Aaj Samaj (आज समाज), S. Somnath, नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) स्पेस में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) स्थापित करने की तैयारी में है। एजेंसी का 2028 तक आईएसएस स्थापित करने का प्लान है और यह देश का पहला ऐसा स्टेशन होगा। इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने यह जानकारी दी है। उनके अनुसार 2035 तक स्पेश स्टेशन पूरी तरह से काम करने लगेगा।
नया रॉकेट 20 से 1215 टन भार ले जाने में सक्षम
अहमदाबाद के साइंस सिटी में आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन के दौरान इसरो प्रमुख ने कहा, अगले पांच वर्ष में हम आईएसएस का अपना पहला मॉड्यूल लॉन्च करेंगे। उन्होंने बताया कि इसके पहले मॉड्यूल का वजन आठ टन होगा और यह रोबोटिक होगा। सोमनाथ ने कहा, अभी हमारा रॉकेट केवल 10 टन ही ले जा सकता है। इसरो प्रमुख ने यह भी बताया कि कहा, इसरो एक नया रॉकेट विकसित कर रहा जो 20 से 1215 टन का भार ले जाने में सक्षम होगा।
2035 तक, हम मनुष्यों के साथ अंतरिक्ष में…
उन्होंने कहा, 2035 तक, हम मनुष्यों के साथ अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजने में सक्षम हो जाएंगे। सोमनाथ ने कहा, कई वर्षों बाद, हम मंगल, चंद्रमा और शुक्र पर जाएंगे। तकनीकी रूप से मजबूत देश बनने के महत्व पर बोलते हुए, उन्होंने कहा, चंद्रयान-3 ने तकनीकी रूप से अपने देश को मजबूत बनाया है। यह दुनिया की तुलना में कम लागत पर किया गया है।
जज्बा और आत्मविश्वास बनाता है लीडर
इसरो प्रमुख ने कहा, यह इस देश की विशेषता है कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा और आत्मविश्वास हो तो हम लीडर बने रह सकते हैं। भविष्य का निर्माण धन इकट्ठा करने, बड़ी सेना रखने या व्यवसाय में अच्छा होने से नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, हमारे पास ज्ञान की शक्ति होनी चाहिए। अमेरिका श्रेष्ठ है क्योंकि उसके पास प्रौद्योगिकी के माध्यम से धन पैदा करने के साधन हैं।
छह जनवरी को तय जगह पर पहुंचेगा आदित्य-एल1
भारत का इकलौता सोलर मिशन आदित्य-एल1 छह जनवरी को तय जगह यानी लैगरेंच पॉइंट पर पहुंच जाएगा। यह जगह धरती से 15 लाख किमी दूर है। इसरो प्रमुख के सोमनाथ ने शनिवार को यह जानकारी दी। बता दें कि आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। इस मिशन को सूर्य के अध्ययन के लिए लॉन्च किया गया है।
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