Women Focused Direct Benefit Transfer Schemes, (आज समाज), नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों द्वारा घोषित महिला केंद्रित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजनाओं की सुनामी से राज्य के वित्त पर असर पड़ सकता है। महिलाओं को सीधे नकद हस्तांतरित करने के उद्देश्य से बनाई गई इन योजनाओं ने हाल के वर्षों में, खासकर चुनावों के दौरान रफ्तार पकड़ी है। हालांकि, रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ऐसी पहल से चुनिंदा राज्य के वित्त पर काफी असर पड़ सकता है।
आठ राज्यों में लागत अब 1.5 लाख करोड़ से अधिक
एसबीआई रिपोर्ट में बताया गया है कि आठ राज्यों में महिला केंद्रित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजनाओं की कुल लागत अब 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गई है, जो इन राज्यों की राजस्व प्राप्तियों का 3-11 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार ओडिशा जैसे कुछ राज्य उच्च गैर-कर राजस्व और उधार लेने की आवश्यकता नहीं होने के कारण इन लागतों को वहन करने की बेहतर स्थिति में हैं, जबकि कई अन्य राज्यों को राजकोषीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
कुछ राज्यों में भुगतान करने की क्षमता
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्यों में ऐसी योजनाओं के लिए भुगतान करने की क्षमता है, उदाहरण के लिए ओडिशा में उच्च गैर-कर राजस्व है, इसलिए कोई उधार नहीं है। उदाहरण के लिए, कर्नाटक की गृह लक्ष्मी योजना, जो परिवार की महिला मुखिया को 2,000 रुपए प्रति माह प्रदान करती है, उसके लिए 28,608 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जो राज्य की राजस्व प्राप्तियों का 11 प्रतिशत है।
पश्चिम बंगाल की लक्ष्मी भंडार योजना
पश्चिम बंगाल की लक्ष्मी भंडार योजना, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं को 1,000 रुपए का एकमुश्त अनुदान देती है, उसकी लागत 14,400 करोड़ रुपए है, जो राज्य की राजस्व प्राप्तियों का 6 प्रतिशत है। दिल्ली की मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना, कुछ श्रेणियों को छोड़कर वयस्क महिलाओं को 1,000 रुपए प्रति माह देने का वादा करती है। इस स्कीम की लागत 2,000 करोड़ रुपए है, जो राजस्व प्राप्तियों का 3 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में यह दिया गया सुझाव
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं को आय हस्तांतरण का वादा करने की बढ़ती प्रवृत्ति के साथ केंद्र सरकार भी इसी तरह की नीतियों को अपनाने के लिए दबाव महसूस कर सकती है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया हे कि केंद्र से राज्यों को समान अनुदान के साथ एक सार्वभौमिक आय हस्तांतरण योजना, वर्तमान दृष्टिकोण का अधिक टिकाऊ विकल्प हो सकती है।
रिपोर्ट का तर्क
रिपोर्ट का तर्क है कि इससे बाजार को बाधित करने वाली सब्सिडी को कम करने में भी मदद मिल सकती है। जबकि इन योजनाओं को महिलाओं को सशक्त बनाने और चुनावी समर्थन हासिल करने के तरीके के रूप में देखा जाता है। रिपोर्ट राज्यों से ऐसे कल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू करने से पहले अपने राजकोषीय स्वास्थ्य और उधार लेने के पैटर्न पर विचार करने का आग्रह करती है। रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि कल्याणकारी व्यय और राज्य के वित्त पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव का समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है।
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