- शांति बनाए रखे उत्तर प्रदेश सरकार : कोर्ट
- 24 नवंबर को सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा
Sambhal Mosque Row, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के संभल मस्जिद विवाद (Sambhal Mosque controversy) में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मस्जिद समिति द्वारा सिविल कोर्ट के निर्देश के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुनवाई की। उन्होंने निचली अदालत को निर्देश दिया कि जब तक संभल शाही जामा मस्जिद समिति इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाती, तब तक वह मुकदमे में आगे न बढ़ें।
हिंसा में 4 लोगों की मौत, कई घायल
गौरतलब है कि मस्जिद का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी, ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि यह मंदिर के खंडहरों पर बनी है या नहीं। 24 नवंबर को सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा में संभल में चार लोगों की मौत हो गई थी और पुलिस अधिकारियों सहित कई अन्य घायल हो गए थे।
शीर्ष अदालत ने आज सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन को यह भी निर्देश दिया कि कार्यवाही पर रोक तक क्षेत्र में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएं। मामले को 6 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह विवाद के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है, लेकिन उसने मस्जिद समिति की याचिका को स्थगित रखने का विकल्प चुना है।
जानिए क्या है मस्जिद समिति का तर्क, हिंदू वादी का दावा
मस्जिद समिति ने तर्क दिया है कि सर्वेक्षण आदेश एक लंबित मुकदमे में एकतरफा व जल्दबाजी में पारित किया गया आदेश था। अदालत को यह भी बताया गया कि मुगलकालीन मस्जिद, पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत संरक्षित स्थल है। इसके विपरीत, हिंदू वादी ने दावा किया है कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर ने 1526 में ‘हरिहर मंदिर’ को ध्वस्त करने के बाद किया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बीच, हिंसा की जांच करने और अगले दो महीनों में अपनी रिपोर्ट देने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है। पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और अरविंद कुमार जैन पैनल के अन्य दो सदस्य हैं।
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