नई दिल्ली। सरकार सटार्टअप कंपनियों को बढ़ाने के लिए मताधिकार वाले शेयरों से जुडेÞ नियमों में ढील दी है। नए नियमों के अनुसार अब कंपनियों के पास निर्गम के बाद कुल चुकता पूंजी के 74 प्रतिशत तक भिन्न मताधिकार वाले शेयर वह रख सकते हैं। पहले यह सीमा 26 प्रतिशत थी।
मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति में कहा, “एक अन्‍य महत्वपूर्ण बदलाव के तहत इन शेयरों को जारी करने के लिये किसी कंपनी के तीन साल तक वितरण योग्य मुनाफा हासिल करने की शर्त को भी हटा दिया गया है। यदि कोई कंपनी भिन्न मताधिकार वाले शेयर जारी करना चाहती है तो इसके लिए उसका कम से कम तीन साल मुनाफे में होना जरूरी होता है। अब इस जरूरत को समाप्त कर दिया गया है।”