धनु राशिफल 02 मई 2022

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धनु राशिफल 02 मई 2022

*** || जय श्री राधे || ***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** 

दिनाँक:-02/05/2022, सोमवार
द्वितीया, शुक्ल पक्ष
वैशाख
*** *** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

धनु

आज आपका पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा जिसे देखकर आपको मानसिक शांति मिलेगी। किसी भी तरह के विवाद में पड़ने से बचें। जल्दबाजी से हानि होगी। राजभय रहेगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। सही काम का भी विरोध हो सकता है। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। सट्टे व लॉटरी के चक्कर में न पड़ें। आप अपने जीवनसाथी अथवा अपनी संतान को शॉपिंग पर भी लेकर जा सकते हैं। आपको कार्य क्षेत्र में अपने कुछ ऐसे मित्रों से सावधान रहना होगा जो आपके मित्र के रूप में शत्रु होंगे और वह आपको विश्वासघात पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे। प्रेम जीवन जी रहे लोगों ने यदि अभी तक अपने साथी को प्रपोज नहीं किया है तो वह कर सकते हैं। कोर्ट कचहरी के मामले में आपको सफलता मिलती दिख रही है,लेकिन माता जी को आप मंदिर आदि के दर्शन कराने लेकर जा सकते हैं।

 

तिथि———- द्वितीया 29:18:05 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——— कृत्तिका 24:32:24
योग———- सौभाग्य 15:35:41
करण———– बालव 16:18:23
करण———– कौलव 29:18:05
वार———————– सोमवार
माह———————— वैशाख
चन्द्र राशि—————— वृषभ
सूर्य राशि——————— मेष
रितु————————– वसंत
सायन———————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:40:39
सूर्यास्त————— 18:52:06
दिन काल————- 13:11:27
रात्री काल———— 10:47:45
चंद्रोदय—————- 06:27:58
चंद्रास्त————— 20:23:45

लग्न—- मेष 17°26′ , 17°26′

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र—————- कृत्तिका
नक्षत्र पाया——————- लोहा

*** पद, चरण ***

ई—- कृत्तिका 11:17:53

उ—- कृत्तिका 17:54:26

ए—- कृत्तिका 24:32:24

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** 
सूर्य=मेष 17:12 भरणी , 2 लू
चन्द्र =वृषभ 00°23 , कृतिका, 2 ई
बुध =वृषभ 07 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=कुम्भ 05 °05, उo भा o ‘ 1 दू
मंगल=कुम्भ 18°30 ‘ शतभिषा’ 4 सु
गुरु=मीन 03°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=मकर 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 29°05’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29°05 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 07:20 – 08:59 अशुभ
यम घंटा 10:37 – 12:16 अशुभ
गुली काल 13:55 – 15:34 अशुभ
अभिजित 11:50 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 12:43 – 13:36 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:21 – 16:14 अशुभ

चोघडिया, दिन
अमृत 05:41 – 07:20 शुभ
काल 07:20 – 08:59 अशुभ
शुभ 08:59 – 10:37 शुभ
रोग 10:37 – 12:16 अशुभ
उद्वेग 12:16 – 13:55 अशुभ
चर 13:55 – 15:34 शुभ
लाभ 15:34 – 17:13 शुभ
अमृत 17:13 – 18:52 शुभ

चोघडिया, रात
चर 18:52 – 20:13 शुभ
रोग 20:13 – 21:34 अशुभ
काल 21:34 – 22:55 अशुभ
लाभ 22:55 – 24:16* शुभ
उद्वेग 24:16* – 25:37* अशुभ
शुभ 25:37* – 26:58* शुभ
अमृत 26:58* – 28:19* शुभ
चर 28:19* – 29:40* शुभ

होरा, दिन
चन्द्र 05:41 – 06:47
शनि 06:47 – 07:53
बृहस्पति 07:53 – 08:59
मंगल 08:59 – 10:04
सूर्य 10:04 – 11:10
शुक्र 11:10 – 12:16
बुध 12:16 – 13:22
चन्द्र 13:22 – 14:28
शनि 14:28 – 15:34
बृहस्पति 15:34 – 16:40
मंगल 16:40 – 17:46
सूर्य 17:46 – 18:52

होरा, रात
शुक्र 18:52 – 19:46
बुध 19:46 – 20:40
चन्द्र 20:40 – 21:34
शनि 21:34 – 22:28
बृहस्पति 22:28 – 23:22
मंगल 23:22 – 24:16
सूर्य 24:16* – 25:10
शुक्र 25:10* – 26:04
बुध 26:04* – 26:58
चन्द्र 26:58* – 27:52
शनि 27:52* – 28:46
बृहस्पति 28:46* – 29:40

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मेष > 04:02 से 05:52 तक
वृषभ > 05:52 से 07:42 तक
मिथुन > 07:42 से 09:57 तक
कर्क > 09:57 से 12:14 तक
सिंह > 12:14 से 14:27 तक
कन्या > 14:27 से 06:38 तक
तुला > 06:38 से 06:53 तक
वृश्चिक > 06:53 से 09:07 तक
धनु > 09:07 से 23:09 तक
मकर > 23:09 से 01:00 तक
कुम्भ > 01:00 से 02:32 तक
मीन > 02:32 से 04:02 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

2 + 2 + 1 = 5 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

सूर्य ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

2 + 2 + 5 = 9 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

*वीर शिवाजी जयन्ती

*गुरु अर्जुनदेव जयन्ती

*सर्वार्थसिद्धि योग24: 32से

*चंदनयात्रा ,जलकुम्भ दान द्वारिकाधीश जी मथुरा

*** शुभ विचार ***

परकार्यविहन्ता च दाम्भिकः स्वार्थसाधकः ।
छली द्वेषी मृदुक्रूरो विप्रो मार्जार उच्यते ।।
।। चा o नी o।।

वह ब्राह्मण जो दुसरो के काम में अड़ंगे डालता है, जो दम्भी है, स्वार्थी है, धोखेबाज है, दुसरो से घृणा करता है और बोलते समय मुह में मिठास और ह्रदय में क्रूरता रखता है, वह एक बिल्ली के समान है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15

यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम्‌ ।,
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम्‌ ॥,

सूर्य में स्थित जो तेज सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करता है तथा जो तेज चन्द्रमा में है और जो अग्नि में है- उसको तू मेरा ही तेज जान॥,12॥

***  आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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