Saggitarius Horoscope 02 March 2022: धनु राशीफल 02 मार्च 2022

0
617
Saggitarius Horoscope 02 March 2022

आज समाज डिजिटल, अंबाला :

Saggitarius Horoscope 02 March 2022: धनु राशीफल 02 मार्च 2022

***|| जय श्री राधे ||***
महर्षि पाराशर पंचांग
अथ पंचांगम्
****ll जय श्री राधे ll****

दिनाँक-: 02/03/2022,बुधवार, अमावस्या, कृष्ण पक्ष, फाल्गुन

***दैनिक राशिफल***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

Saggitarius Horoscope 02 March 2022: धनु राशीफल 02 मार्च 2022

Saggitarius Horoscope 02 March 2022: उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। शोक समाचार मिल सकता है। थकान महसूस होगी। व्यावसायिक चिंता रहेगी। संतान के व्यवहार से कष्ट होगा। सहयोगी मदद नहीं करेंगे। व्ययों में कटौती करने का प्रयास करें। वाहन चलाते समय सावधानी रखें।

Read Also: Mesh Rashifal 02 March 2022 Rashifal: मेष राशिफल 02 मार्च 2022 राशिफल

तिथि——अमावस्या 23:03:50 तक
पक्ष———————– कृष्ण
नक्षत्र—— शतभिषा 26:36:18
योग———— शिव 08:19:04
योग———- सिद्ध 29:40:41
करण——–चतुष्पद 11:58:50
करण———- नाग 23:03:50
वार———————–बुधवार
माह ———————– फाल्गुन
चन्द्र राशि ———————-कुम्भ
सूर्य राशि——————-कुम्भ
रितु———————- शिशिर
सायन——————–वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————- प्लव
संवत्सर (उत्तर)———— आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)——2078
शाका संवत————– 1943

वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:44:05
सूर्यास्त————- 18:18:56
दिन काल ————–11:34:51
रात्री काल———– 12:24:07
चंद्रास्त————- 18:01:43
चंद्रोदय————– 31:03:17

लग्न—-कुम्भ 17°16′ , 317°16′

सूर्य नक्षत्र————- शतभिषा
चन्द्र नक्षत्र————- शतभिषा
नक्षत्र पाया—————–ताम्र

***पद, चरण***

गो—- शतभिषा 09:26:57

सा—- शतभिषा 15:08:28

सी—- शतभिषा 20:51:32

??? ग्रह गोचर ???

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कुम्भ 17:12 ‘ शतभिषा , 4 सू
चन्द्र =मकर 08°23 शतभिषा , 1 गा
बुध = मकर 23 ° 07 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
शुक्र=मकर 02°05, उ oषा o ‘ 2 भो
मंगल=मकर 02°30 ‘ उ o षा o ‘ 2 भो
गुरु=कुम्भ 19°30 ‘ शतभिषा, 4 सू
शनि=मकर 24°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व)वृषभ 02°10’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 02°10 विशाखा , 4 तो

** मुहूर्त प्रकरण***

सू—- शतभिषा 26:36:18

राहू काल 12:32 – 13:58 अशुभ
यम घंटा 08:11 – 09:38 अशुभ
गुली काल 11:05 – 12:32 अशुभ
अभिजित 12:08 -12:55 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:08 – 12:55 अशुभ

पंचक अहोरात्र अशुभ

चोघडिया, दिन
लाभ 06:44 – 08:11 शुभ
अमृत 08:11 – 09:38 शुभ
काल 09:38 – 11:05 अशुभ
शुभ 11:05 – 12:32 शुभ
रोग 12:32 – 13:58 अशुभ
उद्वेग 13:58 – 15:25 अशुभ
चर 15:25 – 16:52 शुभ
लाभ 16:52 – 18:19 शुभ

चोघडिया, रात
उद्वेग 18:19 – 19:52 अशुभ
शुभ 19:52 – 21:25 शुभ
अमृत 21:25 – 22:58 शुभ
चर 22:58 – 24:31* शुभ
रोग 24:31* – 26:04* अशुभ
काल 26:04* – 27:37* अशुभ
लाभ 27:37* – 29:10* शुभ
उद्वेग 29:10* – 30:43* अशुभ

होरा, दिन
बुध 06:44 – 07:42
चन्द्र 07:42 – 08:40
शनि 08:40 – 09:38
बृहस्पति 09:38 – 10:36
मंगल 10:36 – 11:34
सूर्य 11:34 – 12:32
शुक्र 12:32 – 13:29
बुध 13:29 – 14:27
चन्द्र 14:27 – 15:25
शनि 15:25 – 16:23
बृहस्पति 16:23 – 17:21
मंगल 17:21 – 18:19

होरा, रात
सूर्य 18:19 – 19:21
शुक्र 19:21 – 20:23
बुध 20:23 – 21:25
चन्द्र 21:25 – 22:27
शनि 22:27 – 23:29
बृहस्पति 23:29 – 24:31
मंगल 24:31* – 25:33
सूर्य 25:33* – 26:35
शुक्र 26:35* – 27:37
बुध 27:37* – 28:39
चन्द्र 28:39* – 29:41
शनि 29:41* – 30:43

उदयलग्न प्रवेशकाल

कुम्भ > 06:00 से 07:26 तक
मीन > 07:26 से 08:57 तक
मेष > 08:57 से 11:42 तक
वृषभ > 11:42 से 13:21 तक
मिथुन > 13:21 से 14:45 तक
कर्क > 14:45 से 17:09 तक
सिंह > 17:09 से 18:10 तक
कन्या > 18:10 से 09:25 तक
तुला > 09:29 से 11:52 तक
वृश्चिक > 11:52 से 02:06 तक
धनु > 03:06 से 04:08 तक
मकर > 04:08 से 06:00 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 15 + 4 + 1 = 35÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

***ग्रह मुख आहुति ज्ञान 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

सूर्य ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

30 + 30 + 5 = 65 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

विशेष जानकारी

*देवपितृकार्य अमावस्या

शुभ विचार 

पठन्ति चतुरो वेदान् धर्मशास्त्राण्यनेकशः ।
आत्मानं नैव जानन्ति दवी पाकरसं यथा ।।
।।चा o नी o।।

एक व्यक्ति को चारो वेद और सभी धर्मं शास्त्रों का ज्ञान है. लेकिन उसे यदि अपने आत्मा की अनुभूति नहीं हुई तो वह उसी चमचे के समान है जिसने अनेक पकवानों को हिलाया लेकिन किसी का स्वाद नहीं चखा.

 सुभाषितानि

गीता -: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13

अविभक्तं च भूतेषु विभक्तमिव च स्थितम्‌ ।,
भूतभर्तृ च तज्ज्ञेयं ग्रसिष्णु प्रभविष्णु च ॥,

वह परमात्मा विभागरहित एक रूप से आकाश के सदृश परिपूर्ण होने पर भी चराचर सम्पूर्ण भूतों में विभक्त-सा स्थित प्रतीत होता है (जैसे महाकाश विभागरहित स्थित हुआ भी घड़ों में पृथक-पृथक के सदृश प्रतीत होता है, वैसे ही परमात्मा सब भूतों में एक रूप से स्थित हुआ भी पृथक-पृथक की भाँति प्रतीत होता है) तथा वह जानने योग्य परमात्मा विष्णुरूप से भूतों को धारण-पोषण करने वाला और रुद्ररूप से संहार करने वाला तथा ब्रह्मारूप से सबको उत्पन्न करने वाला है॥,16॥,

 

***आपका दिन मंगलमय हो***
**********************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

Read Also:Glory of Satsang in life जीवन में सत्संग की महिमा

Also Read: शिव-पार्वती का मिलन है महापर्व शिवरात्रि

Also Read: शिवरात्रि पर्व पर व्रती रखें अपनी सेहत का ख्याल

Read Also :  महारुद्र यज्ञ में आहुति डालने पहुंची हरियाणा सरकार,कांग्रेस के सुरजेवाला भी CM Manohar Lal Khattar in Maharudra Yagya

Connect With Us : Twitter Facebook