आज समाज डिजिटल, पानीपत:
पानीपत। जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्थानीय आर्य कॉलेज में विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सैमिनार की अध्यक्षता कर रही मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. मोना नागपाल ने अध्यापकों व छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि जानकारी के अभाव में आमतौर पर लोग मानसिक बिमारियों की चपेट में आने वाले युवाओं को सनक या भूत-प्रेत का साया समझ बैठते हैं। जबकि इसमें अपनी भावनाओं व विचारों पर कोई नियंत्रण नही रहता।
रोगी को ऐसा लगता है कि उसे कोई मारना चाहता है
डॉ. मोना नागपाल ने कहा कि सिजोफ्रेनिया एक शक की बिमारी है जिसके बारे में हमारे समाज में जागरूकता भी बहुत कम है। इस बीमारी के लक्ष्णों में रोगी को ऐसा लगता है कि उसे कोई मारना चाहता है या उसके खिलाफ सभी लोग मिलकर कोई साजिश रच रहे हैं। इस प्रकार के लक्षण इस बीमारी के रोगियों में पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह मानसिक बीमारी कई बार हमारे समाज में आत्महत्या का कारण भी बन जाती है। उन्होंने इस बीमारी के उत्पन्न होने के कारणों का वर्णन करते हुए कहा कि आनुवांसिक तनाव, पारिवारिक झगड़े या नशे की लत हो सकती है।
8 से 10 महीने के ईलाज के दौरान मरीज ठीक हो सकता है
इसलिए ऐसे में समय से समुचित ईलाज बेहद जरूरी है क्योंकि ईलाज शुरु होने पर 8 से 10 महीने के ईलाज के दौरान मरीज ठीक हो सकता है। सैमिनार के समापन सम्बोधन में उन्होंने उपस्थित अध्यापकों व छात्र-छात्राओं से अपील करते हुए कहा कि वे सब मिलकर अपने समाज को नशा मुक्त बनाने के लिए विशेष अभियान चलाएं और लोगों को जागरुक करें। इस अवसर पर कॉलेज स्टॉफ और स्वास्थ्य विभाग से रवि कुमार, विनोद कुमार, संगीता व पूनम मौजूद रहे।