मिहा चैहल, बिलासपुर :
खंड बिलासपुर के गांव छलौर में रामलीला रामा कल्ब छलौर के द्वारा आयोजित रामलीला का शुभारंभ पूजन के साथ सरपंच मांगेराम पाल व समस्त पंचों ने रिबन काटकर किया। इस अवसर पर प्रधान रविन्द्र कश्यप, संयोजक शिवदत्त काम्बोज व रामलीला राम कल्ब के सभी सदस्य एवं कलाकार व गांव के मौजिज लोग उपस्थित रहे। प्रथम दिन रामलीला में दिखाया गया कि किस प्रकार नारद मुनि हिमालय पर्वत पर जाकर तपस्या करने लगा। उसकी कड़ी तपस्या से इन्द्र को डर सताने लगा की कही नारद उसका इंद्रासन न छीन ले। उसने कामदेव को बूलाया और कहा कि आप इंद्र का मोह भंग करो। कामदेव नारद का मोहभंग नही कर सका। तब नारद भगवान शिव के पास गया और कहा कि मैने कामदेव को जीत लिया है। भगवान शिव ने नारद को कहा कि आप यह बात विष्णु को मत बताना। नारद घमंड में चूर होकर विष्णु के पास जाता है और कामदेव पर जीत की अपनी खबर विष्णु को दे देता है। विष्णु समझ गया कि नारद मुनि ज्यादा घमंड़ी हो चुका है। इसका घमंड तोडा जरूरी है। तब विष्णु ने लक्ष्मी को सुदंर स्त्री का रूप बदलकर सुदंर नगर जाने और वहां की विषमोनी कन्या बन जाने और वहां के राज शीलानिधि को माता पिता बनाने और स्वयंम्बर रचाने के लिए भेजा। नारद मुनि ने विष्णु से उसका हरिरूप मांगा तब विष्णु ने उसे बंदर का रूप दे दिया। जब नारद स्वयम्बर में गया तो विष्णु भी भेष बदलकर वहां पहुंच गया। विषमोनी ने जयमाला विष्णु के गले में डाल दी। नारद मुनि आग बबूला हो गया और उसने विष्णु को श्राप दे दिया कि जैसे आपने मुझे एक स्त्री के लिए तडफाया ऐसे तुम भी एक स्त्री के लिए तडफोंगे। और मृत्युलोक में जाकर तुम्हें वन में भटकना पड़ेगा। और तुमने मुझे जो वानर का रूप दिया है इन्ही बंदरों की तुम्हें साहयता लेनी पडेंगी। तब विष्णु नारद का श्राप स्वीकार कर लेता है। रामलीला में रविन्द्र कश्यप, शिवदत काम्बोज,मदन सिंह व रामलीला के अन्य कलाकारों एवं कमेटी सदस्योंं ने विषेश सहयोग किया।
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