अजीत मैंदोला नई दिल्ली।राजस्थान में चल रहे राजनीतिक दंगल पार्ट 2 भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जीतना तय हो गया है।उन्होंने आज आक्रमक रुख अपनाते हुए बीजेपी और सचिन पायलट पर विधायकों की खरीद फरोख्त कर उनकी सरकार गिराने के लिये षड्यंत्र का आरोप लगा सनसनी फैला दी।गहलोत के आज के रुख से साफ हो गया कि सचिन के पास कांग्रेस के समक्ष समर्पण के अलावा अब कोई चारा नही है।सचिन जिस तरह छिप रहे हैं उससे भी इस बात को बल मिलने लगा है कि बीजेपी भी अब उनमे दिलचस्पी नही ले रही है।इस बीच कांग्रेस ने भी सचिन का साथ देने वाले विधायको को नोटिस दे शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।सचिन के सामने दो तरफा परेशानिया खड़ी हो गई हैं।एक तरफ विधायको को रोकना दूसरी तरफ खुद को लेकर फैसला करना।क्योंकि गहलोत के आज के कड़े रुख के बाद उनकी राजस्थान में ििइंट्री पूरी तरह से बंद हो गई।एक मात्र चारा दिल्ली आलाकमान के पास जुगाड़ लगाने का ही रह गया है।गहलोत के कड़े रुख के बाद भी कांग्रेस ने नरम रुख अपना सचिन को वापसी के लिये सन्देश दिया है।कांग्रेस की पहली कोशिश यही है सचिन बिना शर्तो के वापस आ जाये या विधायको को किसी तरह से वापस लाया जाए।
सूत्रों का कहना है 19 विधायको में से 4 से 5 विधायको को छोड़ बाकी वापस जाने के पक्ष में है।विधायको को अपनी विधायकी खतरे में नजर आ रही है।ऐसे संकेत हैं शुक्रवार को नोटिस का जवाब देने के अंतिम समय तक कुछ विधायक वापसी में कामयाब हो जाएं।विधानसभा अध्य्क्ष ने पार्टी विरोधी गतिविधियों व व्हिप का उल्लंघन पर कारण बताओ नोटिस जारी कर 17 जुलाई तक जवाब देने को कहा है।सूत्रों का कहना है कि सरकार ने 7 माह से सचिन पायलट द्वारा किये गए कई ऐसे मामलों के सबूत जुटाए हैं जो सरकार गिराने से जुड़े हैं।इन सब सबूतों को आलाकमान को सौंप दिया गया है।राज्यसभा चुनाव की वोटिंग से पहले आलाकमान ने सचिन को दिल्ली बुला चेता दिया था।उनसे तुरन्त अध्य्क्ष पद छोड़ने को कहा था।तय हुआ था वोटिंग के बाद छोड़ देंगे लेकिन वह नही मानें।फिर आलाकमान की हरी झंडी मिलने के बाद गहलोत एक्शन में आ गए।इसके बाद सचिन ने विधायकों के साथ मिल बगावत कर दी ।गहलोत का गुस्सा आज इसलिये भी फूटा की कुछ मीडिया वाले सचिन के प्रति सहानुभूति दिखा एसओजी के नोटिस को गलत बता रहे थे।जबकि वह नोटिस मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं को जारी हुआ है।जानकार मान रहे हैं कि सचिन के पास अब बचाव के रास्ते कम हैं।बीजेपी में अब बिना शर्त ही जाना होगा।इस बात की गारंटी नही है कि बीजेपी उन्हें लेगी या नही। दूसरा जो उनकी रणनीति है कि विधायको के साथ बागी तेवर अपना अलग रहा जाए।पार्टी उन्हें निष्कासित कर दे।ऐसा होता दिखता नही है।पार्टी ने उनकी सदस्यता समाप्त करने की पूरी रणनीति बनाई है।ऐसे में कई विधायक साथ छोड़ देंगे।एसओजी की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ेगी सचिन की भी मुश्किल बढ़ती जायगी ।समझा जा रहा है कि वह कांग्रेस के नरम रुख का फायदा उठा बिना शर्तो के वापसी पर विचार कर सकते हैं