धनु राशिफल 20 जुलाई 2022

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Sagittarius Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***

** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*******************

दिनाँक:-20/07/2022, बुधवार
सप्तमी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

धनु

आज आपको शासन में सत्ता के गठजोड़ का लाभ भी मिलता दिख रहा है। आपको ससुराल पक्ष से भी पर्याप्त मात्रा में धन हाथ लग सकता है,जो आपकी प्रसन्नता का कारण बनेगी। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति निर्मित होगी। प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। व्यापार में लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। शत्रु पस्त होंगे। विवाद में न पड़ें। अपेक्षाकृत कार्य समय पर होंगे। प्रसन्नता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यस्तता रहेगी। प्रमाद न करें। सायंकाल के समय आप किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में जा सकते हैं। आपके कुछ विरोधी भी आपकी प्रशंसा करते नजर आएंगे, जिन्हें देखकर आपको हैरानी होगी, लेकिन आपको किसी पर भी अंधाविश्वास करने से बचना होगा। आपकी यदि कोई डील चल रही थी, तो वह आज पूरी होगी। माताजी द्वारा आपको कुछ जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी, जिन्हें आपको समय रहते पूरा करना होगा।

तिथि——– सप्तमी 07:35:19 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र———- रेवती 12:49:16
योग———— सुकर्मा 12:40:45
करण————- बव 07:35:18
करण———- बालव 19:47:26
वार———————- बुधवार
माह———————– श्रावण
चन्द्र राशि——- मीन 12:49:16
चन्द्र राशि——————- मेष
सूर्य राशि——————- कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर) ———————-नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————– 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:37:14
सूर्यास्त————— 19:13:40
दिन काल————- 13:36:25
रात्री काल———— 10:24:05
चंद्रास्त—————- 12:13:46
चंद्रोदय————— 23:58:38

लग्न—- कर्क 3°8′ , 93°8′

सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र——————- रेवती
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण

**** ग्रह गोचर ****

च—- रेवती 06:34:53

ची—- रेवती 12:49:16

चु—- अश्विनी 19:06:41

चे—- अश्विनी 25:27:00

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 03:12 पुनर्वसु , 4 ही
चन्द्र = मीन 26°23, रेवती , 3 च
बुध =कर्क 06 ° 07′ पुष्य ‘ 2 हे
शुक्र=मिथुन 08°05, आर्द्रा ‘ 1 कु
मंगल=मेष 15°30 ‘ भरणी ‘ 1 ली
गुरु=मीन 15°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°50’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°50 विशाखा , 2 तू

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 12:25 – 14:08 अशुभ
यम घंटा 07:19 – 09:01 अशुभ
गुली काल 10:43 – 12:25 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:53 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:58 – 12:53 अशुभ

**** गंड मूल अहोरात्र अशुभ

**** पंचक 05:37 – 12:49 अशुभ

**** चोघडिया, दिन
लाभ 05:37 – 07:19 शुभ
अमृत 07:19 – 09:01 शुभ
काल 09:01 – 10:43 अशुभ
शुभ 10:43 – 12:25 शुभ
रोग 12:25 – 14:08 अशुभ
उद्वेग 14:08 – 15:50 अशुभ
चर 15:50 – 17:32 शुभ
लाभ 17:32 – 19:14 शुभ

**** चोघडिया, रात
उद्वेग 19:14 – 20:32 अशुभ
शुभ 20:32 – 21:50 शुभ
अमृत 21:50 – 23:08 शुभ
चर 23:08 – 24:26* शुभ
रोग 24:26* – 25:44* अशुभ
काल 25:44* – 27:02* अशुभ
लाभ 27:02* – 28:20* शुभ
उद्वेग 28:20* – 29:38* अशुभ

**** होरा, दिन
बुध 05:37 – 06:45
चन्द्र 06:45 – 07:53
शनि 07:53 – 09:01
बृहस्पति 09:01 – 10:09
मंगल 10:09 – 11:17
सूर्य 11:17 – 12:25
शुक्र 12:25 – 13:33
बुध 13:33 – 14:42
चन्द्र 14:42 – 15:50
शनि 15:50 – 16:58
बृहस्पति 16:58 – 18:06
मंगल 18:06 – 19:14

**** होरा, रात
सूर्य 19:14 – 20:06
शुक्र 20:06 – 20:58
बुध 20:58 – 21:50
चन्द्र 21:50 – 22:42
शनि 22:42 – 23:34
बृहस्पति 23:34 – 24:26
मंगल 24:26* – 25:18
सूर्य 25:18* – 26:10
शुक्र 26:10* – 27:02
बुध 27:02* – 27:54
चन्द्र 27:54* – 28:46
शनि 28:46* – 29:38

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

कर्क > 04:30 से 06:48 तक
सिंह > 06:48 से 09:04 तक
कन्या > 09:04 से 11:14 तक
तुला > 11:14 से 13:29 तक
वृश्चिक > 13:29 से 15:42 तक
धनु > 15:42 से 18:00 तक
मकर > 18:00 से 19:42 तक
कुम्भ > 19:42 से 21:16 तक
मीन > 21:16 से 21:50 तक
मेष > 21:50 से 00:22 तक
वृषभ > 00:22 से 02:13 तक
मिथुन > 02:13 से 04:30 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 7 + 4 + 1 = 27 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

गुरु ग्रह मुखहुति

**** शिव वास एवं फल -:

22 + 22 + 5 = 49 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

**** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

**** विशेष जानकारी ****

* कालाष्टमी

*पंचक समाप्त 12:49 पर

* वटुकेश्वरदत्त निधन दिवस

**** शुभ विचार ****

एकोऽपि गुणवान् पुत्रो निर्गुणैश्च शतैर्वरः ।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च ताराः सहस्त्रशः ।।
।। चा o नी o।।

सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अन्धकार को भगाता है, असंख्य तारे यह काम नहीं करते.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

यत्तु कामेप्सुना कर्म साहङ्‍कारेण वा पुनः।,
क्रियते बहुलायासं तद्राजसमुदाहृतम्‌॥,

परन्तु जो कर्म बहुत परिश्रम से युक्त होता है तथा भोगों को चाहने वाले पुरुष द्वारा या अहंकारयुक्त पुरुष द्वारा किया जाता है, वह कर्म राजस कहा गया है॥,24॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
***********************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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