India-China Relations, (आज समाज), नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर बताया है कि भारत-चीन के बीच विवाद से जुड़े 75 प्रतिशत मामले सुलझा लिए गए हैं। एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में एशिया सोसाइटी को संबोधित करते हुए उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की गलतियां भी गिनवाईं। साथ ही भारत के ड्रैगन के साथ रिश्तों पर अगले कदम की भी जानकारी दी। भारत में चीन के राजदूत जू फेइहोंग भी इस दौरान मौजूद थे।
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विदेश मंत्री ने कहा, चीन संग हमारा इतिहास मुश्किल भरा रहा है। दोनों देशों के बीच स्पष्ट समझौतों के बावजूद कोविड-19 के दौरान चीनी सैनिकों ने समझौतों की अवहेलना कर एलएसी पर बड़ी संख्या में अपनी सेना भेजी। स्थिति देखकर किसी अनहोनी की संभावना बढ़ गई थी और ऐसा हुआ भी। 2020 में गलवान में झड़प हुई और दोनों पक्षों के कई सैनिक मारे गए। इससे दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित हुए।
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भारतीय विदेश मंत्री ने चीन के राजदूत की मौजूदगी में कहा, जब मैंने कहा कि 75 फीसदी मसले सुलझ गए हैं, तो इसका मतलब है, सिर्फ सैनिकों की वापसी हुई है, इसलिए, यह समस्या का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा, गश्त से जुड़े कुछ मसले अब भी सुलझाए जाने हैं। जयशंकर ने कहा, अगला कदम चीन-भारत के बीच तनाव कम करना होगा।
एस जयशंकर ने इस बात पर जोर देकर कहा कि एक ‘बहुध्रुवीय’ दुनिया में बदलाव वैश्विक व्यवस्था के ताने-बाने को प्रभावित कर रहा है। एशिया परिवर्तन के इस मामले में सबसे ऊपर है। एशिया में, भारत उस परिवर्तन का नेतृत्व करने वालों में से एक है, पर यह परिवर्तन आज वैश्विक व्यवस्था के ताने-बाने को और ज्यादा बढ़ा रहा है।
विदेश मंत्री ने कहा, मुझे लगता है भारत-चीन के प्रगाढ़ रिश्ते एशिया के फ्यूचर के लिए बेहद अहम हैं। उन्होंने कहा, यदि दुनिया को बहुध्रुवीय होना है तो एशिया को भी बहुध्रुवीय होना होगा। इसलिए, यह रिश्ते न केवल एशिया के भविष्य को प्रभावित करेंगे बल्कि ये दुनिया के भविष्य को भी प्रभावित कर सकते हैं।
चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने कहा, हमें आपसी सम्मान व भरोसे को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अहम सहमति पर पहुंचे हैं कि चीन-भारत एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी या खतरा नहीं, बल्कि विकास एवं सहयोग के अवसरों में भागीदार हैं। यह हमारे द्विपक्षीय रिश्तों के लिए एक स्पष्ट दिशा प्रदान करता है। फेइहोंग ने कहा, दोनों नेता जिस महत्वपूर्ण रजामंदी पर पहुंचे हैं, हमें उसे दृढ़ता से लागू करना होगा।
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