Aaj Samaj (आज समाज), Sadhvi Vairagyapurnashri, उदयपुर 02 अगस्त:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में बुधवार को विशेष प्रवचन हुए । महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृृंखला जारी
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने बताया कि मनुष्य क्यों दु:खी है? शारीरिक बीमारी के कारण या मन के विचारों के कारण?
वास्तव में तो वास्तविकता का विचार ही खत्म हो गया है, सच कहूँ तो उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। दुनिया में कोई भी व्यक्ति कभी भी दु:ख का अनुभव करता है, तो उसके पीछे कारण उसके स्वयं के बेकाबू दोष ही होते हैं। जो अपने दोषों को – में राव सकता है, उसके जीवन काबू की कोई चीज नहीं होती। दुनिया में सुख-दु:ख दु:ख नाम नाम की कोई वस्तु है ही नहीं। व्यक्ति विचार करता है कि मैं दु:खी हॅलो तो सुख ही दु:ख सुख है और निश्चित करता है कि मैं सुखी हूं है। इस मन को घडऩा वास्तविकता का विचार करना यही अध्यात्म है, यही आत्मा के आरोग्य को प्राप्त करने का उपाय है।
जो आत्मा के आरोग्य को प्राप्त कर लेता है, उसके जीवन से दु:ख गायब हो जाता है। आत्ता का आरोग्य मन पर आधारित है। मन को तच्चज्ञान से वासित करना पड़ेगा। मन को समझाना पडेगा कि इस दुनिया में जीव को जो सामग्री हमें अपनी पसंद का नहीं मिला है, यह भी किराये का है। शरीर से लेकर तमाम चीजों प्राप्त होती है, यह किराये की है। सामग्री ही नहीं, बल्कि हमारा यह शरीर भी को फिराए का मानें तो दु:ख नहीं होगा, मन पर तनाव नही भाता। मन स्वस्थ रह सकता है मन प्रसन्न रह सकता है।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
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