Aaj Samaj (आज समाज),Sant Rajinder Singh Maharaj, पानीपत : सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख संत राजिन्दर सिंह महाराज का गोवा आगमन पर गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। उन्होंने गोवा के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडोर स्टेडियम में बुधवार को सत्संग प्रवचन दिया। यह विश्व-विख्यात आध्यात्मिक सत्गुरु की गोवा शहर में पहली यात्रा है। सावन कृपाल रूहानी मिशन के मीडिया प्रभारी सौरव नरूला ने जानकारी देते हुए बताया कि सत्संग से पूर्व पूजनीय माता रीटा ने गुरुबाणी से पांचवे गुरु अर्जन देव महाराज की वाणी से ”हम संतन की रैन प्यारे“ (मैं अपने सत्गुरु के चरणों की धूलि हूं और हमेशा उनकी शरण में रहना चाहता हूं) शब्द का गायन किया।
मीडिया प्रभारी सौरव नरूला ने बताया शब्द की व्याख्या करते हुए संत राजिन्दर सिंह महाराज ने महान संतों और आध्यात्मिक सत्गुरु की महत्ता को समझाते हुए कहा कि वह हम सबको इस दुनिया के जंजाल से छुड़ाकर हमें प्रभु के घर ले जाने के लिए आते हैं। उन्होंने आगे फ़रमाया कि इंसान होने के नाते हम सब अपने आपको एक शरीर और मन के दायरे में रहते हुए यह समझते हैं कि हमारा जन्म केवल दुनिया की जिम्मेदारियों को निभाने और इस संसार के आकर्षणों का आनंद लेने के लिए ही हुआ है लेकिन हमारी जिंदगी एक और मकसद भी है। हम एक आत्मा हैं जिसे प्रभु को प्यार करने और उनमें सदा-सदा का मिलाप करने के लिए ही इस दुनिया में भेजा गया है। संत-सत्गुरु हमें इस मार्ग पर चलने और हमें अपने सच्चे घर वापिस ले जाने के लिए आते हैं।
महाराज ने सत्संग के अंत में समझाया कि यह भौतिक संसार कर्मों के विधान के अनुसार चलता है, जिसमें हर सोच, बोल और कार्य के लिए हमें भुगतान करना पड़ता है लेकिन जब हम किसी पूर्ण संत-सत्गुरु की शरण में आते हैं तो वह हमारे अंतर और बाहर की दुनिया में मार्गदर्शक बन जाते हैं। वह हमें नामदान की दीक्षा देकर ध्यान-अभ्यास की तकनीक सिखाते हैं, जिससे कि हम अंतर की रूहानी यात्रा पर जाकर यह अनुभव करते हैं कि हम एक आत्मा हैं और हम यह जान जाते हैं कि हम पिता-परमेश्वर से बिछड़े हुए हैं। एक आध्यात्मिक सत्गुरु के मार्गदर्शन में जब हम अपने अंतर में रूहानी खज़ानों को प्राप्त कर लेते हैं, तब हमारी आत्मा जन्म-मरण के चुंगल से आजाद होकर सदा-सदा की शांति और खुशी को प्राप्त कर लेती है।
संत राजिन्दर सिंह महाराज सावन कृपाल रूहानी मिशन जोकि एक लाभ न कमाने वाली संस्था है, जिसे साइंस ऑफ स्पिरिचुएलिटी के नाम से भी जाना जाता है। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज का जीवन और कार्य लोगों को मनुष्य जीवन के मुख्य उद्देश्य को खोजने में मदद करने के लिए प्रेम और निःस्वार्थ सेवा की एक लगातार चलने वाली यात्रा के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने पिछले 34 वर्षों से जीवन के सभी क्षेत्र के लाखों लोगों को ध्यान-अभ्यास की विधि सिखाकर उन्हें अपने वास्तविक आत्मिक रूप से जुड़ने में मदद की है। उनका संदेश आशा, प्रेम, मानव एकता और निःस्वार्स्थ सेवा का संदेश है।
संत राजिन्दर सिंह महाराज आज विश्वभर में अनेक यात्राएं कर लाखों लोगों को ध्यान-अभ्यास की विधि सिखा रहे हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ध्यान-अभ्यास की कार्यशालाओं और अपनी पुस्तकों द्वारा जिनमें ‘मन का शुद्धिकरण’, ‘ध्यान-अभ्यास के द्वारा आंतरिक और बाहरी शांति’ और ‘मेडिटेशन एज़ मेडिकेशन फॉर द सोल’, डी.वी.डी., ऑडियो बुक्स, आर्टिकल्स, टी.वी., रेडियो और इंटरनेट ब्रॉडकॉस्ट के ज़रिये ध्यान-अभ्यास की तकनीक सिखा रहे हैं। इनकी पुस्तकें विश्व की 55 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध हैं। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को विभिन्न देशों द्वारा अनेक शांति पुरस्कारों व सम्मानों के साथ-साथ पाँच डॉक्टरेट की उपाधियों से भी सम्मानित किया जा चुका है। सावन कृपाल रूहानी मिशन के संपूर्ण विश्व में 3200 से अधिक केन्द्र स्थापित हैं। इसका मुख्यालय विजय नगर, दिल्ली में है तथा अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय नेपरविले, अमेरिका में स्थित है।