Haryana News: हरियाणा में नगर परिषद पेमेंट अप्रूवल कमेटी के नियम बदले

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हरियाणा में नगर परिषद पेमेंट अप्रूवल कमेटी के नियम बदले
हरियाणा में नगर परिषद पेमेंट अप्रूवल कमेटी के नियम बदले

प्रधान की अनुपस्थिति में उप प्रधान के पास रहेगी पावर, ईओ-सचिव शामिल
Haryana News Chandigarh (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा शहरी स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा के नगर परिषद पेमेंट अप्रूवल कमेटी के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने मंजूरी दे दी। अब नगर परिषद की पेमेंट अप्रूवल कमेटी में प्रधान की गैर मौजूदगी में उप-प्रधान को पावर दे दी गई हैं। इसके अलावा कमेटी में परिषद के एड या सचिव को भी शामिल किया गया है। इस प्रस्ताव में वार्ड के पार्षदों को झटका लगा है। वार्ड पार्षदों को कमेटी में शामिल नहीं किया गया है। तीन दिन पहले ही यूएलबी मंत्री सुभाष सुधा की ओर से नगर परिषद में बदलाव का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को मंजूरी के लिए भेजा गया था। सीएम ने देर रात इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। दरअसल, निकाय अध्यक्षों की ओर से लंबे समय से वित्तीय पावर बढ़ाने सहित अन्य अधिकार देने की मांग की जा रही। इस संबंध में महीनों पहले शहरी निकाय मंत्री सुभाष सुधा ने प्रदेश भर के चेयरमैनों के साथ बैठक की थी, जिसमें उनकी मांगों को उचित बताते हुए प्रस्ताव तैयार करने के आदेश दिए थे। फिलहाल मंत्री की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भेजी जा चुकी है , जिसमें एक प्रस्ताव को भी अभी सीएम ने मंजूरी दे दी है। कुछ और प्रस्ताव हैं, जिन पर सीएम जल्द ही अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद फैसला लेंगे। शहरी स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा के प्रस्ताव में नगर परिषद के चेयरमैन सरकारी काम के लिए अब वह खुद की गाड़ी इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके एवज में उन्हें विभाग की ओर से 16 रुपए प्रति किलोमीटर के तहत पैसों की अदायगी की जाएगी। हर महीने वह 2500 किलोमीटर तक गाड़ी का इस्तेमाल कर सकेंगे।

20 लाख तक का होगा निजी कोष

सभी निकायों में निर्वाचित अध्यक्ष के पास भी कम से कम 15-20 लाख रुपए तक के काम करवाने के लिए हर महीने निजी कोष में बजट दिया जाए। सभी शहरों में काफी सामुदायिक केंद्र व धर्मशालाएं लंबे समय से बनी हैं जो जर्जर हालत में पहुंच गई है, लेकिन उनके पास मलकीयत के दस्तावेज नहीं है। ऐसी धर्मशालाओं के जीर्णोद्धार का काम निकायों को देना चाहिए। इसके अलावा सभी चेयरमैनों को सिक्योरिटी के तहत बॉडीगार्ड उपलब्ध करवाने के साथ ही अफसरों पर प्रधानों का नियंत्रण स्थापित करने की पावर देनी चाहिए।