सांपला : समचाना की बाल्मिकी बस्ती, गलियों में भरा बारिश का पानी

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Rain water accumulation in the settlement of Samchana
Rain water accumulation in the settlement of Samchana

प्रवीन दतौड़, सांपला :

गांव समचाना प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। पिछले 10 दिन से गांव की बाल्मिकी बस्ती एवं स्कूल के प्रमुख रास्ते की गलियां पानी व कीचड सें लबालब हैं। मगर कोई कार्यवाही नहीं हो रही। यह हालात तो तब हैं जब पांच दिन पहले सांपला के बीडीओ व संबंधित अधिकारी गांव में आकर मौका मुआयना कर गए थे।
करीब दस दिन पूर्व आई बरसात के बाद गांव की बाल्मिकी बस्ती व कांकर वाले कुएं के पास गलियों में करीब 3-4 फुट पानी भर गया। यहां से स्कूल में आने का गांव का मेन रास्ता है व ग्रामीणों को भी अपने दैनिक कार्यों के लिए इस मुख्य चौराहे के पास से गुजरना पड़ता है। गलियों में पानी भरा होने के कारण ग्रामीण  परेशान हैं। जलस्तर थोड़ा कम हुआ तो अब पानी सड़ने लगा है और उसमें से बहुत ही दुर्गंध उठने लगी है। मच्छरों की भरमार है एवं जहरीले जीव जंतुओं का भी खतरा बना हुआ है। हालांकि स्कूल का मेन गेट गांव की ओर से बंद है लेकिन पानी स्कूल की दीवार व मेन गेट से सटा हुआ है।

इस ओर पानी निकालने के लिए स्कूल की मोरी भी हैं जिनमें से पानी से जहरीले जीव स्कूल में जाने का खतरा भी है। जहां से पानी थोड़ा सूख गया है वहां पर कीचड़ और गंदगी की भरमार है। हैरत की बात यह है कि मामला उपायुक्त से लेकर बीड़ीओ तक सबके संज्ञान में है उसके बावजूद कोताही बरती जा रही है। सांपला के बीडीओ संदीप ने उन्होंने ग्रामीणों की परेशानी को समझते हुए शनिवार को गांव में पानी निकलवाने के लिए 3 इंजन भी भेजे थे मगर वह अधीनस्थ कर्मचारियों की भेंट चढ़ गएद्य बताया जा रहा है कि 2 दिन गांव का  सेक्रेटरी छुट्टी पर चला गयाद्य ग्रामीणों सुनील, राजेश, सूरज, अमन, पुनीत, सचिन, सोनू आदि का कहना है कि इन इंजनों में ना तो तेल है और न डीजल, पानी निकलवाने के लिए पाइप भी नहीं आ पाए हैं। कहा यह जा रहा है कि तेल-डीजल का बजट पास नहीं हो पाया था। वहीं, गांववासी  युवा समाजसेवी प्रवीण का कहना है कि बजट पास न होने के कारण इंजन शुरू नहीं हो पाये थे, अधिकारियों ने मंगलवार को डीजल, तेल व पाईन दिलवाने का आश्वासन दिया है। हालांकि मंगलवार को भी समाचार लिखे जाने तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थीद्य बहरहाल, लोगों का घर से बाहर निकलना तो दूभर था ही अब दुर्गंध के कारण घरों में रहना भी मुश्किल हो रहा है।