बेशक टीम इंडिया पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराकर लौटी हो लेकिन ऐसे करिश्मे बार-बार नहीं होते। इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट को लेकर मैं यही कहूंगा कि ये मैच बच जाए तो गनीमत है। यह सीरीज़ का पहला मैच है जिसको लेकर खिलाड़ियों पर एक अलग तरह का दबाव है। ऋषभ पंत इन दिनों अच्छी फॉर्म में चल रहे हैं लेकिन हर बार एक या दो खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं हुआ जा सकता। विराट कोहली कई मैचों के बाद टीम में लौटे हैं। पहली पारी में वह कुछ ज़्यादा ही डिफेंसिव दिखाई दिए थे। इसे लेकर मुझे थोड़ा सा उनके रुख को  लेकर आश्चर्य है। पांचवें दिन आपको लंच तक पूरी तरह से ड्रॉ के लिए जाना चाहिए। जीत के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप पूरी तरह से डिफेंसिव हो जाएं क्योंकि ऐसी सोच आपको हार की तरफ ले जाती है। पुजारा पर भी काफी कुछ निर्भर रहेगा।रोहित शर्मा जिस तरह आउट हुए, उसे देखकर मुझे निराशा हुई। स्पिनर्स के
सामने उनकी खेलने की शैली सवालों के घेरे में रही है। उन्हें अपने खेल को
ऐसी स्थितियों के अनुकूल ढालना होगा। उन्हें यह भी समझना चाहिए कि अब
उन्हें टेस्ट क्रिकेट में अपनी पसंदीदा ओपनिंग की ज़िम्मेदारी मिली है।
अगर वह नाजुक मौकों पर इसी तरह आउट होंगे तो इससे वह टीम का ही नहीं अपना
भी नुकसान कर रहे हैं क्योंकि ओपनिंग स्लॉट के लिए कई युवा सामने आ रहे
हैं। अगर यही मुम्बई या नागपुर की पिच होती तो वह बढ़िया बल्लेबाज़ी करते
दिखाई देते। स्थितियों के हिसाब से अपने खेल को ढालना ज़्यादा बड़ी बात
है जो रोहित की तरह से देखने को नहीं मिल रहा। जहां गेंद रुककर आती है,
वहां वह फंसते हुए दिखाई देते हैं।

ज़्यादा चिंता इस बात को लेकर भी है कि गेंद रिवर्स स्विंग ले रही है।
साथ ही कुछ गेंदें काफी नीची रह रही हैं। यह बहुत लोगों की ग़लतफहमी है
कि ऐसे हालात में केवल स्पिनर ही कहर ढा सकते हैं। मेरा मानना है कि ऐसी
स्थितियों में तेज़ गेंदबाज़ों की भूमिका भी अहम होती है। जिस तरह से
जोफ्रा आर्चर अपनी उछाल लेती गेंदों पर बड़ा काम कर सकते हैं तो वहीं जैक
लीच की गेंदों का घूमना भी यह दिखाता है कि पांचवें दिन भारत के लिए
स्थितियां बहुत मुश्किल होने वाली हैं। उनके साथी डॉम बैस पहली पारी में
विकेट चटकाने वाली अपनी क्षमता दिखा चुके हैं। आर्चर की गेंदों पर आगे
बढ़कर आप खेल नहीं सकते क्योंकि उनकी कौन सी गेंद बाउंसर होगी, उसका पहले
से अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता। एंडरसन का अनुभव भी ऐसी पिचों पर खतरनाक
साबित हो सकता है। मैं तो यही चाहूंगा कि टीम इंडिया इस मैच को बचाए। यह
फंसा हुआ मैच अगर बच जाता है तो यह किसी बड़ी जीत से कम नहीं होगा।

अतुल वासन(लेखक टीम इंडिया के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ हैं और इस समय क्रिकेट समीक्षक हैं)