Saint Shiromani Ravidas Jayanti l संत रविदास की शिक्षाएं आज भी मानव समाज के लिए प्रासंगिक- मनोज गौतम

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व्याख्यान में युवाओं को संबोधित करते अतिथि।
व्याख्यान में युवाओं को संबोधित करते अतिथि।

Aaj Samaj (आज समाज),Saint Shiromani Ravidas Jayanti,नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
शहर के सतनाली मोड़ स्थित एक एजुकेशन सेंटर पर संत शिरोमणि रविदास जयंती के उपलक्ष्य में ‘वर्तमान समय में संत रविदास की शिक्षाओं की प्रासंगिकता’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए सवेरा स्वयंसेवी संस्था के अध्यक्ष मनोज गौतम ने कहा कि भक्त रविदास जी ने अपनी रचनाएं बेशक आध्यात्मिक आधार पर रची हो पंरतु जिस आदर्श समाज कि परिकल्पना वे बे-गम-पुरे शहर के रूप में करते हैं, वह वर्तमान समय में भी मानव-समाज के लिए प्रासंगिक एवं अनुकरणीय है।

यह जगत परमात्मा की रचना है एवं परमात्मा का ही रूप है। अत: इस जगत में मानवीय भाईचारा एवं प्रेम प्रमुख तत्व मौजूद रहे। जातिवाद, धार्मिक, कंट्टरता एवं आर्थिक गैर-बराबरी का खात्मा हो जाए। किसी का डर एवं दहशत न हो। कोई दूसरे या तीसरे दर्जे का नागरिक न हो तभी यह संसार वे-गम-पुरा बन सकता है-‘बेगम पुरा शहर को नाओ। दूख अन्हौह नहीं तिहि ठाऊ।’ संत रविदास की शिक्षाओं में मानव समाज के व्यापक हितों की कामना नजर आती है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे शिक्षाविद् लक्ष्मण सिंह तंवर ने कहा कि रैदास की वाणी भक्ति की सच्ची भावना, समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव प्रेम से ओत-प्रोत होती थी।

इसलिए उसका श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता था। उनके भजनों तथा उपदेशों से लोगों को ऐसी शिक्षा मिलती थी जिससे उनकी शंकाओं का सन्तोषजनक समाधान हो जाता था और लोग स्वतः उनके अनुयायी बन जाते थे। इस कार्यक्रम में ‌काफी संख्या में युवाओं ने भागीदारी की।

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