ईशिका ठाकुर,करनाल :
डीएवी पीजी कॉलेज करनाल के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग द्वारा सावित्रीबाई फूले की जयंती आयोजित कार्यक्रम में सावित्रीबाई फूले की तस्वीर पर पुष्प अर्पित करते हुए प्राचार्य डॉ रामपाल सैनी ने कहा कि सावित्रीबाई फूले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका थी , जिन्होंने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत का पहला महिला विद्यालय शुरू किया और स्वयं शिक्षिका बनकर उनको शिक्षित करने का काम किया। इस कार्य में उनके पति महात्मा ज्योतिबा फूले ने उनका सहयोग किया।
महिला आंदोलन की प्रथम अगुआई भी की
प्राचार्य ने बताया कि सावित्रीबाई फूले ने न केवल महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया, अपितु भारतीय स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए सन 1852 में ‘महिला मण्डल’ का गठन कर भारतीय महिला आंदोलन की प्रथम अगुआई भी की। इस महिला मण्डल ने महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों, बाल विवाह, विधवाओं के सिर मूंडने की प्रथा तथा स्त्री अशिक्षा के खिलाफ़ मोर्चाबंदी की। अपने द्वारा चलाए गए अनेक आंदोलनों में उन्हें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने लगभग 48 वर्षों तक गरीब,दलित,शोषित,पीड़ित, असहाय, पिछड़े वर्ग की स्त्रियों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। डॉ रामपाल सैनी ने कहा कि आज महिलाओं को उनके बारे में पढ़ना और जानना चाहिए ताकि महिलाओं को यह अहसास हो, कि जो आज समाज में महिलाएं सम्मान से गौरवशाली जीवन जी रही हैं,या बड़े -बड़े पदों पर विराजमान है तो यह शिक्षा से ही संभव हो पाया है। जिसकी अलख वर्षों पहले सावित्रीबाई फूले ने समाज में जगाई थी।
इस अवसर पर ये सभी मौजूद रहे
इस अवसर पर डॉ लवनीश बुद्धिराजा, डॉ बलराम शर्मा, जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विजय कुमार, हैड क्लर्क विक्रम हरित, हरि सिंह सहित अन्य सभी स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।
ये भी पढ़ें : लडाई-झगडे के मामले का तीसरा आरोपी गिरफ्तार
ये भी पढ़ें : कोहरे के दौरान सावधानी बरतने की अपील
ये भी पढ़ें : नए साल के उपलक्ष में ओपन शैल्टर होम पटीकरा में कार्यक्रम आयोजित