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‘SAMANA SAWALO KA’, By ITV’s Editor-in-Chief (Multi Media) Ajay Shukla with Former MP Dushyant Chautala:मोदी के चेहरे पर मिली भाजपा को अपार जीत- दुष्यंत चौटाला

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अंबाला। हमारे प्रत्याशी शिक्षित और मजबूत लोग थे। हमने काम करके अपने क्षेत्र में दिखाया। हम यही चाहते हैं कि प्रदेश में ऐसे लोगों को लाएं कि जो अपने क्षेत्र को प्रगति के पथ पर अग्रसर बनाने का काम करें। बदलाव के अंदर अपनी हिस्सेदारी डालने का काम करें, यही हमारा लक्ष्य है। सरकार के लिए तो मैं विपक्ष का सांसद था। इसके बावजूद भी हम छोटे छोटे बीस बदलाव लाने का काम किया। आज तक भारत के इतिहास में प्राइवेट मैंबर बिल 1980 में पास हुआ। 17वीं लोकसभा चुनाव में मुकाबला नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में था, लोगों ने देखा कि नरेंद्र मोदी बेहतर हैं, तो उन्हें वोट का प्रतिशत अधिक मिला। राहुल गांधी खुद की सीट भी हार गए। मुकाबला नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में था, लोगों ने देखा कि नरेंद्र मोदी बेहतर हैं, तो उन्हें वोट का प्रतिशत अधिक मिला। राहुल गांधी खुद की सीट भी हार गए। जननायक जनता पार्टी के नेता और पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला इंडिया न्यूज हरियाणा पर ‘सामना सवालों का’ में आईटीवी के प्रधान संपादक (मल्टी मीडिया) अजय शुक्ल के सवाल का जवाब दे रहे थे। प्रस्तुत है सवाल और जवाब के मुख्य अंश।…
सवाल: आपको हरियाणा की जनता ने एक जिम्मेदारी दी थी और 16वीं लोकसभा को हिसार का सबसे कम उम्र का सांसद बनाया था। इसके बदले में युवा सांसद दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा को क्या दिया।
जवाब: पांच साल मुझे संसद में काम करने का मौका मिला। चाहे वह किसान ट्रैक्टर, फसल बीमा अथवा हरियाणा में रेलवे की बात हो। जब-जब मुझे लोकसभा के किसी सेशन में जाने का मौका मिला हरियाणा की समस्याओं को सरकार के सामने रखा। जब सरकार ने गजट निकालकर ट्रैक्टर को कामर्शियल किया तब मैं सदन में ट्रैक्टर लेकर गया। जब सरकार ने रिकॉल किया और ट्रैक्टर को नॉन एग्रीकल्चर व्हीकल बनाया तो लोग कहते थे कि अगर तू न करता तो आज शायद ट्रेक्टर गाडा न रहता।

सवाल: सिर्फ ट्रैक्टर ही नहीं आप युवाओं के भी लीडर और आईकॉन थे, तो युवाओं के लिए क्या किया।
जवाब: चाहे आईआईएमटी, आईआईएम के ऊपर बिल आए हों, या फिर हमारे कुरुक्षेत्र की एनआईटी को अतरिक्त फंड दिलवाने की बात हो, यह मेरे लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा नहीं था, लेकिन मैंने वहां की समस्याओं को सदन में रखा। रोजगार, स्कील इंडिया के फेलियर, गेस्ट टीचर को स्थाई, कम्प्यूटर टीचर को पक्का करने की बात को सदन में प्रमुखता से उठाया। आज जो भी युवा है, 40 साल से कम आयु वर्ग है जो इस सरकार में प्रताड़ित है उनकी समस्याओं को मैं सांसद होने की हैसियत से उठाता था। सरकार के लिए तो मैं विपक्ष का सांसद था। इसके बावजूद भी हम छोटे छोटे बीस बदलाव लाने का काम किया।

सवाल: क्या आप सदन में कोई प्राइवेट बिल लाए।
जवाब: सबसे ज्यादा प्राइवेट बिल हरियाणा के अंदर लाने का काम किया है। मेरा पहला प्राइवेट मैंबर बिल था कि जो हरियाणा पंजाब हाईकोर्ट की बेंच केवल चंडीगढ़ में है उसकी एक अतिरिक्त ब्रांच हरियाणा के गुरुग्राम में खोली जाए। इससे आज जो गुरुग्राम का व्यक्ति है जिसके पास सबसे ज्यादा लिटिकेशन है उसे हर रोज चंडीगढ़ आना पड़ता है।
सवाल: उत्तर प्रदेश में लोग नोएडा से इलाहाबाद जाते हैं, ऐसे में नोएडा से इलाहाबाद और गुुरुग्राम से चंडीगढ़ की दूरी देख लीजिए। यह हरियाणा का धन बर्बाद करने वाली बात नहीं है।
जवाब: आज उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की तीन ब्रांच है, (अजय शुक्ल बोले, नहीं हाईकोर्ट की दो ब्रांच एक लखनऊ में बाकी इलाहाबाद है, तीसरी की मांग है) राजस्थान के अंदर दो है, जोधपुर और जोधपुर की ब्रांच जयपुर है। हरियाणा पंजाब हाईकोर्ट तो दो प्रदेश का एक हाईकोर्ट है। इस हाईकोर्ट के अंदर सिविल का बहुमत शूट है वह दो जिले हैं, जहां सबसे ज्यादा इंडस्ट्रीज है वह है फरीदाबाद और गुरुग्राम। यह धन बर्बादी की बात नहीं है। अगर एक ब्रांच अथवा एक बेंच गुरुग्राम खुलती है तो हमारे 12 ऐसे जिले हैं जिनको हम एनसीआर से जोड़ते हैं। सबसे ज्यादा लिटिकेशन बिजनेस संबंधी एनसीआर को फायदा मिलेगा।
सवाल: इसको लेकर लोग कहते थे कि दिल्ली की एडवोकट की जो लॉबी है उसके सहयोग में इस तरह की मांगें की जाती है।
जवाब: लोग कहते थे कि पुलिस वाला भ्रष्टाचार करता है। मैंने एक प्राइवेट मैंबर बिल डाला था, ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने की। इसके लिए मैंने कहा था कि जैसे अमेरिका और इंग्लैंड में पुलिस के कंधे पर कैमरे और रिकॉर्डर भी होते है जैसे गाड़ी रोके रिकॉर्डिंग शुरू हो और जैसे चलान कट जाए रिकॉर्डिंग बंद हो जाए। मैंने देखा कि गुरुग्राम पुलिस ने इसे एडाप्ट किया। मेरा प्राइवेट मैंबर बिल कभी डिस्कसन में नहीं आया, लेकिन गुरुग्राम गया तो इस बाद देखा कि पुलिस वालों के छाती के ऊपर एक कैमरा रिकॉर्डर है, उसको आॅन कर लेते हैं, कि अगले ड्राइबर की गलती भी उसको बता सके। हमें पूरे देश में लागू करना चाहिए, बजट भी कुछ ज्यादा नहीं है वन टाइम इनवेस्टमेंट है, मगर उसके बाद व्यवस्था सुधरेगी। हमारे देश का पोस्टमार्टम एक्ट अंग्रेजों के समय का बना है, जब लाइट नहीं होती थी तब कहते थे सायं पांच बजे के बाद अंधेरा हो जाएगा पोस्टमार्टम नहीं हो पाएगा। आज सभी सुविधाएं हैं, अंधेरे में भी लाइट लगाकर सब काम कर लेते हैं, तो पोस्टमार्टम क्यों नहीं कर सकते। हमें इस पोस्टमार्टम एक्ट को बदलने के लिए कदम उठाना चाहिए। ऐसी बहुत सी बातों को मैंने सदन में रखा। आज तक भारत के इतिहास में प्राइवेट मैंबर बिल पास हुआ 1980 में। इस बार एक प्राइवेट मैंबर का ट्रांस्जेंडर बिल राज्यसभा ने पास कर दिया, लेकिन अब तक लोकसभा में डिस्कसन में नहीं आया। यह देखने की बात है कि सदन में विपक्ष का बोलना कितना महत्वपूर्ण है, कितना बदलाव लाया जा सकता है।
सवाल: जिनको पीछे छोड़कर आप आगे बढ़ने की बात करते हैं कि लोकतंत्र को मजबूत कर रहें हैं न कि विपक्ष में जो लोग हैं, इसमें कितनों को जनता ने नकार दिया, असल में वह लोकतंत्र के रक्षक नहीं थे, बल्कि वह लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रहे थे।
जवाब: अगर विपक्ष लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाता है तो विपक्ष की आवश्यकता ही क्या है। फिर तो मोदी को ऐसा कानून लाद देना चाहिए कि डेमोक्रेसी के अंदर चुनाव समाप्त कर देना चाहिए।
सवाल: पूरे देश में यह जो (लोकसभा का) चुनाव, वह मोदी बनाम विपक्ष के नाम पर हुआ। ऐसी स्थिति में जब आप कहतें हैं कि मोदी जी विपक्ष को हानि पहुुंचाने का काम करते हैं, उसे खत्म करने का काम करते हैं। ऐसी स्थिति में जनता ने फिर उन्हें (मोदी को) स्वीकारा है।
जवाब: जनता ने उनको (मोदी जी) अपनाया है और कारण अपनाने का एक था कि मोदी जी के सामने चेहरा राहुल गांधी का, दुष्यंत चौटाला का चेहरा नहीं था, मैं प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। दस सांसद वाले प्रदेश से अगर कोई सोचे कि मैं लाल किले पर तिरंगा लहराउंगा तो उसे कम से कम बीस साल मेहनत करनी पड़ेगी। मुकाबला नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में था, लोगों ने देखा कि नरेंद्र मोदी बेहतर हैं, तो उन्हें वोट का प्रतिशत अधिक मिला। राहुल गांधी खुद की सीट भी हार गए। हरियाणा की बात करूं तो 223 उम्मीदवार पिछले लोकसभा के चुनाव मैदान में थे, इसमें 203 की जमानत जब्त हो गई। इसमें 20 जो थे उसमें दस जीते वह सांसद बन गए और दस रनर रहे। फिर भी उसमें मैं एक जगह जीता, बाकी नौ जगह कांग्रेस जीती। यह स्थिति यहां पहली बार नहीं आई, जब इंदिरा गांधी का जब निधन हुआ और राजीव गांधी जब 1984 में चुनाव मैदान में उतरे तो उस में 303 नहीं 432 सांसद कांग्रेस के जीते थे। 1987 में जब चुनाव हुआ तब हरियाणा में पांच सीट पर कांग्रेस जीती। समय परिवर्तन और लोकतंत्र की सोच मुद्दे पर हर समय अलग होती है। आज लोगों की सोच थी कि प्रधानमंत्री के चेहरे की, उन्होंने अपना वोट डाला और प्रधानमंत्री चुनाव, आगे आएगी प्रदेश के मुख्यमंत्री और विधायक के मुद्दे पर लोग उसको वोट देंगे। जो लोग भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े उनके 70-70 गांव में विरोध हुआ और वह जीत रहें हैं।
सवाल: आपका कहना है कि भाजपा नहीं मोदी का चेहरा जीता।
जवाब: बिल्कुल!
सवाल: यह भी कहा जाता है कि आपने डमी उम्मीदवार इसलिए उतारे क्योंकि हुड्डा के परिवार को हराना चाहते थे।
जवाब: इसका मतलब दुष्यंत अगर चुनाव मैदान में उतरे तो वह दूसरे को चुनाव हराने के लिए, क्या जीतने के लिए नहीं खड़े होते हैं। जब विजय सिंह को जींद के चुनाव मैदान में उतारा था तब तो लोग कहते थे कि जीतने के लिए खड़े हुए हैं। जब दिग्विजय सिंह सोनीपत आते है तो कहतें हैं हुड्डा को हराने के लिए खड़ा हुआ है। हमें यह बताया जाए कि मुलायम सिंह और मायावती के गठबंधन की तरह हम काम करते कि सोनिया गांधी के खिलाफ उम्मीदवार न खड़ा करें कि वह चुनाव जीत जाएं। उन्होंने राहुल गांधी के आगे भी प्रत्याशी नहीं उतारा, लेकिन राहुल तो चुनाव हार गए और स्मृति ईरानी जीत गईं। मगर यह बोलना कि यह हराया था, इसे हाराने के लिए खड़ा हुआ है, यह तो लोगों के अंदर भ्रम पैदा करने की बात हुई।
सवाल: आगे विधानसभा चुनाव आने वाला है, इसके लिए करीब सौ दिन का समय है। इतने दिनों के दौरान वह पार्टी जो अभी शिशु है क्या विधानसभा चुनाव में इतना वोट ला पाएगी कि एक सरकार को बना सके। या फिर सरकार बनाने में मददगार हो अथवा सरकार की गणित बना सके।
जवाब: मैं एक बात कहना चाहता हूं कि असमगण परिषद, टीडीपी और आम आदमी पार्टी को ले लीजिए। लोकसभा छोड़ दीजिए, इनके विधानसभा के चुनाव परिणाम को उठाकर देखा जाए तो लोगों ने परिवर्तन के लिए वोट डाला और बहुत मजबूती से साथ दिया। इसका नतीजा है एक तरफा बहुतमत से राज बनाने का काम किया। गणित के अंदर अगर हमें 6 प्रतिशत वोट 8 सीट पर मिले हैं तो एक बात साबित होती है लोगों ने हमें स्वीकार किया है। लोगों की सोच हमारे साथ जुड़ी है। पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह पहुंचाने में वर्षों का समय लग जाता है। हम तो छह महीने के अंदर वहां पहुंच गए। हमारे पास सौ दिन हैं, हमें चाभी भी मिल गई, एक नया चुनाव चिन्ह, जिसको लेकर हम आगे बढ़े हैं। मैंने एक अंग्रेजी में वीपी सिंह का साक्षात्कार पढ़ा, उनसे (वीपी सिंह से) एक पत्रकार ने पूछा कि क्या यह चुनाव हैट्रिक था, तो उन्होंने (वीपी सिंह ने) कहा कि मुझसे मत पूछो चौधरी देवीलाल से पूछो। 390 दिन में 5 दिन वह (चौधरी देवीलाल) घर गए, 385 दिन सुबह छह बजे से रात 12 बजे तक काम किया। आज इसका नतीजा है कि मैं देश का प्रधानमंत्री हूं।
सवाल: लोग और आपके चाचा भी यह कहतें हैं कि नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा गया था, इसलिए वह करीब एक प्रतिशत पर आ गए। जो पार्टी 24 प्रतिशत वोट लाती थी, वह इस स्थिति में पहुंच गई तो क्या यह माना जाए कि आपका, आपके परिवार का और आपके पिछली पार्टी का जनाधार कम हो रहा है।
जवाब: जहां तक उस पार्टी की बात है तो मैं उसका हिस्सा नहीं हंू। कोई कुछ कहे तो मैं यह मानता हूं कि अगर मैं 6 प्रतिशत पर हूं, अगले चुनाव में 0.5 प्रतिशत पर आता हूं तो यह मेरी कमी है। आज जहां हमारी बात है, हम छह फीसदी है, हम टारगेट लेकर चल रहें हैं कि सौ दिनों में पांच गुना मजबूत करेंगे और 30 प्रतिशत वोट बैंक तक लाने का काम करेंगे कि प्रदेश में राज हम अपने दम पर बनाएंगे।
सवाल: भाजपा कहती है कि उसने पन्ना प्रमुख बनाए हैं, दूसरे और प्रमुख बनाएं हैं उन्होंने (भाजपा ने) इतनी तैयारी कर ली है कि अगर आज की तिथि में चुनाव हो जाए तो वह जीत जाएंगे और 75 प्लस की बात करते हैं। ऐसी स्थिति में एक नई पार्टी के मुखिया के तौर पर आप कैसे उम्मीद करते हैं कि जब वह 75 वहीं ले जाएंगे तो आप टारगेट कैसे पूरा करेंगे।
जवाब: 2009 में मेरे पिता जी महेंद्रगढ़-भिवानी में भाजपा के साथ गठबंधन होने के बाद भी लोकसभा चुनाव लड़े थे, हम दस की दस सीटें हारे थे। लोग कहते थे कि इनके नौ विधायक हैं दो रह जाएंगे। डॉ. अजय सिंह चौटाला रायपुर से पैदल चलना शुरू किया और 31 दिन बाद वह चंडीगढ़ आए और 607 किमी पदयात्रा किया, इसका नतीजा था कि नौ के 32 आए, हमारे पास तो सौ दिन है। उस समय भूपेंद्र हुड्डा कहा करते थे कि मैं 67 को 80 करके दिखाउंगा, लोगों ने उनको 40 पर लाने का काम किया। जो लोग आज 75 प्लस की बात करते हैं, हरियाणा के अंदर जनता राजनीतिक तौर पर बहुत जागरूक है।
सवाल: आप कहते हैं कि मौजूदा सरकार में भ्रष्टाचार हुआ है दूसरी चीजें हुईं हैं, लेकिन भाजपा जो कहती है कि इतना इमानदार और स्वच्छ छवि का मुख्यमंत्री आज तक नहीं हुआ। यह भी कहा जाता है इस सरकार में सीएम आॅफिस में कोई भीड़ नहीं लगती क्योंकि सारे काम अपने आप हो जाते हैं।
जवाब: भीड़ इसलिए नहीं लगती कि सीएम आॅफिस में नहीं मिलते। मिले भी आदमी किससे, वहां समस्या कोई सुनने वाला नहीं है। आज पड़ोस के कुरुक्षेत्र में किसान धरने पर बैठे हैं। जो सूरजमुखी थी उसका एमएसपी 5200 रुपए हैं वह 3000-3200 के दाम पर बेचनी पड़ी है, उसकी फरियाद सुनने वाला कौन है। यह तो गूंगी बहरी सरकार है। जैसे गांधी जी के तीन बंदर थे, किसी का बुरा न देखो, बुरा न करो, बुरा न बोलो, तो अच्छे दिखोगे। आज जो हालात है इनके (सरकार) खिलाफ अगर बोलोगे तो देशद्रोही, अगर आपने इनके कामों को देख लिया और उसका प्रचार नहीं किया तो आप देशद्रोही।
सवाल: आपके पास जनता के लिए क्या ऐसा है कि जनता आप पर विश्वास करके आपको सरकार बनाने का मौका दे।
जवाब: जहां बात जननायक जनता पार्टी है आज के दिन अगर निर्माण में आए हैं तो एक परिवर्तन के लिए। इस सोच के साथ कि जहां युवा को रोजगार, महिला को सुरक्षा, व्यापारी को समृद्धि और किसान को खुशहाली मिले। खास तौर पर आज कर्मचारी वर्ग में रोष है, दिन ब दिन उसको (रोडवेज और बिजली बोर्ड को) सरप्रेस किया जा रहा है। इस सरकार ने उसको पीसा है। जो लाभ वाले उपक्रम थे, उसको बंद करने का काम किया। गुरुग्राम में जहां 17 लाख नौकारियां है वहां हरियाणवियों को 2.5 लाख भी नौकरी नहीं है। अगर हम बात करें महिला सुरक्षा की, तो जिनता क्राइम रेड महिलाओं के खिलाफ भाजपा के साढ़े साल के शासनकाल में अपराध बढ़ा है। आंकड़े बताते हैं कि देश का चौथा ऐसा प्रदेश है जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध सबसे अधिक होते हैं और असुरक्षित राज्य है। गुरुग्राम जो हमारा सबसे बड़ा शहर है वह विश्व के 20 मोस्ट अनसेफ वर्किंग सिटी में आ चुका है। इन तमाम चीजों को देखते हुए आज बदलाव की जरूरत है।
सवाल: आप कहते हैं कि बदलाव की जरूरत है, एक समय था कि जब कि आपके दादा यही शब्द इस हरियाणा में हमे थे, उन्हें इंडियन नेशनल लोकदल खड़ी हुई, आपके समय तक आते-आते यह स्थिति हो गई कि एक बदलाव की बजाय बदनामी की स्थिति में आ गई। कहीं ऐसा ही दुष्यंत चौटाला के साथ भी तो नहीं हो जाएगा।
जवाब: जहां दुष्यंत की बात है तो मैंने राज नहीं देखा, मैं 14 साल का था जब इंडियन नेशनल लोकदल की सत्ता आ गई। आज मैं उसका हिस्सा नहीं हूं, क्यों आरोप लगे, कैसे लगे यह समय की बात है। जहां जननायक जनता पार्टी की बात है, तो आप एक वाकया बताओ कि पांच महीने में कोई भी बदनामी का प्रकरण सामने आया है।
सवाल: मैं भी तो यही कह रहा हूं कि आरोप प्रत्यारोपों से दूर आप क्या करेंगे। आपके पास क्या कार्ययोजना है।
जवाब: हमारे प्रत्याशी शिक्षित और मजबूत लोग थे। हमने काम करके अपने क्षेत्र में दिखाया। हम यही चाहते हैं कि प्रदेश में ऐसे लोगों को लाएं कि जो अपने क्षेत्र को प्रगति के पथ पर अग्रसर बनाने का काम करें। बदलाव के अंदर अपनी हिस्सेदारी डालने का काम करें, यही हमारा लक्ष्य है।