सत्संग में बताया राम चार प्रकार के होते हैं, एक राम जो दशरथ का बेटा दूसरा राम मन है, जो घट-घट के अंदर है तीसरा राम काल है, जिसका यह है त्रिलोक या तीन गुणों का प्रसारा और चौथा राम इन सबसे त्रिगुणी यानी तीनों गुना से न्यारा है। आश्रम में बाल सत्संग के बच्चों ने महाराज की जीवनी पर अच्छे-अच्छे भजन बोल और सारी संगत का मन मोह लिया बच्चों ने संगत से शपथ दिलाई कि हम हर सत्संग में पहुंचेंगे और उसे ध्यान से सुनकर अपने जीवन का आचरण करेंगे। प्रधान सरदार राजा सिंह ने कहा की महाराज हमें निष्काम सेवा के बारे में बताते हैं, जितनी हो सके आप निष्काम सेवा करें और रक्तदान के बारे में कहा कि आपके द्वारा दिया गया। रक्त किसी अजनबी की जान को बचाएगा। यह बहुत बड़ा निष्काम सेवा का कार्य है। रक्तदान करने से शरीर में कोई कमी नहीं आती और यह 24 घंटे में पूरा हो जाता है आप जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा निष्काम सेवा करें। इस अवसर पर प्रधान राजा सिंह, योगराज, सतीश सचदेवा, राकेश मुथरेजा, जोगिंदर नरूला और पूरी संगत में सहयोग किया।