो शुद्ध है. परिवार को समर्पित पत्नी शुद्ध है. लोगो का कल्याण करने वाला राजा शुद्ध है. वह ब्राह्मण शुद्ध है जो संतुष्ट है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17

यजन्ते सात्त्विका देवान्यक्षरक्षांसि राजसाः।,
प्रेतान्भूतगणांश्चान्ये जयन्ते तामसा जनाः॥,

सात्त्विक पुरुष देवों को पूजते हैं, राजस पुरुष यक्ष और राक्षसों को तथा अन्य जो तामस मनुष्य हैं, वे प्रेत और भूतगणों को पूजते हैं॥,4॥,

 

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)