अंबाला। मोदी की लहर और सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त समाज का मुद्दा काम आया। इसी का परिणाम रहा कि केवल कुरुक्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा की दस की दस सीट को भाजपा जीतने में कामयाब रही। इसमें कृष्ण बेदी का महत्व समझा जाता है तो ठीक वरना मैं तो एक कार्यकर्ता की हैसियत से पूरी ईमानदारी के साथ चुनाव अभियान में जुटा और परिणाम सभी के सामने है। पिछले पांच साल में प्रयास किया और लगातार उस वंचित वर्ग तक जिसे सरकार के सहयोग की आवश्यकता थी उसे सरकार के वेलफेयर के माध्यम से देने का काम किया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने विधानसभा के पहले सेशन में यह बात रखी। सदन में मौजूद पूर्व मंख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हमने आॅनलाइन करके देख लिया, यह बात नहीं चलेगी। परंतु मुख्यमंत्री ने जो दृढ़ निश्चय किया था उसे साकार किया। जब से हमारी सरकार बनी है और डिजिटलाइजेशन किया है तब से पेंशन व अन्य लाभ में किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है।
यह बातें इंडिया न्यूज हरियाणा पर सामना सवालों का में हरियाणा सरकार के समाज कल्याण मंत्री कृष्ण बेदी आईटीवी नेटवर्क के समूह संपादक (मल्टी मीडिया) अजय शुक्ल के प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। प्रस्तुत है समाज कल्याण मंत्री से किए गए सवाल के जवाब का मुख्य अंश।
सवाल: चुनाव के दौरान कुरुक्षेत्र के लिए एक चुनौती थी कि आपकी पार्टी ने राजकुमार सैनी को टिकट दिया था, ऐन वक्त में वह अलग दिशा में चल पड़े। इसके बाद राजकुमार सैनी टिकट काटकर नायब सैनी को टिकट दिया गया, और नायब सैनी ने एक उपलब्धि हासिल की। इस उपलब्धि पर आपका विशेष योगदान रहा। किस तरह से आप लोगों ने इसे मैनेज किया।
जवाब: राजकुमार सैनी के बागी होने के बाद नायब सैनी के जिताने की पार्टी और शीर्ष नेताओं ने जो मुझे जिम्मेदारी दी उसे पूरी जिम्मेदारी और निष्ठा के साथ निवर्हन किया। इसमें मोदी की लहर और सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त समाज का मुद्दा काम आया। इसी का परिणाम रहा कि केवल कुरुक्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा की दस की दस सीट को भाजपा जीतने में कामयाब रही। इसमें कृष्ण बेदी का महत्व समझा जाता है तो ठीक वरना मैं तो एक कार्यकर्ता होने की हैसियत से पूरी ईमानदारी के साथ चुनाव अभियान में जुटा और परिणाम सभी के सामने हैं।
सवाल: कृष्ण बेदी खुद को कार्यकर्ता कहतें हैं, हरियाणा सरकार उन्हें मंत्री बनाती है और वह जिम्मेदारी देती है जो एक सामाजिक सहकार और समाज कल्याण की है। उस समाज कल्याण की अवधारणा को पूरा करने का जिम्मा आप पर है। क्या वह जिम्मा जिसे संविधान ने प्रदान किया है उसको आप हरियाणा में पूरा कर रहें हैं।
जवाब: हरियाणा की जनता का आशीर्वाद मिला और मैं विधायक हो गया। इसके बाद मोदी जी की टीम में स्थान मिला। जो जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ने हमें दी इसके लिए पिछले पांच साल में प्रयास किया और लगातार के उस वंचित वर्ग तक जिसे सरकार के सहयोग की आवश्यकता थी उसे सरकार के वेलफेयर के माध्यम से देने का काम किया। हमारा विभाग बुढ़ापा, विधवा, दिव्यांग पेंशन से लेकर किन्नर और बौना के लिए पेंशन योजना वितरण व्यवस्था मैनुअल था, इसमें भ्रष्टाचार की बू आती थी। हमारे मुख्यमंत्री ने पदभार ग्रहण करते ही पहले ही दिन बैठक करके कहा कि हम इसे आॅनलाइन सिस्टम पर लेकर जाना चाहते हैंं ताकि भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सके। इसके बाद मुख्यमंत्री ने विधानसभा के पहले सेशन में यह बात रखी। सदन में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हमने आॅनलाइन करके देख लिया, यह बात नहीं चलेगी। परंतु मुख्यमंत्री ने जो दृढ़ निश्चिय किया था उसे साकार किया। इसके लिए लगातार 13 महीने हमारे मुख्यमंत्री और हम विभाग के अधिकारियों के सहयोग से प्रयास करके, आज देश का पहला ऐसा राज्य जिसमें पेंशन लेने वालों की संख्या देश में सबसे अधिक है जबकि यहां की आबादी और क्षेत्रफल काफी कम है, पेंशन की धनराशि दो हजार रुपए पूरे देश में सबसे अधिक हम (हरियाणा सरकार) दे रहें हैं। इसके लिए 6500 ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग पोस्ट आॅफिस के माध्यम से हमने पेंशन का वितरण किया। मुख्यमंत्री ने नेक नीयत से काम किया और हम 13 महीने में सफल हुए।
सवाल: आप कहतें हैं उनकी (भूपेंद्र सिंह हुड्डा की)नीयत में खोट थी। हालांकि अभी पिछले दिनों एक जांच रिपोर्ट में एक आॅफिसर पर आरोप लगा कि उन्होंने पिछली सरकार में गड़बड़ियों में साथ दिया, उसे कार्य में लगा दिया गया और जिसने पिछली गड़बड़ियों का खुलासा किया उसे हटा दिया गया।
जवाब: मैं एक बात कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री ने जिस विषय को लिया, उस पर ध्यान दिया। ध्यान देने का नतीजा रहा कि मैनुअल सिस्टम से छुटकारा पाकर आॅनलाइन करने में सफल हुए। आॅनलाइन सिस्टम करके करोड़ों के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम हुआ। एक लाख 32 हजार ऐसे लोग मिले, जिसमें कुछ की मृत्यु हो चुकी थी अथवा डबल पेंशन ले रहे थे। ऐसे पेंशन को बंद किया गया। मुख्यमंत्री से हमने कहा कि जो 70 प्रतिशत दिव्यांग हैं यदि इनकी प्रतिशतता घटाकर 60 प्रतिशत कर दिया जाए तो और लोगों को पेंशन का लाभ मिल सकता है। इस पर भ्रष्टाचार से जो पैसा बचा था, उसका उन वाजिब लोगों को लाभ दिया गया। इस प्रकार लगभग 32 हजार नए लोगों को पेंशन का लाभ दिया गया। अब पेंशन की एक भी पाई बिना बैंकिंग के नहीं होती है।
सवाल: अभी हाल के दिनों में अपने विभाग में आपने जांच करावाई उसमें पता चला कि पेंशन व अन्य योजनाओं में जो अधिकारी गड़बड़ी कर रहें थे आज फिर वही लोग आ गए हैं।
जवाब: इस बात से मैं सहमत नहीं हूं। कोई अपने कहने के लिए बात कहे वह बात नहीं होती है। कहीं भ्रष्टाचार की बू आई और मुख्यमंत्री के संज्ञान में विषय आया। मुख्यमंत्री ने कार्रवाई करने के लिए आदेश दिया और हरियाणा जांच कमेटी को जांच का जिम्मा सौंपा। यदि कोई अधिकारी है तो मुख्यमंत्री एफआईआर लिखाने तो जाएंगे नहीं, अधिकारी ही जाएगा। विभाग में जिसकी भी जिम्मेदारी है उसे एफआईआर लिखाने के लिए कहा गया। यदि इसमें कोई कहे कि मैंने भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ किया है तो गलत है। रही बात तबादले की तो वह प्रशासनिक प्रक्रिया है। इसमें तो यह था कि बैंकिंग प्रक्रिया में पेंशन डबल अथवा मृतक के खाते में जाने की बात सामने आई और बैंक अधिकारियों ने आकर पूरे मामले से अवगत कराया। उस पर मुख्यमंत्री ने मामले की जांच स्टेट विजिलेंस को दे दी है तो इस पर हम अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे सकते।
सवाल: बहुत लंबे समय से एक समस्या रही है कि हरियाणा का समाज कल्याण विभाग वहां पर किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थियों को कमीशन देना पड़ता था, क्या अब भी समाज कल्याण विभाग में उसी तरह से कमीशन लिया जाता है।
जवाब: जब तक डिजिटलाइजेशन नहीं हुआ था हम उस थीम पर नहीं चले थे। जब से हमारी सरकार बनी है और डिजिटलाइजेशन किया है तब से पेंशन वह अन्य लाभ में किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है। गरीबों को लोन के लिए पहले दो सरकारी अधिकारी गारंटर होते थे, उसे खत्म किया और डेढ़ लाख तक का लोन दलित और तीन लाख तक का लोग पिछडेÞ वर्ग को हमने बिना गारंटी के देने की शुरूआत की है। पहले गरीब की बेटी के शादी को तीन-तीन साल हो जाते थे, और लाभ नहीं मिलता था वह दफ्तरों के चक्कर काटता था। मुख्यमंत्री बेटी शगुन योजना का लाभ गरीब की बेटी के शादी से एक महीने पहले उसके घर तक पहुंचाने का काम हमारी सरकार में अधिकारी ने किया।
सवाल: हमारा युवा देश है, युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। आप युवा मंत्री है, इसके बावजूद सरकार और राज्य सरकार की योजना होती थी कि जो पिछडेÞ वर्ग के बच्चे हैं, सर्विसेज और सिविल सर्विसेज की तैयारी करते हैं, उनके लिए हॉस्टल व अन्य सुविधाएं देने की दिशा में आप काम कर रहे हैं।
जवाब: हमारी एक स्कीम चलती है जिसमें हमने निविदा के माध्यम से लोगों (अच्छे कोचिंग सेंटर) को आमंत्रित करते हैं। इसके बाद उनका रेट तय करके बच्चों की तैयारी कराई जाती है। इसमें आॅफ और आॅनलाइन दोनों तरह की व्यवस्था बनाई गई है। एक बात और कहना चाहूंगा कि पहले पुलिस भर्ती के कोई कोचिंग सेंटर नहीं था, पर अब तो निविदा के माध्यम से पुलिस भर्ती की तैयारी के लिए कई अच्छे कोचिंग सेंटर सरकार के साथ काम कर रहें हैं।
सवाल: आपको नरेंद्र मोदी ने जिम्मेदारी दी कि सरकार का एक वायदा था कि हम निचले स्तर तक जहां तक रोशनी नहीं पहुुंच पा रही है वहां तक हम पहुुंचाएंगे। यह समाज कल्याण विभाग की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस बात को लेकर बहुत संजीदा अंदाज में फोकस किया। आप पर यह भार है कि आप उसे पूरा करें, लेकिन बावजूद इसके तमाम शिकायतें आती हैं कि उन्हें (लाभार्थी का) लाभ नहीं मिल पा रहा है। क्या इस दिशा में आप कुछ कर रहे हैं।
जवाब: देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री का एक ही टारगेट हैं कि हम योजनाओं को मैनुअल की बजाय डिजिटल की तरफ जाएं। पिछले 50 से 60 साल के दौरान जनता और सराकार की रूटीन का काम था वह अभी थोड़ा स्पीडअप हुआ है। कहीं न कहीं डिजिटलाइजेशन करने में विभाग को भी कुछ समस्या आ रही है। जो लाभार्थी हैं उन्हें कहीं न कहीं इम्प्लीमेंट करने में भी दिक्कत आ रही है। दूसरी समस्या यह आ रही है कि कर्मचारियों की कमी भी एक प्रमुख कारण है। यदि पूर्व की सरकारें पहले ही दक्ष अधिकारियों और कर्मचारियों की भर्ती की होती तो आज इस समस्या से नहीं जूझना पड़ता। जहां भी समस्या आ रही है उसको हम ठीक करने का काम कर रहें हैं। हम देश के अंदर दीन दयाल उपाध्याय की सोच को लेकर चल रहे हैं। मौजूदा देश और प्रदेश की सरकार समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को लाभ पहुंचाने में लगी है।