Health Management Information System, (आज समाज), नई दिल्ली: देश के ग्रामीण इलाकों में लगातार डॉक्टरों की कमी बढ़ती जा रही है। हालात इस कद्र हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में 5000 से ज्यादा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) पर दवा लिखने वाले फिजिशियन डॉक्टर 1000 से भी कम हैं, लेकिन यहां फार्मासिस्ट की संख्या 7000 से भी ज्यादा है। केंद्र सरकार की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) 2022-23 की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। सोमवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 82 फीसदी फिजिशियन, 83 फीसदी सर्जन और 80 फीसदी से ज्यादा बालरोग विशेषज्ञ के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं।
18 साल में एक्सपर्ट्स में 3 गुना से ज्यादा वृद्धि
एचएमआईएस 2022-23 की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 18 साल में यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी में तीन गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है। इसमें कहा गया है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 5,491 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिनमें से महज 913 केंद्रों में सर्जन, 1,442 में प्रसूति रोग विशेषज्ञ, 992 में फिजिशियन और 1,066 केंद्रों पर बाल रोग विशेषज्ञ कार्यरत हैं, जबकि सरकार का मानना है कि यहां कुल 21,964 विशेषज्ञों की जरूरत है।
21,964 में से केवल 13,232 पदों पर ही मंजूरी
बावजूद इसके राज्यों ने अब तक 21,964 में से केवल 13,232 पदों पर ही चिकित्सकों को भर्ती करने की मंजूरी दी है। इसमें से केवल 4,413 डॉक्टर ही इस समय मरीजों की सेवा कर रहे हैं। कुल मिलाकर इन केंद्रों पर 17 हजार से ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इनमें बालरोग, सर्जन, फिजिशियन और प्रसूति रोग शामिल हैं।
विशेषज्ञों की कमी मां व शिशु के लिए जोखिम
स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी मां और शिशु दोनों के लिए जोखिम हो सकता है। दिल्ली एम्स की वरिष्ठ डॉक्टर प्रज्ञा का कहना है कि गर्भवती के लिए प्रसूति रोग विशेषज्ञ का मार्गदर्शन जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 5,491 में से केवल 1,442 केंद्रों पर ही प्रसूति रोग विशेषज्ञ मौजूद हैं।
बिना डॉक्टर संचालित हो रहे 9000 से ज्यादा पीएचसी
एचएमआईएस की रिपोर्ट के अनुसार, देश के 757 जिलों में करीब 6.64 लाख गांव हैं। यहां 1.65 लाख उप स्वास्थ्य केंद्र, 25,354 पीएचसी और 5,491 सीएचसी मौजूद हैं। साल 2005 से तुलना करें तो 20 हजार से ज्यादा नए उप स्वास्थ्य केंद्र और करीब दो-दो हजार से ज्यादा पीएचसी और सीएचसी की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन गंभीर तथ्य यह है कि 9000 से ज्यादा पीएचसी बिना डॉक्टर संचालित हो रहे हैं।
इन पोस्ट्स पर इतने पद खाली
यहां कुल 41,931 पदों पर 32,901 डॉक्टर या चिकित्सा अधिकारी तैनात हैं। इसी तरह सीएचसी और पीएचसी पर 8000 से ज्यादा लैब टेक्नीशियन, 7000 फार्मासिस्ट, 1,719 रेडियोग्राफर और 22 हजार से ज्यादा नर्सिंग कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं।
हर साल बढ़ रहा विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी का ग्राफ
रिपोर्ट के अनुसार, 2022 तक सीएचसी में कार्यरत विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या 4,485 रही जो 2023 में 4,413 रह गई, जबकि इसी अवधि में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) स्तर पर डॉक्टरों की संख्या 30,640 से बढ़कर 32,901 तक पहुंची है। यह आंकड़ा बता रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हर वर्ष विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी का ग्राफ बढ़ रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव डॉ. अपूर्व चंद्रा के मुताबिक 1992 से सरकार हर वर्ष ग्रामीण स्वास्थ्य को लेकर यह सांख्यिकी रिपोर्ट जारी कर रही है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को लेकर देश में अभी काफी प्रयास किए जाने बाकी हैं।