पिछले दिनों आगरा में राष्ट्रीय महिला कुश्ती चैम्पियनशिप में हरियाणा की सोनम ने अपने शानदार प्रदर्शन से समां बांध दिया। उन्होंने रियो ओलिम्पिक की मेडलिस्ट साक्षी मलिक को पिछड़ने के बाद शानदार जीत हासिल की। यह उनकी साक्षी पर साल भर में तीसरी जीत थी। सोनम सोनीपत के मदीना गांव में सुभाषचंद्र बोस एकेडमी में कुश्ती का अभ्यास करती हैं और उनका सपना ओलिम्पिक पदक है।
सोनम जूनियर से सीनियर में आई हैं जबकि साक्षी 62 किलो वर्ग की बेजोड़ पहलवान रही हैं। जब इन दोनों का सामना एशियाई चैम्पियनशिप के ट्रायल के लिए हुआ तो सोनम ने पहली बार साक्षी मलिक का सामना किया था लेकिन उन्हें अपने अभ्यास पर भरोसा था और उन्होंने वह कर दिखाया, जिसकी उम्मीद उनके पिता और कोच कर रहे थे। यह साक्षी की राष्ट्रीय स्तर पर किसी भारतीय महिला के हाथों पहली हार थी लेकिन जब एशियाई चैम्पियनशिप की तारीखें आगे खिसक गईं तो इसके लिए इनके ट्रायल को दोबारा कराना पड़ा जिससे साक्षी को एक बार फिर उम्मीद जगी लेकिन सोनम ने एक बार फिर उन्हें शिकस्त देकर उनकी उम्मीदों को खत्म कर दिया।
इस बारे में सोनम कहती हैं कि वह मुक़ाबले के दौरान अंक खोने से परेशान नहीं होतीं। मानसिक तौर पर वह मज़बूत हैं। वह जानती हैं कि वह मुक़ाबले के आगे बढ़ने के साथ ही अंकों को कवर कर लेती हूं और उनके लिए जितना अपर बॉडी स्ट्रैंथ मायने रखती है, उतने ही लेग अटैक भी मायने रखते हैं। एशियाई चैम्पियनशिप के ट्रायल को याद करते हुए सोनम भावुक हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि ट्रायल में हर किसी ने मान लिया था कि वह यह मुक़ाबला हार चुकी हूं लेकिन आखिरी चंद सेकंड में उन्होंने ढाक दांव का इस्तेमाल करके साक्षी के हाथ में आई हुई जीत को छीन लिया।
सोनम देश की इकलौती ऐसी पहलवान हैं जिनके नाम वर्ल्ड कैडेट कुश्तियों के दो गोल्ड और एक ब्रॉन्ज़ मेडल है। अब तक सुशील ही इस प्रतियोगिता में दो गोल्ड जीत चुके हैं। उन दिनों को याद करते हुए सोनम ने कहा कि इस चैम्पियनशिप के बाद उनके हाथ की मासपेशियों में ऐसा खिंचाव आया कि उनका हाथ ही चलना बंद हो गया। यहां तक कि हरियाणा राज्य चैम्पियनशिप में वह इस हाथ की परेशानी की वजह से भाग नहीं ले पाईं। सोनम यह कहते हुए बेहद भावुक हो जाती हैं। `करीब डेढ़ से दो साल तक वह कुश्ती से दूर रहीं। तब ऐसा लगता थी कि कहीं यह खेल ही उन्हें हमेशा के लिए न छोड़ना पड़े। वह मेरे जीवन का सबसे मुश्किल समय था लेकिन डॉ. पवन शर्मा की मेहनत रंग लाई। धीरे-धीरे मैं इस इंजरी से उबरने लगी।
सोनम कहती है कि उनके भाई भी रेसलिंग करते हैं। मैं उनके साथ ही वह एकेडमी जाती थी। वहीं से उनका कुश्ती का शौंक विकसित हुआ। एकेडमी में काफी लड़के आते थे जिनके साथ अभ्यास करके उनके खेल में काफी सुधार हुआ। उनके साथ अभ्यास करके मुझे अपनी स्ट्रैंथ, पॉवर और स्टेमिना सुधारने में मदद मिली जो प्रतियोगिताओं में उनके बुहत काम आया।
सोनम कहती हैं कि उनका कुश्ती करने का उद्देश्य ओलिम्पिक पदक है। इसके लिए उन्हें एक बार ओलिम्पिक क्वॉलिफाइंग में उतरना होगा और वहां एक बार फिर साक्षी दीदी उनके सामने होंगी। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने साक्षी मलिक को ओलिम्पिक में मेडल जीतते टीवी पर देखा था, तभी से उन्होंने ठान लिया था कि वह भी इस मुकाम तक ज़रूर पहूंचेंगी।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार एवं टीवी कमेंटेटर हैं)