Foreign Minister Switzerland Visit, (आज समाज), जेनेवा: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि चीन के साथ तभी रिश्ते समान्य होंगे जब ड्रैगन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सैनिकों को जमावड़े को पीछे हटाएगा। स्विटजरलैंड के दौरे पर हैं और वहां जेनेवा स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी सिक्योरिटी में एक थिंक-टैंक के साथ चर्चा के दौरान उन्होंने यह बात कही है।
गलवान घटना के बाद गतिरोध
दरअसल, जून 2020 में पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में चीनी व भारतीय सेना के बीच बड़ी झड़प हो गई थी जिससे हमारे रिश्तों पर असर पड़ा है। इसी को लेकर जारी तनाव पर जयशंकर ने बात की है। विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच 75% विवादों का निपटारा कर लिया गया है लेकिन अब भी बॉर्डर पर चीनी सेना का जमावड़ा एक बड़ा मुद्दा है।
सीमा पर हिंसा की किसी को इजाजत नहीं
जयशंकर ने कहा, सीमा पर हिंसा की किसी को इजाजत नहीं दे सकते। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि रिश्ते तभी सामान्य हो सकते हैं, जब चीन अपने सैनिकों को पीछे हटाए। उन्होंने कहा, दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने हैं, इस पर दोनों पक्ष बातचीत कर रहे हैं। अगर विवादों का हल हो जाए तो चीन के साथ रिश्ते फिर पहले जैसे हो सकते हैं।
गलवान झड़प समझौतों का उल्लंघन
चीनी सैनकिों के बॉर्डर इलाकों में आने के बाद भारत ने भी अपनी सेना उनके सामने खड़ी कर दी है। भारत पहले भी कहता रहा है कि तब तक शांति नहीं आ सकती, जब तक चीन अपने सैनिकों को पुरानी जगह लेकर नहीं जाता। विदेश मंत्री ने कहा, 1980 के दशक के अंत में संबंध सामान्य हो गए थे। इसका आधार केवल यह था कि बॉर्डर पर शांति रहेगी। 1988 में जब चीजें बेहतर होने लगीं, तब हमने कई समझौते किए, जिससे बॉर्डर पर स्थिरता आई। लेकिन 2020 में जो कुछ हुआ, वह स्पष्ट रूप से हमारे बीच हुए समझौतों का उल्लंघन था।
हाई लेवल पर नहीं हो रही सीधी बातचीत
जयशंकर ने कहा कि चीन को एलएसी से अपने सैनिकों को वापस अपने ठिकानों पर भेजना ही पड़ेगा। तभी हमारे सैनिक भी अपने ठिकानों पर वापस लौटेंगे। बॉर्डर पर आर्मी गश्त कैसे करेगी, इसके बारे में हम दोनों के बीच एक एग्रीमेंट है। चीन को इसका पालन करना होगा। बता दें कि पूर्वी लद्दाख में तनाव की वजह से भारत- चीन के बीच हाई लेवल पर सीधी बातचीत नहीं हो रही है।