***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-24/09/2022, शनिवार
चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष,
आश्विन
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
धनु
समाजसेवा में रुझान रहेगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। नई आर्थिक नीति बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। पुरानी व्याधि से परेशानी हो सकती है। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। व्यापार वृद्धि होगी। ऐश्वर्य पर व्यय होगा। भाइयों का सहयोग मिलेगा। समय अनुकूल है। लाभ लें। प्रमाद न करें।
तिथि———- चतुर्दशी 27:11:53 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र—- पूर्वाफाल्गुनी 29:06:24
योग———— साध्य 09:40:46
करण——- विष्टि भद्र 14:54:52
करण———– शकुनी 27:11:53
वार————————शनिवार
माह————————आश्विन
चन्द्र राशि—————— सिंह
सूर्य राशि—————– कन्या
रितु————————- शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर) ———————नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:09:34
सूर्यास्त—————- 18:12:30
दिन काल————- 12:02:55
रात्री काल————- 11:57:32
चंद्रास्त—————- 17:38:02
चंद्रोदय—————- 29:21:55
लग्न—- कन्या 6°48′ , 156°48′
सूर्य नक्षत्र————–उoफाल्गुनी
चन्द्र नक्षत्र———– पूर्वा फाल्गुनी
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
मो—- पूर्वा फाल्गुनी 10:11:32
टा—- पूर्वा फाल्गुनी 16:31:42
टी—- पूर्वा फाल्गुनी 22:49:59
टू—- पूर्वा फाल्गुनी 29:06:24
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कन्या 06 :49 उ o फ़ाo , 4 पी
चन्द्र =सिंह 14 °23, पू o फा o , 1 मो
बुध =कन्या 05 ° 34′ उ o फा ‘ 3 पा
शुक्र=सिंह 29°05, उ o फ़ा o ‘ 1 टे
मंगल=वृषभ 23°30 ‘ रोहिणी’ 4 वु
गुरु=मीन 09°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=मकर 25°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 21°20’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 21°20 विशाखा , 1 ती
राहू काल 09:10 – 10:41 अशुभ
यम घंटा 13:41 – 15:12 अशुभ
गुली काल 06:10 – 07:40 अशुभ
अभिजित 11:47 – 12:35 शुभ
दूर मुहूर्त 07:46 – 08:34 अशुभ
वर्ज्यम 12:18 – 13:59 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
काल 06:10 – 07:40 अशुभ
शुभ 07:40 – 09:10 शुभ
रोग 09:10 – 10:41 अशुभ
उद्वेग 10:41 – 12:11 अशुभ
चर 12:11 – 13:41 शुभ
लाभ 13:41 – 15:12 शुभ
अमृत 15:12 – 16:42 शुभ
काल 16:42 – 18:13 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
लाभ 18:13 – 19:42 शुभ
उद्वेग 19:42 – 21:12 अशुभ
शुभ 21:12 – 22:42 शुभ
अमृत 22:42 – 24:11* शुभ
चर 24:11* – 25:41* शुभ
रोग 25:41* – 27:11* अशुभ
काल 27:11* – 28:40* अशुभ
लाभ 28:40* – 30:10* शुभ
💮होरा, दिन
शनि 06:10 – 07:10
बृहस्पति 07:10 – 08:10
मंगल 08:10 – 09:10
सूर्य 09:10 – 10:11
शुक्र 10:11 – 11:11
बुध 11:11 – 12:11
चन्द्र 12:11 – 13:11
शनि 13:11 – 14:12
बृहस्पति 14:12 – 15:12
मंगल 15:12 – 16:12
सूर्य 16:12 – 17:12
शुक्र 17:12 – 18:13
🚩होरा, रात
बुध 18:13 – 19:12
चन्द्र 19:12 – 20:12
शनि 20:12 – 21:12
बृहस्पति 21:12 – 22:12
मंगल 22:12 – 23:11
सूर्य 23:11 – 24:11
शुक्र 24:11* – 25:11
बुध 25:11* – 26:11
चन्द्र 26:11* – 27:11
शनि 27:11* – 28:10
बृहस्पति 28:10* – 29:10
मंगल 29:10* – 30:10
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
कन्या > 04:00 से 07:00 तक
तुला > 07:00 से 09:04 तक
वृश्चिक > 09:04 से 11:20 तक
धनु > 11:20 से 13:46 तक
मकर > 13:46 से 15:28 तक
कुम्भ > 15:28 से 16:56 तक
मीन > 16:56 से 17:30 तक
मेष > 17:30 से 19:04 तक
वृषभ > 19:04 से 21:50 तक
कर्क > 21:50 से 02:20 तक
सिंह > 02:20 से 04:41 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 14 +7+ 1 = 37 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
29 + 29 + 5 = 63 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 14:51 तक समाप्त
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
*चतुर्दशी श्राद्ध
* मास शिवरात्रि व्रत
*शस्त्रदि हतानां श्राद्ध
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलोभिता ।
अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणांदोषाःस्वभावजाः ।।
।। चा o नी o।।
झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है।
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविज्ञानयोग अo-13
ज्योतिषामपि तज्ज्योतिस्तमसः परमुच्यते ।,
ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं हृदि सर्वस्य विष्ठितम् ॥,
वह परब्रह्म ज्योतियों का भी ज्योति एवं माया से अत्यन्त परे कहा जाता है।, वह परमात्मा बोधस्वरूप, जानने के योग्य एवं तत्वज्ञान से प्राप्त करने योग्य है और सबके हृदय में विशेष रूप से स्थित है॥,17॥,
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