सामने उनकी खेलने की शैली सवालों के घेरे में रही है। उन्हें अपने खेल को
ऐसी स्थितियों के अनुकूल ढालना होगा। उन्हें यह भी समझना चाहिए कि अब
उन्हें टेस्ट क्रिकेट में अपनी पसंदीदा ओपनिंग की ज़िम्मेदारी मिली है।
अगर वह नाजुक मौकों पर इसी तरह आउट होंगे तो इससे वह टीम का ही नहीं अपना
भी नुकसान कर रहे हैं क्योंकि ओपनिंग स्लॉट के लिए कई युवा सामने आ रहे
हैं। अगर यही मुम्बई या नागपुर की पिच होती तो वह बढ़िया बल्लेबाज़ी करते
दिखाई देते। स्थितियों के हिसाब से अपने खेल को ढालना ज़्यादा बड़ी बात
है जो रोहित की तरह से देखने को नहीं मिल रहा। जहां गेंद रुककर आती है,
वहां वह फंसते हुए दिखाई देते हैं।
ज़्यादा चिंता इस बात को लेकर भी है कि गेंद रिवर्स स्विंग ले रही है।
साथ ही कुछ गेंदें काफी नीची रह रही हैं। यह बहुत लोगों की ग़लतफहमी है
कि ऐसे हालात में केवल स्पिनर ही कहर ढा सकते हैं। मेरा मानना है कि ऐसी
स्थितियों में तेज़ गेंदबाज़ों की भूमिका भी अहम होती है। जिस तरह से
जोफ्रा आर्चर अपनी उछाल लेती गेंदों पर बड़ा काम कर सकते हैं तो वहीं जैक
लीच की गेंदों का घूमना भी यह दिखाता है कि पांचवें दिन भारत के लिए
स्थितियां बहुत मुश्किल होने वाली हैं। उनके साथी डॉम बैस पहली पारी में
विकेट चटकाने वाली अपनी क्षमता दिखा चुके हैं। आर्चर की गेंदों पर आगे
बढ़कर आप खेल नहीं सकते क्योंकि उनकी कौन सी गेंद बाउंसर होगी, उसका पहले
से अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता। एंडरसन का अनुभव भी ऐसी पिचों पर खतरनाक
साबित हो सकता है। मैं तो यही चाहूंगा कि टीम इंडिया इस मैच को बचाए। यह
फंसा हुआ मैच अगर बच जाता है तो यह किसी बड़ी जीत से कम नहीं होगा।