***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-13/05/2022, शुक्रवार
द्वादशी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
*** *** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
धनु
भय, पीड़ा व भ्रम की स्थिति बन सकती है। व्यर्थ भागदौड़ होगी। भय-पीड़ा, मानसिक कष्ट की संभावना। लाभ तथा पराक्रम ठीक रहेगा। दु:समाचार प्राप्त होंगे। हानि तथा भय की संभावना, पराक्रम से सफलता, कलहकारी वातावरण बनेगा। भयकारक दिन रहेगा। परस्पर सहयोग की भावना रखेंगे। अपनों से सुख साझा करेंगे। प्रस्तावों को समर्थन मिलेगा। आय अच्छी रहेगी।
तिथि———–द्वादशी 17:26:29 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———— हस्त 18:47:19
योग—————वज्र 15:39:32
करण————– बव 06:14:00
करण———– बालव 17:26:29
करण———–कौलव 28:29:00
वार———————– शुक्रवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि——————– कन्या
सूर्य राशि——————— मेष
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————- राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक) ———2078
शाका संवत—————- 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:32:57
सूर्यास्त————— 18:58:28
दिन काल————- 13:25:31
रात्री काल————- 10:33:53
चंद्रोदय—————- 16:05:06
चंद्रास्त—————- 28:07:45
लग्न—- मेष 28°4′ , 28°4′
सूर्य नक्षत्र——————कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र——————- हस्त
नक्षत्र पाया——————- रजत
*** पद, चरण ***
ष—- हस्त 07:13:21
ण—- हस्त 13:01:36
ठ—- हस्त 18:47:19
पे—- चित्रा 24:30:34
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मेष 2:12 कृतिका , 1 अ
चन्द्र =कन्या 15°23 , हस्त , 2 टो
बुध =वृषभ 10 ° 07′ रोहिणी ‘ 1 ओ
शुक्र=मीन 17 °05, रेवती ‘ 1 दे
मंगल=कुम्भ 26°30 ‘ पूoभाo’ 2 सो
गुरु=मीन 06°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°20’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°20 विशाखा , 3 ते
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 10:35 – 12:16 अशुभ
यम घंटा 15:37 – 17:18 अशुभ
गुली काल 07:14 – 08:54 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:14 – 09:08 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:43 – 13:36 अशुभ
चोघडिया, दिन
चर 05:33 – 07:14 शुभ
लाभ 07:14 – 08:54 शुभ
अमृत 08:54 – 10:35 शुभ
काल 10:35 – 12:16 अशुभ
शुभ 12:16 – 13:56 शुभ
रोग 13:56 – 15:37 अशुभ
उद्वेग 15:37 – 17:18 अशुभ
चर 17:18 – 18:58 शुभ
चोघडिया, रात
रोग 18:58 – 20:18 अशुभ
काल 20:18 – 21:37 अशुभ
लाभ 21:37 – 22:56 शुभ
उद्वेग 22:56 – 24:15* अशुभ
शुभ 24:15* – 25:35* शुभ
अमृत 25:35* – 26:54* शुभ
चर 26:54* – 28:13* शुभ
रोग 28:13* – 29:32* अशुभ
होरा, दिन
शुक्र 05:33 – 06:40
बुध 06:40 – 07:47
चन्द्र 07:47 – 08:54
शनि 08:54 – 10:01
बृहस्पति 10:01 – 11:09
मंगल 11:09 – 12:16
सूर्य 12:16 – 13:23
शुक्र 13:23 – 14:30
बुध 14:30 – 15:37
चन्द्र 15:37 – 16:44
शनि 16:44 – 17:51
बृहस्पति 17:51 – 18:58
होरा, रात
मंगल 18:58 – 19:51
सूर्य 19:51 – 20:44
शुक्र 20:44 – 21:37
बुध 21:37 – 22:30
चन्द्र 22:30 – 23:23
शनि 23:23 – 24:15
बृहस्पति 24:15* – 25:08
मंगल 25:08* – 26:01
सूर्य 26:01* – 26:54
शुक्र 26:54* – 27:47
बुध 27:47* – 28:40
चन्द्र 28:40* – 29:32
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मेष > 03:14 से 04:54 तक
वृषभ > 04:54 से 06:54 तक
मिथुन > 06:54 से 09:02 तक
कर्क > 09:02 से 11:20 तक
सिंह > 11:20 से 13:36 तक
कन्या > 13:36 से 05:48 तक
तुला > 05:48 से 06:00 तक
वृश्चिक > 06:00 से 08:12 तक
धनु > 08:12 से 22:14 तक
मकर > 22:14 से 11:54 तक
कुम्भ > 11:54 से 01:40 तक
मीन > 01:40 से 03:14 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
12 + 6 + 1 = 19 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
12 + 12 + 5 = 29 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
*प्रदोष व्रत (शिवपूजन)
*राधा रुक्मिणी द्वादशी
*परशुराम द्वादशी
* राष्ट्रीय एकता दिवस
*** शुभ विचार ***
त्यजन्ति मित्राणि धनैर्विहीनं
दाराश्च भृत्याश्च सुहृज्जनाश्च ।
तं चार्थवन्तं पुनराश्रयन्ते ।
ह्यर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः ।।
।। चा o नी o।।
जब व्यक्ति दौलत खोता है तो उसके मित्र, पत्नी, नौकर, सम्बन्धी उसे छोड़कर चले जाते है. और जब वह दौलत वापस हासिल करता है तो ये सब लौट आते है. इसीलिए दौलत ही सबसे अच्छा रिश्तेदार है.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16
दैवी सम्पद्विमोक्षाय निबन्धायासुरी मता।,
मा शुचः सम्पदं दैवीमभिजातोऽसि पाण्डव॥,
दैवी सम्पदा मुक्ति के लिए और आसुरी सम्पदा बाँधने के लिए मानी गई है।, इसलिए हे अर्जुन! तू शोक मत कर, क्योंकि तू दैवी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुआ है॥,5॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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