Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई शुरू हो गई। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता और समलैंगिक विवाह (सेम सेक्स मैरिज) के पक्ष में लगाई गई याचिकाओं की पैरवी मुकुल रोहतगी कर रहे हैं।
सुनवाई के लिए अनुमति देना हमारा काम : सीजेआई
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि समलैंगिक विवाह पर संसद को फैसला लेने दीजिए। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, हम इंचार्ज हैं और हम तय करेंगे कि किस मामले पर सुनवाई करनी है और किस तरह करनी है। हम किसी को भी अनुमति नहीं देगे कि वह हमें बताएं कि सुनवाई करनी है या नहीं। एसजी की दलील पर सीजेआई ने यह भी कहा कि हम आने वाले चरण में केंद्र सरकार की दलील भी सुनेंगे।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सेम सेक्स मैरिज का मामला ऐसा नहीं है, जिस पर एक पक्ष में बैठे पांच लोग, दूसरे पक्ष में बैठे पांच लोग और पीठ में शामिल पांच विद्वान बहस कर सकें। इसमें दक्षिण भारत के किसान और उत्तर भारत के बिजनेसमैन का भी नजरिया जानना होगा। एसजी ने कहा, हम अब भी इन याचिकाओं के आधार पर सवाल कर रहे हैं, क्योंकि हो सकता है कि मामले पर सभी राज्य एकमत न हों। उन्होंने कहा, हम अभी भी यही कह रहे हैं कि क्या इस मुद्दे पर कोर्ट खुद फैसला ले सकती है।
याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी की दलील
याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, हम अपने घरों में प्राइवेसी चाहते हैं। साथ ही यह भी कि हमें सार्वजनिक जगहों पर किसी तरह के लांछन का सामना न करना पड़े। हम चाहते हैं कि 2 लोगों के लिए शादी व परिवार को लेकर वैसी ही व्यवस्था हो, जैसी अभी दूसरों के लिए चल रही है। मुकुल रोहतगी ने कहा, शादी और परिवार की हमारे समाज में इज्जत होती है। कानून में से इस मामले पर आपराधिक और अप्राकृतिक हिस्सा हट गया है। ऐसे में हमारे अधिकार भी समान हैं।
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