Scientists Alert: ग्लोबल वार्मिंग नहीं रुकी तो अंटार्कटिका का ग्लेशियर भी बन जाएगा पानी, जानें धरती के लिए यह कितना जरूरी

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Scientists Alert: ग्लोबल वार्मिंग नहीं रुकी तो अंटार्कटिका का ग्लेशियर भी बन जाएगा पानी, जानें धरती के लिए यह कितना है जरूरी
Scientists Alert: ग्लोबल वार्मिंग नहीं रुकी तो अंटार्कटिका का ग्लेशियर भी बन जाएगा पानी, जानें धरती के लिए यह कितना है जरूरी

Antarctica Glacier, (आज समाज), नई दिल्ली: भारत सहित लगभग पूरी दुनिया में साल-दर-साल वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग ) बढ़ता जा रहा है और अगर इसे रोका नहीं गया तो एक समय ऐसा आएगा जब धरती के अस्तित्व के लिए जरूरी माना जाने वाला अंटार्कटिका का ग्लेशियर भी पिघल जाएगा। वैज्ञानिकों ने हाल ही में स्टडीज में यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस संबंध में नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में इस संकट को गंभीरता से उठाया गया है। इसमें बताया गया है कि अगर वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो अंटार्कटिका का बर्फीली द्रव्यमान बेहद विचित्र रूप से तेजी से पिघलने लगेगा।

बढ़ते तापमान के कारण तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर

वैज्ञानिकों ने अध्ययनों में बताया है कि अगले 200 से 900 वर्ष में अंटार्कटिका का एक विशाल ग्लेशियर पूरी तरह से पिघल जाएगा और यह बहुत खतरनाक है। इस ग्लेशियर को ‘डूम्सडे ग्लेशियर’ के नाम से जाना जाता है और फ्लोरिडा राज्य के बराबर है। यह थ्वाइट्स ग्लेशियर भी कहलाता है। उन्होंने कहा है कि बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। साथ ही गर्म समुद्र का पानी ग्लेशियरों को नीचे से पिघला रहा है। इसके अलावा ग्लेशियर की संरचना में बदलाव हो रहा है जिसके कारण यह तेजी से टूट रहा है।

सूर्य की गर्मी से बचाता है अटार्कटिका का यह ग्लेशियर

वैज्ञानिकों ने कहा है कि मानव जीवन को सूरज की गर्मी से बचाने वाली कुछ चीजें हैं जिनमें अटार्कटिका का ग्लेशियर भी बेहद अहम है। इसलिए इसे धरती के लिए बहुत जरूरी माना जाता है। यदि यह ग्लेशियर पूरी तरह पिघल जाता है तो इससे वैश्विक समुद्र का लेवल कई मीटर तक बढ़ सकता है और इसका नतीजा प्रलय हो सकता है।

खतरे में पड़ जाएगा कई प्रजातियों का अस्तित्व

वैज्ञानिकों के मुताबिक ‘डूम्सडे ग्लेशियर’ के पिघलने से दुनिया के कई तटीय इलाके और द्वीप डूब जाएंगे तथा लाखों लोग बेघर हो जाएंगे। कई प्रजातियों का वजूद खतरे में पड़ जाएगा और इससे धरती का तापमान भी बढ़ सकता है। इसकी वजह से समुद्र के धाराओं व पृथ्वी की जलवायु में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होंगे। इसका परिणाम दुनिया भर में मौसम में अनिश्चितता का बढ़ना हो सकता है।

इस तरह बचाया जा सकता है अंटार्कटिका का हिमखंड

वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर को पिघलने से रोकने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को रोकना सबसे जरूरी बताया है। उन्होंने कहा है कि इसके लिए जीवाश्म ईंधन का कम से कम उपयोग करना होगा। साथ ही स्वच्छ ऊर्जा स्रोत अपनाने होंगे। वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका ग्लेशियर के बारे में और ज्यादा स्टडी करने की जरूरत पर जोर दिया है ताकि हम इसके पिघलने की रफ्तार को कम किया जा सके। साथ ही उन्होंने कहा है कि इस समस्या से निपटने के लिए सभी देशों को मिलजुकर काम करना होगा।

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