**|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक :- 19/11/2022, शनिवार
दशमी, कृष्ण पक्ष,
मार्गशीर्ष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
धनु
दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। भागदौड़ रहेगी। दु:खद समाचार मिल सकता है। धैर्य रखें। काम का बोझ कम करने के लिए जिम्मेदारियों को बाँटना आवश्यक है। आर्थिक कामों में परेशानी आने की संभावना है। दूसरों के काम में व्यर्थ मीन-मेख न निकालें।
तिथि———– दशमी 10:29:11 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र—उत्तरा फाल्गुनी 24:13:17
योग——— विश्कुम्भ 24:23:31
करण——- विष्टि भद्र 10:29:11
करण————– बव 22:40:44
वार———————– शनिवार
माह———————- मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि——————- कन्या
सूर्य राशि—————— वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)———————-नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2079
शक संवत——————-1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:44:10
सूर्यास्त————— 17:24:41
दिन काल————- 10:40:30
रात्री काल———— 13:20:16
चंद्रास्त—————- 14:35:50
चंद्रोदय—————- 26:47:37
लग्न—- वृश्चिक 2°30′ , 212°30′
सूर्य नक्षत्र—————– विशाखा
चन्द्र नक्षत्र——— उत्तरा फाल्गुनी
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
टो—- उत्तरा फाल्गुनी 11:45:41
पा—- उत्तरा फाल्गुनी 18:00:52
पी—- उत्तरा फाल्गुनी 24:13:17
पू—- हस्त 30:22:54
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृश्चिक 02 :29 विशाखा , 4 तो
चन्द्र =कन्या 00°23, उ o फाo, 2 टो
बुध =वृश्चिक 08 ° 34′ अनुराधा ‘2 नी
शुक्र=वृश्चिक 09°05, अनुराधा ‘ 2 नी
मंगल=वृषभ 28°30 ‘ मृगशिरा’ 2 वो
गुरु=मीन 04°30 ‘ उ o भा o, 1 दू
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 18°20 भरणी , 2 लू
केतु=(व) तुला 18°20 विशाखा , 4 ता
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल 09:24 – 10:44 अशुभ
यम घंटा 13:24 – 14:45 अशुभ
गुली काल 06:44 – 08: 04अशुभ
अभिजित 11:43 – 12:26 शुभ
दूर मुहूर्त 08:10 – 08:52 अशुभ
वर्ज्यम 32:50* – 34:28* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
काल 06:44 – 08:04 अशुभ
शुभ 08:04 – 09:24 शुभ
रोग 09:24 – 10:44 अशुभ
उद्वेग 10:44 – 12:04 अशुभ
चर 12:04 – 13:24 शुभ
लाभ 13:24 – 14:45 शुभ
अमृत 14:45 – 16:05 शुभ
काल 16:05 – 17:25 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
लाभ 17:25 – 19:05 शुभ
उद्वेग 19:05 – 20:45 अशुभ
शुभ 20:45 – 22:25 शुभ
अमृत 22:25 – 24:05* शुभ
चर 24:05* – 25:45* शुभ
रोग 25:45* – 27:25* अशुभ
काल 27:25* – 29:05* अशुभ
लाभ 29:05* – 30:45* शुभ
💮होरा, दिन
शनि 06:44 – 07:38
बृहस्पति 07:38 – 08:31
मंगल 08:31 – 09:24
सूर्य 09:24 – 10:18
शुक्र 10:18 – 11:11
बुध 11:11 – 12:04
चन्द्र 12:04 – 12:58
शनि 12:58 – 13:51
बृहस्पति 13:51 – 14:45
मंगल 14:45 – 15:38
सूर्य 15:38 – 16:31
शुक्र 16:31 – 17:25
🚩होरा, रात
बुध 17:25 – 18:31
चन्द्र 18:31 – 19:38
शनि 19:38 – 20:45
बृहस्पति 20:45 – 21:51
मंगल 21:51 – 22:58
सूर्य 22:58 – 24:05
शुक्र 24:05* – 25:12
बुध 25:12* – 26:18
चन्द्र 26:18* – 27:25
शनि 27:25* – 28:32
बृहस्पति 28:32* – 29:38
मंगल 29:38* – 30:45
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
वृश्चिक > 05:33 से 07:54 तक
धनु > 07:54 से 10:24 तक
मकर > 10:24 से 12:02 तक
कुम्भ > 12:02 से 13:32 तक
मीन > 13:32 से 14:04 तक
मेष > 14:04 से 15:38 तक
वृषभ > 15:38 से 18:24 तक
कर्क > 18:24 से 22:54 तक
सिंह > 22:54 से 01:08 तक
कन्या > 01:08 से 03:12 तक
तुला > 03:22 से 05:33 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 10 + 7 + 1 = 33 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
25 + 25 + 5 = 55 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक ,दुःख कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 10:29 तक समाप्त
पाताल लोक = धन लाभ कारक
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* हरिवंश देवाचार्य पाटोत्सव
* इंद्रा गांधी जयंती
*रानी लक्ष्मीबाई जयंती
*विश्व नागरिक दिवस
*महावीर स्वामी दीक्षा दिवस
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये ।
भावे हि विद्यते देवस्तस्माद्भावो हि कारणम् ।।
।। चा o नी o।।
देवता न काठ में, पत्थर में, और न मिट्टी ही में रहते हैं वे तो रहते हैं भाव में। इससे यह निष्कर्ष निकला कि भाव ही सबका कारण है।
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11
अमी हि त्वां सुरसङ्घा विशन्ति केचिद्भीताः प्राञ्जलयो गृणन्ति।,
स्वस्तीत्युक्त्वा महर्षिसिद्धसङ्घा: स्तुवन्ति त्वां स्तुतिभिः पुष्कलाभिः ॥,
वे ही देवताओं के समूह आप में प्रवेश करते हैं और कुछ भयभीत होकर हाथ जोड़े आपके नाम और गुणों का उच्चारण करते हैं तथा महर्षि और सिद्धों के समुदाय ‘कल्याण हो’ ऐसा कहकर उत्तम-उत्तम स्तोत्रों द्वारा आपकी स्तुति करते हैं॥,21॥,
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