***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-24/08/2022, बुधवार
द्वादशी, कृष्ण पक्ष,
भाद्रपद
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
धनु
योजना फलीभूत होगी। नए अनुबंध होंगे। कष्ट होगा। पारिवारिक जिम्मेदारी बढ़ने से व्यस्तता बढ़ेगी। कार्य में नवीनता के भी योग हैं। संतान के व्यवहार से समाज में सम्मान बढ़ेगा। स्वास्थ्य खराब हो सकता है। कार्यस्थल पर परिवर्तन लाभ में वृद्धि करेगा।
तिथि———- द्वादशी 08:29:45 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— पुनर्वसु 13:37:18
योग——— व्यतापता 25:23:08
करण———– तैतुल 08:29:46
करण————– गर 21:35:52
वार———————— बुधवार
माह———————– भाद्रपद
चन्द्र राशि——- मिथुन 06:55:03
चन्द्र राशि——————- कर्क
सूर्य राशि——————– सिंह
रितु————————- शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:55:20
सूर्यास्त—————- 18:47:24
दिन काल————- 12:52:04
रात्री काल————- 11:08:24
चंद्रास्त—————- 17:14:47
चंद्रोदय—————- 27:45:45
लग्न—- सिंह 6°41′ , 126°41′
सूर्य नक्षत्र——————– मघा
चन्द्र नक्षत्र——————पुनर्वसु
नक्षत्र पाया—————— रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
हा—- पुनर्वसु 06:55:03
ही—- पुनर्वसु 13:37:18
हु—- पुष्य 20:18:31
हे—- पुष्य 26:58:34
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=सिंह 06:12 मघा , 3 मू
चन्द्र =मिथुन 17 °23, पुनर्वसु , 3 हा
बुध =कन्या 03 ° 07′ उ o फा o ‘ 3 पा
शुक्र=कर्क 20°05, आश्लेषा ‘ 2 डू
मंगल=वृषभ 07°30 ‘ कृतिका ‘ 4 ए
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 22°25’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 22°55 विशाखा , 1 ती
🚩💮🚩 मुहूर्त प्रकरण 🚩💮🚩
राहू काल 12:21 – 13:58 अशुभ
यम घंटा 07:32 – 09:08 अशुभ
गुली काल 10:45 – 12:21 अशुभ
अभिजित 11:56 – 12:47 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:56 – 12:47 अशुभ
वर्ज्यम 22:32 – 24:19* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 05:55 – 07:32 शुभ
अमृत 07:32 – 09:08 शुभ
काल 09:08 – 10:45 अशुभ
शुभ 10:45 – 12:21 शुभ
रोग 12:21 – 13:58 अशुभ
उद्वेग 13:58 – 15:34 अशुभ
चर 15:34 – 17:11 शुभ
लाभ 17:11 – 18:47 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 18:47 – 20:11 अशुभ
शुभ 20:11 – 21:35 शुभ
अमृत 21:35 – 22:58 शुभ
चर 22:58 – 24:22* शुभ
रोग 24:22* – 25:45* अशुभ
काल 25:45* – 27:09* अशुभ
लाभ 27:09* – 28:32* शुभ
उद्वेग 28:32* – 29:56* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 05:55 – 06:59
चन्द्र 06:59 – 08:04
शनि 08:04 – 09:08
बृहस्पति 09:08 – 10:13
मंगल 10:13 – 11:17
सूर्य 11:17 – 12:21
शुक्र 12:21 – 13:26
बुध 13:26 – 14:30
चन्द्र 14:30 – 15:34
शनि 15:34 – 16:39
बृहस्पति 16:39 – 17:43
मंगल 17:43 – 18:47
🚩होरा, रात
सूर्य 18:47 – 19:43
शुक्र 19:43 – 20:39
बुध 20:39 – 21:35
चन्द्र 21:35 – 22:30
शनि 22:30 – 23:26
बृहस्पति 23:26 – 24:22
मंगल 24:22* – 25:17
सूर्य 25:17* – 26:13
शुक्र 26:13* – 27:09
बुध 27:09* – 28:04
चन्द्र 28:04* – 29:00
शनि 29:00* – 29:56
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
सिंह > 05:36 से 06:42 तक
कन्या > 06:42 से 08:52 तक
तुला > 08:52 से 11:06 तक
वृश्चिक > 11:06 से 13:22 तक
धनु > 13:22 से 15:52 तक
मकर > 15:52 से 17:30 तक
कुम्भ > 17:30 से 18:58 तक
मीन > 18:58 से 19:32 तक
मेष > 19:32 से 10:04 तक
वृषभ > 10:04 से 11:56 तक
मिथुन > 11:56 से 02:16 तक
कर्क > 02:16 से 05:20 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 12 + 4 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभा रूढ़ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
* भगवान की छटी पूजन
*वृन्दावन देवाचार्य पटोत्सव
* वत्स पूजा
* बछवारस
* जैन पर्युषण दिवस
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
अभ्यासाध्दार्यते विद्या कुलं शीलेन धार्यते ।
गुणेन ज्ञायते त्वार्यः कोपो नेत्रेण गम्यते ।।
।। चा o नी o।।
जो वैदिक ज्ञान की निंदा करते है, शास्र्त सम्मत जीवनशैली की मजाक उड़ाते है, शांतीपूर्ण स्वभाव के लोगो की मजाक उड़ाते है, बिना किसी आवश्यकता के दुःख को प्राप्त होते है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत।,
तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्॥,
हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में (लज्जा, भय, मान, बड़ाई और आसक्ति को त्यागकर एवं शरीर और संसार में अहंता, ममता से रहित होकर एक परमात्मा को ही परम आश्रय, परम गति और सर्वस्व समझना तथा अनन्य भाव से अतिशय श्रद्धा, भक्ति और प्रेमपूर्वक निरंतर भगवान के नाम, गुण, प्रभाव और स्वरूप का चिंतन करते रहना एवं भगवान का भजन, स्मरण करते हुए ही उनके आज्ञा अनुसार कर्तव्य कर्मों का निःस्वार्थ भाव से केवल परमेश्वर के लिए आचरण करना यह ‘सब प्रकार से परमात्मा के ही शरण’ होना है) जा।, उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परमधाम को प्राप्त होगा॥,62॥,
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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