Thand Par Shayari 2024: आज की पोस्ट में हम सर्दी शायरी इन हिंदी, ठंड पर शायरी लव लेकर आए हैं। दोस्तों सर्दी का मौसम सभी को ज्यादा पसंद होता है और सर्दी में गर्म-गर्म चाय और माँ के हाथ से बने पकोड़े खाने का मज़ा ही अलग आता हैं इन सर्दियों में तो इस सर्दी में हम आपके साथ ठंड की शायरी शेयर करने जा रहे हैं।
मिरे सूरज आ! मिरे जिस्म पे अपना साया कर
बड़ी तेज़ हवा है सर्दी आज ग़ज़ब की है
शहरयार
Thand Shayari
तुम तो सर्दी की हसीं धूप का चेहरा हो जिसे
देखते रहते हैं दीवार से जाते हुए हम
नोमान शौक़
Thand Shayari
रात बेचैन सी सर्दी में ठिठुरती है बहुत
दिन भी हर रोज़ सुलगता है तिरी यादों से
अमित शर्मा मीत
Thand Shayari
पहन लो आप स्वेटर आपसे यही हैं, हमारी गुज़ारिश,
मुबारक हो आपको सर्दी की पहली बारिश।
Thand Shayari
हवा का झोंका आया तेरी खुशबू साथ लाया,
मैं समझ गया की तू आज फिर नहीं नहाया।
Thand Shayari
फूलों की सुगंध मूँगफली की बहार, सर्दी का मौसम आने को तैयार,
रजाई, स्वेटर रखो तैयार हैप्पी, सर्दी का मौसम मेरे यार।
Thand Shayari
कितना दर्द हैं दिल में दिखाया नही जाता, गंभीर हैं किस्सा सुनाया नही जाता,
विडियो कॉल मत कर पगली, रजाई में से मुहँ निकाला नही जाता।
Thand Shayari
हमें इसी ठंड का इन्तजार है, बीमारी तो एक बहाना है कभी
हमसफर बनके देखो तो जानो, ये सफर कैसा सुहाना है।
सर्दी में दिन सर्द मिला
हर मौसम बेदर्द मिला
मोहम्मद अल्वी
वो गले से लिपट के सोते हैं
आज-कल गर्मियाँ हैं जाड़ों में
मुज़्तर ख़ैराबादी
गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए
सर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया
बेदिल हैदरी
जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया
माँ ने अपने ला’ल की तख़्ती जला दी रात को
सिब्त अली सबा
गर्मी में सब कहते हैं की ठंडी-ठंडी आइसक्रीम खा लो,
और ठंड में सब कहते हैं की गरमा-गरम अंडा खा लो।
लिपट जाओ मेरे सीने से की आगाज़-ए-सर्दी है,
ये ठंडी हवा कही तुम्हे बीमार न कर दे।
सर्दी है कि इस जिस्म से फिर भी नहीं जाती
सूरज है कि मुद्दत से मिरे सर पर खड़ा है
फख्र ज़मान
ऐसी सर्दी में शर्त चादर है
ओढ़ने की हो या बिछौने की
पारस मज़ारी
अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में
इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में
शोएब बिन अज़ीज़
दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसी
ज़रा सा जो छू ले बदन काँपता है
अमित शर्मा मीत
बैठे बैठे फेंक दिया है आतिश-दान में क्या क्या कुछ
मौसम इतना सर्द नहीं था जितनी आग जला ली है
ज़ुल्फ़िक़ार आदिल
पैरों से टकराते हैं जब झोंके सर्द हवाओं के
हाथ लरज़ने लग जाते हैं चमड़े के दस्तानों में
अदनान मोहसिन
इतनी सर्दी है कि मैं बाँहों की हरारत माँगूँ
रुत ये मौज़ूँ है कहाँ घर से निकलने के लिए
ज़ुबैर फ़ारूक़
‘अल्वी’ ये मो’जिज़ा है दिसम्बर की धूप का
सारे मकान शहर के धोए हुए से हैं
मोहम्मद अल्वी
वो आग बुझी तो हमें मौसम ने झिंझोड़ा
वर्ना यही लगता था कि सर्दी नहीं आई
ख़ुर्रम आफ़ाक़
सर्द झोंकों से भड़कते हैं बदन में शो’ले
जान ले लेगी ये बरसात क़रीब आ जाओ
साहिर लुधियानवी
थोड़ी सर्दी ज़रा सा नज़ला है
शायरी का मिज़ाज पतला है
मोहम्मद अल्वी
कतराते हैं बल खाते हैं घबराते हैं क्यूँ लोग
सर्दी है तो पानी में उतर क्यूँ नहीं जाते
महबूब ख़िज़ां
इक बर्फ़ सी जमी रहे दीवार-ओ-बाम पर
इक आग मेरे कमरे के अंदर लगी रहे
सालिम सलीम
तेज़ धूप में आई ऐसी लहर सर्दी की
मोम का हर इक पुतला बच गया पिघलने से
क़तील शिफ़ाई
लफ़्फ़ाज़ियों का गर्म है बाज़ार किस क़दर
दस्त-ए-अमल हमारा मगर सर्द सर्द है
– असद रज़ा
वो गले से लिपट के सोते हैं
आज-कल गर्मियाँ हैं जाड़ों में
– मुज़्तर ख़ैराबादी
हवा का हाथ बहुत सर्द, मौत जैसा सर्द
वो जा रहा है, वो दरवाज़े सर पटकने लगे
– साक़ी फ़ारुक़ी
काश तुझे सर्दी के मौसम में लगे मुहब्बत की ठंड
और तू तड़प कर माँगे मुझे कम्बल की तरह
– अज्ञात
कतराते हैं बल खाते हैं घबराते हैं क्यूँ लोग
सर्दी है तो पानी में उतर क्यूँ नहीं जाते
– महबूब ख़िज़ां
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे
-राहत इंदौरी
गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए
सर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया
– बेदिल हैदरी
सूरज लिहाफ़ ओढ़ के सोया तमाम रात
सर्दी से इक परिंदा दरीचे में मर गया
– अतहर नासिक
वो सर्दियों की धूप की तरह ग़ुरूब हो गया
लिपट रही है याद जिस्म से लिहाफ़ की तरह
– मुसव्विर सब्ज़वारी
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे
– मख़दूम मुहिउद्दीन
सूरज लिहाफ़ ओढ़ के सोया तमाम रात
सर्दी से इक परिंदा दरीचे में मर गया
अतहर नासिक
अब की सर्दी में कहाँ है वो अलाव सीना
अब की सर्दी में मुझे ख़ुद को जलाना होगा
नईम सरमद
सख़्त सर्दी में ठिठुरती है बहुत रूह मिरी
जिस्म-ए-यार आ कि बेचारी को सहारा मिल जाए
फ़रहत एहसास
यादों की शाल ओढ़ के आवारा-गर्दियाँ
काटी हैं हम ने यूँ भी दिसम्बर की सर्दियाँ
अज्ञात
सर्दी और गर्मी के उज़्र नहीं चलते
मौसम देख के साहब इश्क़ नहीं होता
मुईन शादाब
वो सर्दियों की धूप की तरह ग़ुरूब हो गया
लिपट रही है याद जिस्म से लिहाफ़ की तरह
मुसव्विर सब्ज़वारी
सर्दी के मौसम का मजा अलग सा है,
रात मे रजाई का मजा अलग सा है,
धुंध ने आकर छिपा लिया सितारों को,
आपकी जुदाई का ऐहसास अब अलग सा है।
Sardi ke mousam ka maza alag sa hai
Raat mein Razai ka maza alag sa hai
dhunda ne Aakar chipa liya sitaron ko
apki judai ka ehsaas ab Aalag sa hai..
ठण्ड से हाल बेहाल है, क्यूंकि सर्दी
बेमिसाल है.ठण्ड से कुकुड जाता शरीर है,
बनी रहते माथे की लकीर है.
Thand se hal behal hai kyuki sardi
bemisal hai thand se kudkud jata
sharir hai bani rahte mathe ki lakir ha.
ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते
– उम्मीद फ़ाज़ली
दिन जल्दी जल्दी चलता हो तब देख बहारें जाड़े की
और पाला बर्फ़ पिघलता हो तब देख बहारें जाड़े की
– नज़ीर अकबराबादी
जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया
माँ ने अपने ला’ल की तख़्ती जला दी रात को
– सिब्त अली सबा
कल्ले पे कल्ला लग लग कर चलती हो मुँह में चक्की सी
हर दाँत चने से दलता हो तब देख बहारें जाड़े की
– नज़ीर अकबराबादी
कुछ नाच और रंग की धूमें हों ऐश में हम मतवाले हों
प्याले पर प्याला चलता हो तब देख बहारें जाड़े की
– नज़ीर अकबराबादी
सूखे पत्तों पर जलती शबनम के क़तरे
ठंडा सूरज सहमा सहमा देख रहा था
– इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी
गले मिला था कभी दुख भरे दिसम्बर से
मेरे वजूद के अंदर भी धुँद छाई थी
– तहज़ीब हाफ़ी
Thand Shayari
मैं तो हँसना भूल गया हूँ, वो भी शायद रोता होगा
ठंडी रात में आग जला कर, मेरा रस्ता तकता होगा
-जतिन्दर परवाज़
सुख दुख में गर्म-ओ-सर्द में सैलाब में भी हैं
यादें तुम्हारी मौसम-ए-शादाब में भी हैं
-जतिन्दर परवाज़
ये नसीम ठंडी ठंडी ये हवा के सर्द झोंके
तुझे दे रहे हैं लोरी मिरे ग़म-गुसार सो जा
– सुरूर जहानाबादी
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