Same Sex Marriage Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार से 3 मई तक मांगा जवाब

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Same Sex Marriage Hearing
सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज केस में केंद्र से तीन मई तक मांगा जवाब

Aaj Samaj (आज समाज), Same Sex Marriage Hearing, नई दिल्ली:  समलैंगिक विवाह (सेम सेक्स मैरिज) को मान्यता देने वाली 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई का छठा दिन था। मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से 3 मई तक जवाब मांगा है कि वे बताएं कि समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मान्यता के बिना भी शादी की अनुमति दिए जाने से क्या फायदा होगा।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा केंद्र का पक्ष

सुनवाई के दौरान केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन होगा, जिसे भरण-पोषण का अधिकार मिलता है। गे या लेस्बियन मैरिज में पत्नी किसे कहेंगे। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, यदि यह जिक्र सेम सेक्स मैरिज में लागू करने के लिए किया जा रहा है तो इसके मायने हैं कि पति भी रखरखाव का दावा कर सकता है, लेकिन अपोजिट जेंडर वाली शादियों में यह लागू नहीं होगा। सुनवाई उखक डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की संवैधानिक बेंच कर रही है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन होगा, जिसे भरण-पोषण का अधिकार मिलता है। गे या लेस्बियन मैरिज में पत्नी किसे कहेंगे। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, यदि यह जिक्र सेम सेक्स मैरिज में लागू करने के लिए किया जा रहा है तो इसके मायने हैं कि पति भी रखरखाव का दावा कर सकता है, लेकिन अपोजिट जेंडर वाली शादियों में यह लागू नहीं होगा। सुनवाई उखक डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की संवैधानिक बेंच कर रही है।

एक्ट सिर्फ अपोजिट जेंडर वालों के लिए

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ने कहा, स्पेशल मैरिज एक्ट सिर्फ अपोजिट जेंडर वालों के लिए है। अलग आस्थाओं वालों के लिए इसे लाया गया। सरकार बाध्य नहीं है कि हर निजी रिश्ते को मान्यता दे। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि नए मकसद के साथ नई क्लास बना दी जाए। इसकी कभी कल्पना नहीं की गई थी।

सरकार को किसी रिश्ते को मान्यता देने में धीमा चलना होगा, क्योंकि इस स्थिति में वह सामाजिक व निजी रिश्ते के मंच पर होता है। देखा जाए तो अपोजिट जेंडर वालों में शादियों को कंट्रोल नहीं किया जाता, लेकिन समाज को लगता है कि आप लोगों को किसी भी उम्र में और कई बार शादी की अनुमति नहीं दे सकते। ऐसी कई चीजें हैं।

अपोजिट जेंडर वाले समलैंगिकों को दिए जाने वाले बेनिफिट की मांग कर सकते हैं। यह भी हो सकता है कि ऐसे शादीशुदा अदालत में आएंगे और कहेंगे कि मुझे वही लाभ मिले जो समलैंगिक जोड़ों को मिलता है, क्योंकि मैं भीतर से हेट्रोसेक्शुअल (विषमलैंगिक) हो सकता हूं, लेकिन मुझे कुछ और लगता है।

जानिए क्या बोले प्रधान न्यायाधीश

पांच साल बाद क्या होगा, कल्पना करें। सेक्शुअल आॅटोनॉमी का हवाला देकर कोई अनाचार पर रोक लगाने वाले प्रावधानों को ही कोर्ट में चुनौती दे सकता है। इस पर सीजेआई ने कहा कि ये तर्कसंगत नहीं है। कोई भी अदालत कभी भी इसका समर्थन नहीं करेगी। समलैंगिक विवाह की मान्यता की मांग करने वाले स्पेशल मैरिज एक्ट को दोबारा लिखवाना चाहते हैं। याचिकाकर्ता अपनी जरूरत देख रहे हैं। क्या कोई एक्ट ऐसा हो सकता है कि एक तरफ वह अपोजिट जेंडर पर लागू हो और दूसरी तरफ समलैंगिकों पर। इसका कोई मतलब नहीं हो सकता।

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